अभिजीत 10 दिन तक तिहाड़ जेल में क्यों बंद थे, क्यों लगा था हत्या की कोशिश का आरोप

अभिजीत बनर्जी सोमवार की सुबह स्टॉकहोम से नोबेल पुरस्कार प्राप्त होने की खबर मिलते ही वह सोने चले गए। उन्हें उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और हार्वर्ड के प्रोफेसर माइकल क्रेमर के साथ अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला किया गया है।
 

Asianet News Hindi | Published : Oct 15, 2019 5:34 AM IST

न्यूयॉर्क. अभिजीत बनर्जी सोमवार की सुबह स्टॉकहोम से नोबेल पुरस्कार प्राप्त होने की खबर मिलते ही वह सोने चले गए। उन्हें उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और हार्वर्ड के प्रोफेसर माइकल क्रेमर के साथ अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला किया गया है।

तिहाड़ जेल में क्यों रहना पड़ा था

एक लेख में अभिजीत ने बताया था कि 1983 में वे अपने दोस्तों के साथ 10 दिनों के लिए तिहाड़ जेल में काटे थे। इसकी वजह यह थी कि 1983 में गर्मियों में जेएनयू छात्रों ने वाइस चांसलर का घेराव किया था। वे उस वक्त स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष को कैंपस से निष्कासित करना चाहते थे। तब कांग्रेस की सरकार थी। पुलिस ने सैकड़ों छात्रों को जेल में बंद कर दिया। दस दिन बाद बाहर आ गए। जेल में पिटाई भी हुई थी। लेकिन तब राजद्रोह जैसा मुकदमा नहीं लगा था। हत्या की कोशिश के आरोप लगे थे।"

"मैं इतनी सुबह नहीं उठता हूं" 

बनर्जी ने नोबेलप्राइज डॉट ऑर्ग को दिए साक्षात्कार में कहा, "हां, अहले सुबह की बात है। मैं इतनी सुबह नहीं जगता। मैंने सोचा कि अगर मैं सोया नहीं तो गड़बड़ हो जाएगी।" न्यूयॉर्क के समय के मुताबिक सोमवार सुबह छह बजे तीनों को 2019 के अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई।

लगातार आ रहे थे फोन

उन्होंने कहा कि वह ज्यादा नहीं सो पाए क्योंकि उनको सम्मानित करने की खबर भारत से यूरोप तक फैल गई और उन्हें फोन आने लगे। यह पूछने पर कि बनर्जी और डुफ्लो को विवाहित दंपति के तौर पर नोबेल हासिल हुआ है तो उन्होंने इसे विशेष करार दिया। नोबेल पुरस्कार के इतिहास में केवल पांच अन्य विवाहित दंपतियों को यह प्राप्त हुआ है।

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