पूर्वोत्तर को देश का विकास इंजन बनाने के लिए काम कर रही है केन्द्र सरकार: सर्बानंद सोनोवाल

केंद्र सरकार पूर्वोत्तर क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वर्ष 2014 से ही भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूर्वोत्तर क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने के साथ - साथ देश के विकास के लिए काम कर रहे हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 27, 2021 4:22 PM IST

गुवाहाटी. केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग तथा आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने  गुवाहाटी में विकास के लिए इंजन के रूप में जलमार्ग पर आयोजित एक हितधारक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर को देश का विकास इंजन बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है और यह क्षेत्र विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।

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केंद्र सरकार पूर्वोत्तर क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वर्ष 2014 से ही भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूर्वोत्तर क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने के साथ - साथ देश के विकास के लिए काम कर रहे हैं। इस क्षेत्र में जलमार्ग संपर्क पर काफी ध्यान दिया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप अब हम मोंगला और चटगांव बंदरगाह आसानी से पहुंच सकते हैं। उन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र के हितधारकों से इस सम्मेलन और सभी प्राथमिकताओं का लाभ उठाने का आग्रह किया, जिससे फलस्वरूप इस क्षेत्र के उत्पादों को विदेशों में निर्यात किया जा सकता है।

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पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय भी ब्रह्मपुत्र में नदी पर्यटन तथा वॉटर स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए पहल कर रहा है, इसके तहत मंत्रालय ने पर्यटक घाटों के विकास के लिए 7 अस्थायी स्थानों (ओरियम घाट, भूपेन हजारिका सेतु, तेजपुर में कोलिया भोमोरा पुल, बोगीबील सेतु, दिखोमुख, कलोंगमुख और उजानबाजार) की पहचान की है। पर्यटकों के लिए घाटों के निर्माण से रिवर क्रूज पर्यटन की सुविधा उपलब्ध होगी, स्थानीय रोजगार सृजित होंगे तथा स्थानीय व्यापार में भी वृद्धि होगी। ये घाट जोगीघोपा, पांडु, नियामती और विश्वनाथ घाट पर चार पर्यटक घाटों के अतिरिक्त होंगे, जिन्हें पहले ही मंजूरी मिल चुकी है।


वहीं, इस मौके पर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि यह सम्मेलन इन विचारों को समझने तथा सीखने का मंच है कि आर्थिक विकास के लिए जल संसाधनों का उपयोग कैसे किया जा सकता है और इस तरह की चर्चा के माध्यम से विचारों को साझा करने से पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों को अपने उत्पाद के लिए बाजार प्राप्त करने में भी मदद मिल सकती है।

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