अपनी बेबाकी के लिए दुनियाभर में चर्चित प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 दिसंबर को दिल्ली स्थित मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में 'वीर बाल दिवस-Veer Bal Diwas' के ऐतिहासिक कार्यक्रम में औरंगजेब की ऐसी खिंचाई कर दी कि मुद्दा सोशल मीडिया खासकर; twitter पर ट्रेंड पकड़ गया है।
नई दिल्ली. अपनी बेबाकी के लिए दुनियाभर में चर्चित प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 दिसंबर को दिल्ली स्थित मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में 'वीर बाल दिवस-Veer Bal Diwas' के ऐतिहासिक कार्यक्रम में औरंगजेब की ऐसी खिंचाई कर दी कि मुद्दा सोशल मीडिया खासकर; twitter पर ट्रेंड पकड़ गया है। बता दें कि मुगल साम्राज्य का छठवें बादशाह(1658 से 1707 तक शासन किया) मुहिउद्दीन मोहम्मद, जिसे आम तौर पर औरंगज़ेब या आलमगीर के नाम से जाना जाता था, भारत में मुगल शासकों में सबसे क्रूर शासक के तौर पर माना जाता है। पढ़िए आखिर मामला क्या है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'वीर बाल दिवस' कार्यक्रम में बोलते हुए औरंगजेब की खिंचाई कर दी। उन्होंने कहा कि मुगल बादशाह और उनके लोग तलवार के बल पर गुरु गोबिंद सिंह के बच्चों का धर्म परिवर्तन करना चाहते थे। मोदी के भाषण के कुछ देर बाद ही ट्विटर पर औरंगजेब ट्रेंड करने लगा था।
मोदी ने कहा-इतिहास से लेकर किंवदंतियों तक, हर क्रूर चेहरे के सामने महानायकों और महानायिकाओं के भी एक से एक महान चरित्र रहे हैं। लेकिन ये भी सच है कि, चमकौर और सरहिंद के युद्ध में जो कुछ हुआ, वो ‘भूतो न भविष्यति' था। एक ओर धार्मिक कट्टरता में अंधी इतनी बड़ी मुगल सल्तनत,
दूसरी ओर, ज्ञान और तपस्या में तपे हुए हमारे गुरु, भारत के प्राचीन मानवीय मूल्यों को जीने वाली परंपरा! चमकौर और सरहंद की लड़ाई वास्तव में अविस्मरणीय है। ये 3 शताब्दी पहले हमारी भूमि पर हुआ था। लेकिन अतीत इतना पुराना नहीं है कि भुला दिया जाए। इन सभी के बलिदानों को हमेशा याद रखा जाएगा।
मोदी ने कहा-एक ओर आतंक की पराकाष्ठा, तो दूसरी ओर आध्यात्म का शीर्ष ! एक ओर मजहबी उन्माद, तो दूसरी ओर सबमें ईश्वर देखने वाली उदारता! इस सबके बीच, एक ओर लाखों की फौज, और दूसरी ओर अकेले होकर भी निडर खड़े गुरु के वीर साहिबजादे! ये वीर साहिबजादे किसी धमकी से डरे नहीं, किसी के सामने झुके नहीं। अगर हमें भारत को भविष्य में सफलता के शिखरों तक लेकर जाना है, तो हमें अतीत के संकुचित नजरियों से भी आज़ाद होना होगा। इसलिए, आजादी के 'अमृतकाल' में देश ने 'गुलामी की मानसिकता से मुक्ति' का प्राण फूंका है। उस दौर की कल्पना करिए! औरंगजेब के आतंक के खिलाफ, भारत को बदलने के उसके मंसूबों के खिलाफ, गुरु गोविंद सिंह जी पहाड़ की तरह खड़े थे।
लेकिन, जोरावर सिंह साहब और फतेह सिंह साहब जैसे कम उम्र के बालकों से औरंगजेब और उसकी सल्तनत की क्या दुश्मनी हो सकती थी? वो दीवार में जिंदा चुन गए, लेकिन उन्होंने उन आततायी मंसूबों को हमेशा के लिए दफन कर दिया। वो दीवार में जिंदा चुन गए, लेकिन उन्होंने उन आततायी मंसूबों को हमेशा के लिए दफन कर दिया। साहिबजादों ने इतना बड़ा बलिदान और त्याग किया, अपना जीवन न्यौछावर कर दिया, लेकिन इतनी बड़ी 'शौर्यगाथा' को भुला दिया गया। लेकिन अब 'नया भारत' दशकों पहले हुई एक पुरानी भूल को सुधार रहा है। क्लिक करके पढ़ें यह भी
मोदी ने मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम में 'वीर बाल दिवस' के अवसर पर संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित एक ऐतिहासिक कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने लगभग तीन सौ बाल कीर्तनियों द्वारा किए गए 'शब्द कीर्तन' में भाग लिया। प्रधानमंत्री ने इस महत्वपूर्ण अवसर पर दिल्ली में लगभग तीन हजार बच्चों द्वारा मार्च-पास्ट को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। मार्च-पास्ट मेजर ध्यानचंद स्टेडियम से इंडिया गेट (कर्तव्य पथ) तक निकाला गया।
प्रधानमंत्री ने श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के दिन, 9 जनवरी, 2022 को घोषणा की थी कि श्री गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों-साहिबजाद बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी की शहादत की स्मृति में 26 दिसंबर को 'वीर बाल दिवस' के रूप में मनाया जाएगा।
सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आज पहला वीर बाल दिवस मना रहा है। जिस दिन को, जिस बलिदान को हम पीढ़ियों से याद करते आए हैं, आज एक राष्ट्र के रूप में उसे एकजुट नमन करने के लिए एक नई शुरुआत हो रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, "शहीदी सप्ताह और वीर बाल दिवस केवल भावनाओं का पिटारा नहीं है बल्कि अनंत प्रेरणा का स्रोत है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि वीर बाल दिवस हमें याद दिलाएगा कि शौर्य की पराकाष्ठा के समय कम आयु मायने नहीं रखती, जब अत्यधिक वीरता और बलिदान की बात आती है तो उम्र कोई मायने नहीं रखती। वीर बाल दिवस हमें राष्ट्र के सम्मान की रक्षा के लिए दस सिख गुरुओं के अपार योगदान और सिख परंपरा के बलिदान की याद दिलाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा, “वीर बाल दिवस हमें बताएगा कि भारत क्या है और इसकी पहचान क्या है और हर साल वीर बाल दिवस हमें अपने अतीत को पहचानने और अपना भविष्य बनाने के लिए प्रेरित करेगा। यह हमारी युवा पीढ़ी की ताकत के बारे में भी सभी को याद दिलाएगा।” प्रधानमंत्री ने वीर साहिबजादों, गुरुओं और माता गुर्जरी को कृतज्ञ श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा, "मैं इसे अपनी सरकार का सौभाग्य मानता हूं कि हमें 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस घोषित करने का अवसर मिला।"
केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री हरदीप पुरी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और मीनाक्षी लेखी भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहे।
इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि हमारा देश उन वीरों की भूमि है, जिन्होंने अपने देश, धर्म और स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी, ऐसे वीरों के कार्यों को याद रखना और उनके प्रति कृतज्ञ रहना हमारा कर्तव्य है। स्वतंत्रता सेनानी राजगुरु का उदाहरण देते हुए शिंदे ने कहा कि महाराष्ट्र राज्य ने भी कई वीरों और शहीदों को जन्म दिया है, जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए अपना बलिदान दिया। और केवल इस समय उनके बलिदानों को महत्व दिया जा रहा है और दुनिया के सामने लाया जा रहा है।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि साहिबजादों-बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी के सर्वोच्च बलिदान को प्रधानमंत्री ने आज दुनिया के सामने ला दिया है। उन्होंने पंजाब के पवित्र शहर अमृतसर में जी20 के दो सम्मेलनों की मेजबानी का अवसर देने के लिए भी प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, "दुनिया भर से लोग आएंगे और हम उन्हें दरबार साहब, जलियांवाला बाग और वाघा बॉर्डर की परेड दिखाएंगे।" (PIB से साभार)
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