
Diabetes And Heart Health: डायबिटीज हमारे समय की सबसे गंभरी हेल्थ चालेंजेज में से एक है। टाइप 2 डायबिटीज से दुनिया भर में करीब 60 करोड़ व्यस्क इस बीमारी से ग्रस्त है। इंटरनेशल डायबिटीज फेडरेशन (IDF) के डायबिटीज एटलस के 11वें एडिशन के अनुसार, 2025 में, दुनिया भर में 20-79 आयु वर्ग के अनुमानित 58.9 करोड़ वयस्क मधुमेह से ग्रस्त होंगे। मतलब हर 9 में से एक व्यस्क डायबिटीज का शिकार होगा। 2050 तक यह संख्या बढ़कर 85.3 करोड़ हो जाने का अनुमान है।
भारत की बात करें तो करीब 10 में से 1 व्यक्ति डायबिटीज से ग्रसित है, और WHO के अनुसार 2030 तक भारत दुनिया की डायबिटीज कैपिटल बन सकता है। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि इस बीमारी के साथ कौन-कौन से जोखिम तेजी से बढ़ जाते हैं। डायबिटीज के खतरे को देखते हुए 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे मना जाता है, ताकि लोगों में इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाई जाई।
खराब लाइफस्टाइल और खान-पान की वजह से टाइप 2 डायबिटीज बीमारी होती है। अगर शरीर में अगर यह बीमारी हो जाए, तो यह पूरे शरीर को प्रभावित करती है। लगातार हाई शुगर लेवल शरीर की नसों, किडनी, आंखों, दिल और दिमाग तक को नुकसान पहुंचा सकता है। यही वजह है कि इसे Slow Killer Disease भी कहा जाता है।
डायबिटीज रोगियों में हार्ट अटैक का खतरा काफी अधिक होता है। रिसर्च के अनुसार, डायबिटीज वाले लोगों में हार्ट अटैक का जोखिम 2 से 4 गुना बढ़ जाता है। ब्लड शुगर बढ़ने से कोरोनरी आर्टरीज में प्लाक जमा होना तेज हो जाता है।
डायबिटीज दुनिया में किडनी फेल होने की सबसे बड़ी वजह है। डेटा की बात करें तो करीब 30–40% डायबिटीज पेशेंट्स में किडनी डैमेज शुरू हो जाता है। अगर कंट्रोल न हो तो 10-15 वर्षों में Dialysis की नौबत आ सकती है।
ब्लड शुगर बढ़ने से आंखों की नसें कमजोर हो जाती हैं। जिससे आंखों की रोशनी कम होने लगती है। कभी-कभी तो यह अंधापन का कारण बन सकता है। करीब 25–30% मरीजों में रेटिनोपैथी पाई जाती है।
डायबिटीज से दिमाग की नसों पर भी बुरा असर पड़ता है। जिसकी वजह से स्ट्रोक का खतरा दो गुना बढ़ जाता है।
अक्सर पैरों में झुनझुनी, जलन, सुन्नपन डायबिटिक न्यूरोपैथी का संकेत है। लगभग 50% डायबिटीज रोगियों में किसी न किसी प्रकार की न्यूरोपैथी पाई जाती है।
पैरों की नसों और ब्लड सर्कुलेशन पर असर के कारण घाव ठीक नहीं होते। हर साल लाखों मरीज फुट अल्सर से पीड़ित होते हैं। कई बार गंभीर मामलों में अंग काटने तक की नौबत आ जाती है।
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डायबिटीज और हाई BP अक्सर साथ-साथ होते हैं। शोध में पाया गया कि 67% डायबिटीज पेशेंट्स को हाई BP भी होता है।
इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ने से लीवर में फैट जमा हो जाता है। इसलिए डायबिटीज पेशेंट को कम खाना लेकिन बार-बार खाने की सलाह दी जाती है। डायबिटीज के 50–70% रोगियों में फैटी लिवर पाया जाता है।
उच्च शुगर त्वचा की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर कर देती है। बार-बार फंगल इंफेक्शन, घाव और खुजली का खतरा बढ़ जाता है।
ब्लड शुगर असंतुलन मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है। डायबिटीज मरीजों में डिप्रेशन का खतरा 2 गुना बढ़ जाता है।
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