वास्तु शास्त्र के अनुसार घर पर रखी छोटी सी सूई से लेकर बड़े से बर्तन और अन्य सामान तक, सभी चीजें घर के ऊर्जा को प्रभावित करती है। इसी में से एक है घर का मुख्य द्वार जिसे घर के ऊर्जा का प्रवेश बिंदु माना जाता है। प्रत्येक घर के मेन गेट को वह स्थान कहा गया है, जिससे घर के अंदर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के ऊर्जा का प्रवेश एवं संचार होता है। ये तो रही सकारात्मक एवं नकारात्मक ऊर्जा और घर के मुख्य द्वार के बारे में, लेकिन क्या आपने किसी के घर के मुख्य द्वार में किसी भगवान की मूर्ति या चित्र टंगा हुआ देखा है?
हिंदू घरों में ज्यादातर लोग अपने घर के मुख्य द्वार में भगवान गणेश या फिर अन्य देवताओं की मूर्तियां लगाकर रखते हैं। ऐसे में चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं कि क्या ये सही है या गलत, वास्तु के अनुसार इसके क्या प्रभाव हैं, इसके बारे में आज हम वास्तु एक्सपर्ट शिवम पाठक से जानेंगे।
वास्तु शास्त्र में गणेश जी का महत्व
भगवान गणेश को वास्तु देव एवं विघ्न हर्ता के रूप में जाना जाता है। हिंदू धर्म ग्रंध और वास्तु ग्रंथों में भगवान गणेश का अहम स्थान और महत्व है। घर में किसी भी तरह की शुभ काम या नई चीजों की शुरुआत से पहले उनकी पूजा अनुष्ठान होती है। मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेश जी की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि, तरक्की और सफलता मिलती है। उन्हें ज्ञान, बुद्धि, मस्तक और विघ्न-बाधाओं को दूर करने की क्षमता है। इसलिए वास्तु शास्त्र में गणेश जी की उपस्थिति को बहुत अच्छा माना गया है।
वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार का महत्व
वास्तु के नजरिए से देखा जाए तो घर के मेन गेट को ऊर्जा का प्रवेश द्वार माना गया है। ऐसा माना जाता है कि वास्तु के अनुसार बना हुआ मुख्य द्वार घर की ओर सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और नकारात्मक ऊर्जा और प्रभाव को दूर करता है। इसलिए घर के प्रवेश या मुख्य द्वार की दिशा, डिजाइन, सजावट, वहां रखी हुई चीजें, सब कुछ सामंजस्यपूर्ण होना चाहिए, जिससे घर में शुभ चीजें हो।
इसे भी पढकिचन में पूजा स्थल: जानें वास्तु के अनुसार सही या गलत, क्या बढ़ सकती है परेशानी
मुख्य द्वार पर गणेश जी की मूर्ति रखना शुभ या अशुभ?
घर के प्रवेश द्वार पर गणेश जी की मूर्ति टांगने या लटकाने की प्रथा हिंदू धर्म में हाल फिलहाल से नहीं, बल्कि सदियों से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि घर के मुख्य द्वार पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करने से सभी विघ्न बाधा दूर होती है। घर से निकलते वक्त उनके दर्शन करते हुए जाने से कार्य सफलता मिलती है। मुख्य द्वार पर गणपति की तस्वीर शुभता और सफलता है प्रतीक है। लेकिन वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार पर भारी मूर्ति रखने की मनाही होती है, इसके अलावा गणेश जी की चित्र या मूर्ति को सही स्थान और दिशा में रखने की सलाह दी गई है।
इसे भी पढ़ें: घर की दीवार घड़ी से मिल सकती है कारोबार में तरक्की, जानें इसे लगाने के सही नियम
मुख्य द्वार पर गणेश जी की मूर्ति लगाने के नियम
वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार पर ऐसी मूर्ति लगानी चाहिए, जिसकी सूंड़ बाईं ओर मुड़ी हुई हो। मान्यता है कि बाईं ओर मुड़ी हुई गणपति की मूर्ति शुभ फलदायी और मंगलकारी होती है। वहीं दाहिनी ओर मुड़ी हुई सूंड़ को घर में रखने या टांगने की मनाही होती है।
गणपति की मूर्ति यदि मुख्य द्वार पर रख रहे हैं, तो वह हमेशा आशीर्वाद मुद्रा में होना चाहिए। गणपति जी दाहिने हाथ से आशीर्वाद दे रहे हों, इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि लाने में मददगार होती है। इसके अलावा यदि आपने घर के मुख्य द्वार पर गणपति की तस्वीर या मूर्ति लगाए हैं, तो आप उसकी नियमित साफ-सफाई और पूजा पाठ करें। कभी भी गणपति की मूर्ति को गंदा या धूल न जमने दें।