किसान आंदोलन : 378 दिन बाद किसानों की दिल्ली बॉर्डर से रवानगी शुरू, 24 घंटे में कई ट्रैक्टर घरों के लिए निकले

378 दिनों तक सीमा पर डटे रहे इन किसानों ने अभी आंदोलन खत्म नहीं करने का ऐलान किया है, लेकिन पिछले 24 घंटे में तकरीबन 15 ट्रैक्टर किसानों के साथ बॉर्डर से घर वापसी के लिए निकल चुके हैं।

Asianet News Hindi | Published : Dec 10, 2021 10:22 AM IST

नई दिल्ली। 378 दिनों बाद गुरुवार को सरकार के लिए मंगल खबर आई। किसानों ने सरकार के प्रस्ताव को मानकर आंदोलन स्थगित करने की घोषणा कर दी। शुक्रवार सुबह होते-होते किसानों की दिल्ली के सिंघु और टीकरी बॉर्डर से रवानगी शुरू हो गई। कई किसानों के टेंट रात से ही उखड़ने शुरू हो गए थे। 
378 दिनों तक सीमा पर डटे रहे इन किसानों ने अभी आंदोलन खत्म नहीं करने का ऐलान किया है, लेकिन पिछले 24 घंटे में तकरीबन 15 ट्रैक्टर किसानों के साथ बॉर्डर से घर वापसी के लिए निकल चुके हैं। इससे पहले जीत की खुशी में किसानों ने टीकरी बॉर्डर पर जश्न मनाया। ढोल बजे और मिठाइयां भी बंटीं।  शुक्रवार दोपहर तक सिंघु बॉर्डर पर किसानों से भरा रहने वाला इलाका काफी हद तक खाली  हो चुका था। किसान संगठनों ने 15 दिसंबर को फिर एक बैठक करने की बात कही है। इसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। 

दोबारा प्रस्ताव भेजा, तब माने किसान
सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) को कई दिनों की बातचीत के साथ अपना प्रस्ताव दिया था। किसानों ने इसमें कुछ मांगे बढ़ाकर वापस सरकार को भेजा था। सरकार का रिवाइज्ड प्रपोजल किसानों ने मान लिया और ने गुरुवार को आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा कर दी। पंजाब के किसान तो 3 नए कृषि कानूनों की वापसी के बाद ही घर जाने को तैयार थे, लेकिन हरियाणा के किसान MSP पर कानून बनाने और दर्ज मुकदमों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए थे। आखिर में इन दोनों ही मुद्दों पर सहमति बन गई। अब पंजाब, हरियाणा के साथ बाकी राज्यों के किसान भी घर वापसी करेंगे। वापसी से पहले आंदोलन में काम करने वाले लोगों का सम्मान किया जा रहा है। हालांकि, किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि यदि सरकार ने अपनी बातों पर अमल नहीं किया तो फिर से आंदोलन शुरू होगा।   

26 नवंबर 2020 से चल रहा आंदोलन, 700 मौतें हुईं 
सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन की शुरुआत 26 नवंबर 2020 को हुई थी। उसके बाद किसानों ने एक साल तक दोनों ही बॉर्डर को अपना घर बनाए रखा। इनमें बहुत से किसान ऐसे हैं, जो आंदोलन के पहले दिन से ही यहां डटे रहे। एक दिन भी घर नहीं गए। ऐसे किसानों का मंच से गुरुवार को सम्मान भी किया गया। इस दौरान करीब 700 किसानों की अलग-अलग वजहों से मौत भी हुई। 

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