Teacher's Day: बढ़ती जा रही है टीचर्स और स्टूडेंट्स में दूरी, इन 5 तरीकों से रिश्ता बनाएं मजबूत

देश भर में  5 सितंबर को  शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। टीचर्स डे को भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के मौके पर मनाया जाता है। बदलते समय के साथ अब टीचर्स और स्टूडेंट्स के बीच रिश्ते में काफी बदलाव आ गए हैं। 

लाइफस्टाइल डेस्क। देश भर में  5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। टीचर्स डे को भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के मौके पर मनाया जाता है। इस दिन छात्र शिक्षकों के प्रति प्यार और सम्मान अलग-अलग तरीके से जाहिर करते हैं। शिक्षक दिवस पर स्टूडेंट्स अपने टीचर्स को इस खास दिन की बधाई भी देते हैं। इस मौके पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। इस बार कोरोना महामारी की वजह से स्कूल-कॉलेज बंद हैं। इसलिए पहले की तरह आयोजन नहीं हो रहे हैं, फिर भी सोशल मीडिया और दूसरे साधनों के जरिए स्टूडेंट्स शिक्षकों के प्रति सम्मान जता रहे हैं। 

1. टीचर्स-स्टूडेंट्स के संबंधों में आ रहा है बदलाव
हमारे देश में शिक्षकों को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि गुरु यानी शिक्षक के बिना ज्ञान हासिल नहीं किया जा सकता। लेकिन समय के साथ शिक्षक और छात्रों के बीच संबंधों में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। अब उनके बीच पहले की तरह भावनात्मक रिश्ता नहीं रहा है। दूरियां बढ़ी हैं और संबंधों में व्यावसायिकता हावी हो गई है। बहुत से लोगों का मानना है कि समाज में पहले की शिक्षकों का सम्मान नहीं रह गया है। इसे समझना चाहिए और शिक्षकों को उचित सम्मान देना चाहिए। तभी सही संस्कार विकसित हो सकते हैं। 

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2. शिक्षा के ढांचे में हुआ बदलाव
दरअसल, एक लंबे समय के दौरान शिक्षा के ढांचे में काफी बदलाव हो गया। इस क्षेत्र में व्यावसायिकता काफी बढ़ गई है। शिक्षा के तंत्र में मुनाफा हावी हो गया है। बड़े शहरों से लेकर कस्बों और गांवों में भी बड़ी संख्या में अंग्रेजी माध्यम के प्राइवेट स्कूल खुल गए हैं। दूसरी तरफ, सरकारी स्कूलों में संसाधनों की कमी है। शिक्षा की पूरी व्यवस्था में असंतुलन साफ दिखाई पड़ता है। ऐसे में, शिक्षकों और छात्रों के बीच पहले की तरह संबंध नहीं रह गए हैं। इसे बदलने की जरूरत है। जब तक शिक्षकों के साथ छात्रों के संबंध व्यक्तिगत स्तर पर नहीं बनेंगे, उनका ठीक से विकास नहीं हो सकेगा।  

3. बच्चों पड़ता है शिक्षकों का गहरा असर
हर बच्चे की मानसिकता पर उसके शिक्षकों का असर पड़ता है और उसके व्यक्तित्व के निर्माण में शिक्षकों की बहुत बड़ी भूमिका रहती है। कोई भी व्यक्ति जल्दी अपने बचपन के शिक्षकों को भुला नहीं पाता है। शिक्षकों की भूमिका बच्चों के विकास में अहम होती है। इसलिए किसी भी स्थिति में न तो शिक्षकों को बच्चों की उपेक्षा करनी चाहिए और अभिभावकों को भी इस बात के लिए कोशिश करनी चाहिए कि उनके बच्चों का शिक्षकों के साथ सीधा संबंध बने। 

4. तकनीक को हावी मत होने दें
आज शिक्षा के क्षेत्र में कई तरह के तकनीकी बदलाव हुए हैं। ब्लैकबोर्ड और चॉक से पढ़ाई का जमाना चला गया। अब कम्प्यूटर, लैपटॉप और दूसरे गैजेट्स का उपयोग पढ़ाई के लिए किया जा रहा है। ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया जा रहा है। इसमें बच्चों का अपने शिक्षकों से सीधा और भावनात्मक स्तर पर जुड़ाव नहीं हो पाता है। इसका कई रूपों में गलत असर पड़ता है। नई तकनीक का इस्तेमाल शिक्षा के लिए जरूरी है, पर इसे शिक्षक और छात्र के बीच के संबंधों पर हावी नहीं होने देना चाहिए।

5. शिक्षकों और छात्रों के बीच संवाद जरूरी 
आजकल शिक्षकों और छात्रों के बीच व्यक्तिगत स्तर पर सीधा संवाद नहीं हो पाता है। पहले ऐसा नहीं था। छात्र अपने शिक्षकों से तभी बेहतर तरीके से सीख सकते हैं, जब उनके संपर्क में आएं। वहीं, शिक्षक भी अपने स्टूडेंट्स को सही तरीके से नहीं समझ सकते, जब तक कि व्यक्तिगत तौर पर उनसे संवाद नहीं करें और उनकी मानसिकता को नहीं समझें। परस्पर संवाद से ही शिक्षक और छात्र एक-दूसरे को ठीक से समझ सकते हैं और उनके बीच संबंध मजबूत हो सकते हैं। यह हर लिहाज से बेहतर होता है। 

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