सार
संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukta Kisan Morcha) की सिंघु बॉर्डर पर 7 दिसंबर को फिर बैठक हुई। इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) और किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। किसान नेताओं का कहना है कि जब तक किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस नहीं होते, आंदोलन जारी रहेगा।
नई दिल्ली. संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukta Kisan Morcha) की सिंघु बॉर्डर पर 7 दिसंबर को फिर बैठक हुई। किसान नेताओं का आरोप है कि सरकार आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश कर रही है। नेताओं ने कहा कि 4 दिसंबर को हुई बैठक में मोर्चा ने न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) आदि मुद्दे को लेकर अपनी तरफ से 5 नाम सरकार को भेज दिए थे, लेकिन बातचीत का अभी तक कोई न्यौता नहीं मिला है। इस बीच सड़क खाली करने को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है। किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने बैठक से पहले कहा-हमने 5 सदस्यीय समिति बनाई है जिससे सरकार हमारे मुद्दों पर बात कर स्पष्ट करे लेकिन कल तक उनसे कोई बात नहीं हुई। आज हमारी बैठक है, बैठक में हम समिति से पूछेंगे और वो जो रिपोर्ट करेंगे उसके आधार हम आगे काम करेंगे। केस वापस नहीं होंगे तो घर वापसी नहीं होगी।
इन मुद्दों पर अड़े हुए हैं किसान
तीनों कृषि कानून(AgricultureBill) रद्द होने के बावजूद किसान संगठन आंदोलन पर अड़े हुए हैं। किसान नेता राकेश टिकैत MSP पर गारंटी नहीं मिलने तक आंदोलन पर अड़े रहने की बात कह चुके हैं, हालांकि पंजाब के किसान आंदोलन खत्म करने की बात करते आ रहे हैं। BKU प्रवक्ता राकेश टिकैत कह चुके हैं कि भारत सरकार जब तक चाहेगी तब तक ये आंदोलन चलता रहेगा। मोर्चा ने सरकार से बातचीत के लिए 5 सदस्यों की टीम बनाई है। इसमें-पंजाब से बलबीर राजेवाल,हरियाणा से गुरनाम सिंह चढूनी, उत्तर प्रदेश से युद्धवीर सिंह,मध्य प्रदेश से शिव कुमार कक्का और महाराष्ट्र से अशोक धवले शामिल हैं। किसान नेता MSP पर कानून, मृतक किसानों के परिजनों को मुआवजा आदि जैसी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं।
सुप्रीम कोर्ट में सड़कें खोलने को लेकर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली की सड़कों को खोलने की मांग पर सुनवाई चल रही है। इससे पहले 21 अक्टूबर को सुनवाई हुई थी। पिछले एक साल से जारी आंदोलन के चलते सड़कें बाधित हैं। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गुरुनानक देवजी की 552वीं जयंती(Guru Nanak Jayanti 2021) पर 19 नवंबर को तीनों कृषि कानून(AgricultureBill) रद्द करने का ऐलान किया था। इसके बाद संसद के शीतकालीन सत्र(winter session of parliament) के पहले ही दिन 29 नवंबर को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra singh Tomar) ने कृषि कानून समाप्त करने वाले विधेयक 2021 को दोनों सदनों में पेश कर दिया था। उसे मंजूरी के बाद राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर करने भेज दिया था।
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