कैसे हो चचा..हम जेल में साथ थे, कानों में यह आवाज पड़ते ही कांप उठा आतंकवादी 'डॉक्टर बम'

Published : Jan 18, 2020, 05:21 PM IST
कैसे हो चचा..हम जेल में साथ थे, कानों में यह आवाज पड़ते ही कांप उठा आतंकवादी 'डॉक्टर बम'

सार

1993 में मुंबई में हुए सीरियल ब्लास्ट और अजमेर बम ब्लास्ट को आरोपी को पकड़ने के लिए STF ने बिछाया था यह जाल। जानिए पकड़े जाने की पूरी कहानी..  

मुंबई. 1993 में मुंबई में हुए सीरियल बम ब्लास्ट और अजमेर ब्लास्ट का आरोपी 68 वर्षीय आतंकी डॉ. जलीस अंसारी 24 घंटे में ही पकड़ लिया गया। वो पैरोल पर था। शुक्रवार को उसकी पैरोल खत्म हो रही थी। इसी बीच गुरुवार की सुबह वो गायब हो गया था। गुरुवार को नमाज पढ़ने के बहाने घर से निकला था। हालांकि शुक्रवार को उसे कानपुर से पकड़ लिया गया। जलीस अंसाारी राजस्थान की अजमेर जेल में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा था। यह आतंकवादी इंडियन मुजाहिद्दीन और सिमी जैसे आतंकी संगठनों से जुड़ा हुआ था। अजमेर ब्लास्ट के मामले में जलीस को टाडा कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। 


ऐसे पकड़ा गया...
डॉ. जलीस अंसारी को दबोचने के लिए मुंबई और उप्र की STF टीम लगातार सर्चिंग कर रही थी। दरअसल, मुखबिर से खबर मिली थी कि डॉ. अंसारी कानपुर में देखा गया है। मुंबई STF ने पहले ही उसकी फोटो यूपी पुलिस को पहुंचा दी थी। शुक्रवार को वो रेलबाजार इलाके में स्थित फेथफुलगंज की एक मस्जिद में नमाज पढ़ने गया था। सिविल ड्रेस में STF की टीम मस्जिद के इर्द-गिर्द फैल गई। जैसे ही डॉ. अंसारी बाहर निकला, एक पुलिसवाले ने पीछे से आवाज दी- क्यों चाचा कैसे हो..हम जेल में साथ थे? यह सुनते ही डॉ. अंसारी घबरा गया। लेकिन उसके भागने की गुंजाइश न के बराबर थी। डॉ. अंसारी एक बच्चे का हाथ पकड़कर बाहर आया था।

बम बनाने की ट्रेनिंग देता था, इसलिए नाम पड़ा डॉ. बम
पुलिस के मुताबिक, आतंकी मुंबई के अग्रीपाड़ा इलाके के मोमिनपुरा का रहने वाला था। आतंकी 21 दिनों की पैरोल पर अजमेर जेल से मुंबई आया था। पैरोल के दौरान उसे रोज अग्रीपाड़ा पुलिस स्टेशन में सुबह 10.30 बजे से 12 बजे के बीच अपनी मौजूदगी दर्शानी पड़ती थी। बताते हैं कि वो गुरुवार सुबह 5 बजे लापता हो गया था। आशंका जताई गई थी कि वो अंडरग्राउंड हो गया है। आतंकी का बेटा जैद अंसारी गुरुवार दोपहर थाने पहुंचा था। उसे इसकी जानकारी दी। बेटे के मुताबिक, उसके पिता नमाज पढ़ने के बहाने घर से निकले थे। यह शिकायत मिलते ही मुंबई क्राइम ब्रांच और एटीएस ने बड़े स्तर पर छापामार कार्रवाई शुरू की। इसके बाद उसे कानपुर से पकड़ लिया गया। आतंकी जलीस 'डॉक्टर बम' के नाम से कुख्यात है। वह आतंकियों को बम बनाने की ट्रेनिंग देता था। 2008 में मुंबई में हुए बम विस्फोट मामले में भी एनआईए ने 2011 में जलीस से पूछताछ की थी।

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