रिपोर्ट: पत्नियां कर रहीं टॉर्चर, दर्द से कराहते पतियों को सुनने वाला कोई नहीं

घरेलू हिंसा सिर्फ़ महिलाओं तक सीमित नहीं है। पुरुष भी कई बार पत्नियों के अत्याचार का शिकार होते हैं। आत्महत्या करने वालों की संख्या भी कम नहीं है। उत्तर प्रदेश में पीड़ित पतियों की संख्या बढ़ती जा रही है। 
 

भारत में घरेलू हिंसा (India Domestic violence) थमने का नाम नहीं ले रही है। पति के अत्याचार से तंग आकर न जाने कितनी ही महिलाएं आत्महत्या कर चुकी हैं। लेकिन अब महिलाएं भी पुरुषों को टक्कर देने के लिए तैयार हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, पत्नी के जुल्मों से तंग आकर आत्महत्या (Suicide) करने वाले पतियों की संख्या में हाल ही में इज़ाफ़ा हुआ है। महिला अगर किसी भी तरह की हिंसा का शिकार होती है तो उसके लिए महिला आयोग है जहाँ वो जाकर शिकायत दर्ज करा सकती है। लेकिन पुरुष कहाँ जाएँ? इसी सवाल को लेकर एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में पुरुष आयोग की स्थापना की मांग की है। अब उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की एक रिपोर्ट पुरुष आयोग की ज़रूरत को और भी पुख्ता कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में पत्नी द्वारा प्रताड़ित होने वाले पुरुषों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है।

उत्तर प्रदेश के मानवाधिकार आयोग (Human Rights Commission) में रोज़ाना दर्द से कराहते हुए पुरुष पहुँच रहे हैं। पीड़ित पतियों की संख्या में लगातार इज़ाफ़ा हो रहा है। इस साल अब तक 22522 शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं। आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2023-24 तक 31285 शिकायतें आई हैं। 2022-23 में 36209 शिकायतें आई थीं। 2011-12 में आयोग में सबसे ज़्यादा 38824 शिकायतें आई थीं।

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सिर्फ़ उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में 33.2 प्रतिशत पुरुषों ने पारिवारिक कलह के चलते आत्महत्या की है। 4.8 प्रतिशत पुरुषों ने वैवाहिक कलह और घरेलू हिंसा से तंग आकर अपनी जान दे दी। इस बारे में कई सर्वेक्षण हुए हैं जिनमें राष्ट्रीय पुरुष आयोग के गठन की मांग की गई है। 

भारतीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पास पुरुषों की इस समस्या से निपटने के लिए कोई खास कानून नहीं है। ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा जैसे विकसित देशों में घरेलू हिंसा कानून, लिंग तटस्थ है। लेकिन भारत में यह सिर्फ़ महिलाओं के लिए है। भारत में पति को अपनी पत्नी के समान अधिकार प्राप्त नहीं हैं। हालाँकि, उनकी सुरक्षा और सम्मान के लिए कुछ कानूनी अधिकार हैं। हर व्यक्ति को इसके बारे में पता होना चाहिए। 

 

1. घरेलू हिंसा के मामले में पति पुलिस की मदद ले सकता है। अगर पत्नी, पति को पीटती है, झगड़ा करती है, उस पर दबाव बनाती है, तो वह 100 या महिला हेल्पलाइन नंबर 1091 पर कॉल करके शिकायत दर्ज करा सकता है।
2. पति को ही अपनी स्व-अर्जित संपत्ति पर अधिकार है। उसकी पत्नी या बच्चों का इस संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है। वह इसे अपनी मर्ज़ी से किसी को भी दे सकता है या बिना किसी को दिए ट्रस्ट को सौंप सकता है।
3. अगर पत्नी मानसिक प्रताड़ना दे रही है तो पति, पुलिस या अदालत का दरवाज़ा खटखटा सकता है। घरवालों, दोस्तों से मिलने न देना, बार-बार आत्महत्या की धमकी देना, शारीरिक हिंसा करना, घर से निकाल देना, सार्वजनिक रूप से अपमानित करना, ये सब मानसिक प्रताड़ना के दायरे में आता है। 
4. पति तलाक ले सकता है। पत्नी से गुजारा भत्ता मांग सकता है। बच्चों की परवरिश की ज़िम्मेदारी से मुक्त हो सकता है।  

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