शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे गुरूवार को नामांकन भरने गाजे-बाजे के साथ निकले हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना के लिए आज एक ऐतिहासिक है। पहली बार ठाकरे परिवार से चुनाव लड़ने जा रहे आदित्य ने बाल ठाकरे को नमन कर घर से निकले हैं। बैंड-बाजे और सैकड़ों समर्थकों के साथ एक बड़े जुलूस को लेकर आदित्य आगे बढ़ रहे हैं।
मुंबई. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे गुरूवार को नामांकन भरने गाजे-बाजे के साथ निकले हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना के लिए आज एक ऐतिहासिक है। पहली बार ठाकरे परिवार से चुनाव लड़ने जा रहे आदित्य ने बाल ठाकरे को नमन कर घर से निकले हैं। बैंड-बाजे और सैकड़ों समर्थकों के साथ एक बड़े जुलूस को लेकर आदित्य आगे बढ़ रहे हैं।
आदित्य ठाकरे आज पर्चा भरेंगे। आदित्य मुंबई की वर्ली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। आदित्य का जुलूस देखने वाला है, जगह-जगह आदित्य का फूलों की वर्षा से स्वागत किया जा रहा है। जहां से भी आदित्य का जुलूस गुजर रहा है लोग छतों से फूल वर्षा रहे हैं। शिवसेना की राजनीति में पहली बार कोई सबको साथ लेकर चलने की विचारधारा के साथ नामांकन भरने जा रहा है। आदित्य जनता के बीच एक मिलनसार नेता बनकर उभरे हैं।
मात्र 29 साल के आदित्य नामांकन पत्र भरने के वक्त मिल रहे लोगों के प्यार को देख काफी भावुक हो गए हैं। आदित्य मराठी इंग्लिश और बेहतरीन हिंदी भाषी हैं। लोगों का प्यार उन्हें मिल रहा है। वह महाराष्ट्र की राजनीति में एक पोस्टर ब्वॉय बनकर उभर रहे हैं।
जिस वर्ली विधानसभा सीट से से आदित्य ठाकरे सियासी समर में उतर रहे हैं, उस सीट पर एमएनएस अपनी उम्मीदवार नहीं उतारेगी। राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस ने कल महाराष्ट्र विधानसभा उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की। इसमें वर्ली से विधानसभा उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई है। आदित्य के चाचा राज ठाकरे एनसे से इस बार उम्मीदवार नहीं उतारेंगे। यह आदित्य के लिए लिया गया एक बड़ा फैसला है। वहीं आदित्य के नामांकन के दिन ही महाराष्ट्र में जहां शिवसेना शक्ति प्रदर्शन कर रही है वहीं बीजेपी भी आज ही के दिन नामांकन भरकर अपना शक्ति प्रदर्शन कर रही है।
1966 में हुई थी शिवसेना की स्थापना
गौरतलब है कि दिवंगत बाल ठाकरे की तरफ से साल 1966 में शिवसेना की स्थापना किये जाने के बाद से ठाकरे परिवार से किसी भी सदस्य ने कोई चुनाव नहीं लड़ा है या वे किसी भी संवैधानिक पद पर नहीं रहे है। उद्धव के चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना(मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने 2014 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा जताई थी, हालांकि उन्होंने बाद में अपना मन बदल लिया था।