सार
तीनों कृषि कानून(AgricultureBill) रद्द होने के बाद भी किसान आंदोलन खत्म होने पर पेंच फंसा हुआ है। किसान संगठन सरकार से किसानों पर दर्ज केस वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं। आंदोलन खत्म होने के मामले में 8 दिसंबर को फिर संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukta Kisan Morcha) की सिंघु बॉर्डर पर बैठक हुई। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
नई दिल्ली.संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukta Kisan Morcha) ने आज यानी 8 दिसंबर को फिर सिंघु बॉर्डर पर बैठक की। इसमें सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर चर्चा हुई। सरकार चाहती है कि किसानों की सभी मांगें मान ली जाएंगी, पहले वे आंदोलन खत्म करें। जबकि किसान संगठन चाहते हैं कि पहले सरकार लिखित में उन्हें यह भरोसा दिलाए। इस बीच किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा-किसानों का विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार हमारी सभी मांगों को स्वीकार नहीं कर लेती। अगर हम अपना विरोध वापस लेते हैं तो हमारे लिए समस्या होगी, लेकिन वे मामले वापस नहीं लेते हैं। सरकार को मामलों को वापस लेने की समयसीमा घोषित करनी चाहिए।
देर शाम चढ़ूनी ने कहा कि सरकार हमें जो दूसरा ड्राफ्ट दे रही है, वह हमें मंजूर है। आगे की चर्चा कल की बैठक में की जाएगी।
SKM की 5 सदस्यीय समिति के सदस्य अशोक धवले ने कहा-हम सराहना करते हैं कि सरकार बातचीत के लिए तैयार है और लिखित में कुछ दे रही है। लेकिन प्रस्ताव में कुछ खामियां थीं, इसलिए कल रात, हमने इसे कुछ संशोधनों के साथ वापस भेज दिया और उनकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं। किसान संघ के सदस्यों सहित एमएसपी-केंद्रित समिति के गठन की आवश्यकता है। सरकार ने यह भी कहा कि आंदोलन खत्म करने के बाद हमारे खिलाफ दर्ज मामले वापस ले लिए जाएंगे, जो गलत है। हमें यहां ठंड में बैठना पसंद नहीं। सैद्धांतिक रूप से मुआवजे को मंजूरी दे दी गई है, हमें पंजाब मॉडल जैसा कुछ ठोस चाहिए। उन्होंने बिजली बिल को वापस लेने का भी वादा किया था, लेकिन अब वे हितधारकों के साथ इस पर चर्चा करना चाहते हैं और फिर इसे संसद में रखना चाहते हैं। यह विरोधाभासी है।
सरकार से कुछ बिंदुओं पर जवाब मांगा है
संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukta Kisan Morcha) की 7 दिसंबर को भी बैठक हुई थी। इसमें SKM ने सरकार से उसके द्वारा भेजे गए प्रस्ताव के कुछ बिंदुओं पर स्पष्टिकरण मांगा है। सरकार ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) की कानून गारंटी की मांग पर एक समिति का गठन करेगी। इसमें SKM के बाहर के किसान संगठन, सरकारी अधिकारी और राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
किसान नेताओं ने कहा
पिछले एक साल से जारी किसान आंदोलन (Kisan Andolan) खत्म करने और अपनी मांगों को लेकर 7 दिसंबर को हुई SKM की बैठक के बाद किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि केंद्र की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव के मसौदे पर अभी पूरी तरह सहमति नहीं बनी है। उधर, किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने प्रस्ताव दिया था कि सारी बातें मान ली जाएंगी, आप उठ जाइए। MSP पर कमेटी बनाएंगे। लेकिन अब तक कुछ स्पष्ट नहीं है।
किसानों की प्रमुख मांगें
- MSP की गारंटी का कानून बनाया जाए।
- किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लिया जाए।
- बिजली बिल और पराली बिल को निरस्त किया जाए।
- लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा के पिता और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त किया जाए।
- आंदोलन के दौरान शहीद किसानों के परिवारों को मुआवजा मिले।
यह भी जानें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गुरुनानक देवजी की 552वीं जयंती(Guru Nanak Jayanti 2021) पर 19 नवंबर को तीनों कृषि कानून(AgricultureBill) रद्द करने का ऐलान किया था। इसके बाद संसद के शीतकालीन सत्र(winter session of parliament) के पहले ही दिन 29 नवंबर को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra singh Tomar) ने कृषि कानून समाप्त करने वाले विधेयक 2021 को दोनों सदनों में पेश कर दिया था। उसे मंजूरी के बाद राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर करने भेज दिया था।
यह भी पढ़ें
Farmers Protest: सिंघु बॉर्डर पर किसान संगठनों की बैठक, 'जब तक केस वापस नहीं, घर वापसी नहीं होगी'
लोकसभा में लिस्ट दिखाकर राहुल बोले - PM ने मांगी है माफी, आंदोलन में मारे गए किसानों को मिले मुआवजा और रोजगार
लेह में प्रति व्यक्ति रोज 1.2 KG कचरा पैदा कर रहा, नीति आयोग के CEO बोले- वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम सभी जगह जरूरी