Microplastics: सांस लेने से फेफड़ों में जमा हो रहा प्लास्टिक, आपके कपड़े और कॉस्मेटिक बना रहे बीमार

How Microplastics Harmful For Human Body: हम हर हफ्ते सांस के जरिये बॉडी में प्लास्टिक का इनटेक कर रहे हैं। जो शरीर के भीतर जाकर फेफड़ों, किडनी, हार्ट की बीमारी से लेकर कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

हेल्थ डेस्क: प्लास्टिक हमारे जीवन के लिए कितना खतरनाक है ये तो हम सभी जानते हैं। लेकिन इसके बावजूद प्लास्टिक का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है। इससे दुनिया भर में बड़ी मात्रा में प्रदूषण का खतरा भी बढ़ रहा है। अब तो एक रिसर्च में पता चला है कि संभवतः हर हफ्ते सांस के जरिये भी अब बॉडी में प्लास्टिक का इनटेक कर रहे हैं। जी हां माइक्रोप्लास्टिक हमारे शरीर में लगातार सांस के जरिए जा रहा है। यह इतनी बड़ी मात्रा में हमारे अंदर है कि इससे एक ‘क्रेडिट कार्ड’ बन जाए।

माइक्रोप्लास्टिक बना रहा बीमार

Latest Videos

एक ताजा अध्ययन ने फिर से आम लोगों की चिंता बढ़ा दी है। इसमें पता चला है कि वैश्विक स्तर पर हर व्यक्ति जाने अनजाने सप्ताह में कम से कम 5 ग्राम माइक्रोप्लास्टिक इनटेक कर रहा है। जिसका वजन एक एटीएम कार्ड के बराबर होता है। इतना प्लास्टिक आपके शरीर के भीतर जाने से आप खुद को बीमार बना रहे हैं। प्लास्टिक के छोटे छोटे कणों से होने वाले नुकसान को लेकर दुनिया के कुछ देशों में चल रही रिसर्च ने यह बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया है।

माइक्रोप्लास्टिक क्या है?

नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (नोआ) के अनुसार, माइक्रोप्लास्टिक 0.2 इंच (5 मिलीमीटर) से छोटे प्लास्टिक के कण हैं। देखने में इनका आकार एक तिल के बीज के बराबर हो सकता है। ये कण आकार में 5mm से भी छोटे होते हैं जो शरीर के भीतर जाकर फेफड़ों, किडनी, हार्ट की बीमारी से लेकर कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

कहां से आता है माइक्रोप्लास्टिक?

हम रोजमर्रा के जीवन में जिन उत्पादों का उपयोग करते हैं जैसे कि टूथपेस्ट और चेहरे की स्क्रब में उपयोग किए जाने वाले कॉस्मेटिक में माइक्रोप्लास्टिक होता है। माइक्रोप्लास्टिक सिंथेटिक कपड़ों से भी आता है। जब भी हम नायलॉन, स्पैन्डेक्स, एसीटेट, पॉलिएस्टर, ऐक्रेलिक, रेयान आदि से बने कपड़ों को धोते हैं, तो वे अपने कुछ रेशे छोड़ते हैं। ये बाद में सूक्ष्म कणों में टूट कर माइक्रोप्लास्टिक बन जाता है। ड्रिंकिंग बॉटल, रैपिंग मटेरियल,चिप्स आदि के पैकेटों में भी पेट प्लास्टिक, पोलिसट्रिन और पोलीथिलीन की मात्रा बहुत ज्यादा होने से शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता है।

माइक्रोप्लास्टिक के कण अब तो वातावरण की हवा में भी हैं जहां आप सांस लेते हैं। कार और ट्रक के टायरों से निकलने वाली धूल में इन कणों की मात्रा 0.71 औंसत है, जिसमें प्लास्टिक स्टाइलिन-ब्यूटाडीन होता है। हालिया अध्ययन में कहा गया है कि लोग हर साल 39,000 से 52,000 माइक्रोप्लास्टिक के कणों को निगल जाते हैं।

और पढ़ें-  क्या HIV पॉजिटिव के साथ शारीरिक संबंध बना सकते हैं, जानें कैसे होता है इससे खतरा

Sugar Cravings: मीठा खाने की हो रही है क्रेविंग, तो इन 5 चीजों की मदद से करें कंट्रोल

Share this article
click me!

Latest Videos

पहले गई सीरिया की सत्ता, अब पत्नी छोड़ रही Bashar Al Assad का साथ, जानें क्यों है नाराज । Syria News
Delhi Election 2025 से पहले Kejriwal ने दिया BJP की साजिश का एक और सबूत #Shorts
समंदर किनारे खड़ी थी एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा, पति जहीर का कारनामा हो गया वायरल #Shorts
राजस्थान में बोरवेल में गिरी 3 साल की मासूम, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी । Kotputli Borewell News । Chetna
Devendra Fadnavis के लिए आया नया सिरदर्द! अब यहां भिड़ गए Eknath Shinde और Ajit Pawar