देखिए मुरैना का महाभंडारा: क्रंकीट मिक्सर में बने मालपुआ तो कई ट्रॉलियों में घी और तेल..ट्रकों से बनी खीर

यह महा भंडारा सुबह 10 बजे से शुरू हो गया है जो रात 11 बजे तक चलेगा।एक बार की पंक्ति में हजारों लोग बैठकर भंडारा खा रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह महा प्रसादी को ग्रहण करने के लिए करीब दो लाख से ज्यादा लोग पहुंचेंगे। करीब 100 गांव और कई शहरों के श्रद्धालु भंडारा खाने के लिए आ रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Dec 11, 2021 1:34 PM IST

मुरैना (मध्य प्रदेश). अभी तक आपने कभ भंडारों बारे में सुना होगा और प्रसादी खाई होगी। लेकिन मध्य प्रदेश के मुरैना में एक ऐसा विशाल महा भंडारा आयोजित हुआ जो शायद कभी किसी ने देखा होगा। जहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा था। इनके लिए भंडारा बनाना और परोसन किसी बड़ी चिनौती से कम नहीं था। आलम यह था कि यहां पर कंक्रीट मिक्सर मशीन में मालपुआ का घोल बनाया गया था। वहीं दर्जनभर ट्रॉलियों में घी और तेल लाया गया था। इतना ही नहीं 15 से 20 ट्रॉलियों में तो सब्जी-पुड़ी और खीन रखी हुई थी। क्योंकि इस भंडारे में 2 लाख से ज्यादा लोग भोजन कर रहे हैं।

हजारों लोग पहुंचे सामान लेकर
दरअसल, मुरैना के घिरौना मंदिर के पास नदी किनारे बने एक मौनी बाबा के आश्रम में पिछले एक सप्ताह से भागवत कथा चल रही थी। जिसका आज यानि शनिवार को समापन था। इस मौके पर यह विसाल भंडारे का आयोजन रखा गया। जिसमें 100 गांवों से लोग दूध, सब्जी और आटा लेकर पहुंचे। 12 ट्राली भरकर आटा, घी और तेल लाया गया तो 5 ट्रॉलियां भरकर सब्जी बनी। यह भंडारा हर आदमी की तरफ से आयोजित था। यहां खाने से लेकर परोसने वाला तक हर शख्स आम आदमी था।

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100 गांवों के लोग आ रहे भंडारे खाने
बता दें कि यह महा भंडारा सुबह 10 बजे से शुरू हो गया है जो रात 11 बजे तक चलेगा।एक बार की पंक्ति में हजारों लोग बैठकर भंडारा खा रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह महा प्रसादी को ग्रहण करने के लिए करीब दो लाख से ज्यादा लोग पहुंचेंगे। करीब 100 गांव और कई शहरों के श्रद्धालु भंडारा खाने के लिए आ रहे हैं। व्यवस्था से लेकर, खिलाने-पिलाने तक की सारी व्यवस्थाएं किसी एक की नहीं बल्कि हजारों लोगों की हैं।

हजारों की संख्या में जल रहे चूल्हे
विशाल भंडारे के लिए कई शहरों और गांव से दूध एकत्रित किया गया। सबसे बड़ी बात यह है कि इस भंडारे में बने खीर-मालपुआ, सब्जी के लिए किसी हलवाई ने नहीं, बल्कि आसपास के किसानों व स्थानीय निवासियों ने बनाकर तैयार किया है। खीर और मालपुआ एक दो नहीं दर्जनों जगह पर बड़े कड़ाहे और ट्रॉलियों में बनी है। इतना ही नहीं डेढ़ दर्जन ट्रैक्टर-ट्रॉलियां भोजन ढोने में लगी हुई हैं। बता दें कि चंबल में ऐसे विशाल भंडारे प्रचलन में हैं। 

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