बीजेपी को सत्ता में लाने में पीवी नरसिम्हा राव का विशेष योगदान...कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के विवादित बयान पर संबित पात्रा ने बोला हमला

विवादित बयानों के लिए प्रसिद्ध अय्यर ने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को बाबरी मस्जिद विध्वंस पर चुप्पी साधने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश की दिशा को धर्मनिरपेक्ष रास्ते से हटाकर सांप्रदायिकता के रास्ते पर ले जाने वाला था।

Dheerendra Gopal | Published : Aug 24, 2023 4:03 PM IST

Mani Shankar Aiyar controversial statement: राजनयिक से राजनीतिज्ञ बने पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने एक बार फिर कांग्रेस को असहज स्थिति में डाल दिया है। विवादित बयानों के लिए प्रसिद्ध अय्यर ने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को बाबरी मस्जिद विध्वंस पर चुप्पी साधने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश की दिशा को धर्मनिरपेक्ष रास्ते से हटाकर सांप्रदायिकता के रास्ते पर ले जाने वाला था। कांग्रेस नेता अय्यर ने अपनी किताब आत्मकथा 'मेमोयर्स ऑफ ए मेवरिक' के लॉन्च के दौरान कही है। उन्होंने पीवी नरसिम्हा राव को देश का पहला बीजेपी प्रधानमंत्री करार दिया।

राजीव गांधी की हत्या के बाद पीवी नरसिम्हा राव ने संभाला था पीएम पद

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21 मई 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की श्रीपेरंबदुर में मानव बम ब्लास्ट कर लिट्टे ने हत्या करा दी थी। हत्या, लोकसभा चुनाव के दौरान की गई। 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस ने सरकार बनाई तो पीवी नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री बनाया गया। दरअसल, राजीव गांधी की हत्या के बाद गमजदा गांधी परिवार ने खुद को राजनीति से अलग कर लिया था। पीवी नरसिम्हा राव 1991 से 1996 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, तब नरसिम्हा राव सरकार में देश के वित्त मंत्री बनाए गए। नरसिम्हा राव सरकार, भारत में हुए आर्थिक सुधारों को लागू करने की पहल के लिए जानी जाती है। 1991 में आर्थिक उदारीकरण सुधारों की शुरुआत हुई थी। हालांकि, 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के दौरान नरसिम्हा राव सरकार की चुप्पी ने कई सवाल खड़े किए। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद पूरे देश में सांप्रदायिकता की आग फैल गई। हिंदी पट्टी में इस वजह से सबसे अधिक अशांति रही।

अय्यर ने अब बयान देकर विवाद खड़ा किया

गुरुवार को कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने अपनी आत्मकथा लांच के दौरान पीवी नरसिम्हा राव सरकार को सांप्रदायिकता की आग में देश को झोकने का आरोप लगाकर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया। मीडिया से बातचीत में अय्यर ने कहा कि राव बाबरी मस्जिद मुद्दे को डील करते समय कांग्रेस पार्टी के सिद्धांतों से भटक गए। पीवी नरसिम्हा राव ने लगातार लालकृष्ण आडवाणी के दृष्टिकोण को स्वीकार किया। बाबरी मस्जिद विवाद पर वह कई धार्मिक हस्तियों के साथ परामर्श में लगे रहे। विध्वंस और हिंसा के बाद उन्होंने कांग्रेस संसदीय समिति से संपर्क किया।

प्राचीन परंपराओं के हिसाब से राजाओं की तरह निर्णय लिया

अय्यर ने कहा कि प्राचीन समय में हमारे राजा होते थे वह पुजारियों व संत-महात्माओं से सलाह लेते थे। ऐतिहासिक रूप से, संत राजा के निर्देशों का पालन करते थे। लोकतांत्रिक सरकार में प्रधानमंत्री होने के बाद भी कुछ ऐसे ही तरह पीवी नरसिम्हा राव भी शायद चले होते लेकिन वह कांग्रेस सरकार के पीएम थे। यह अलग बात है कि वह कांग्रेस सरकार में प्रधानमंत्री थे इसलिए लोकतांत्रिक तरीके से निर्णय लिए लेकिन अगर वह बीजेपी सरकार में प्रधानमंत्री रहते तो उनका ध्यान पूरी तरह से धार्मिक शख्सियतों पर निर्भर होता। उनके नेतृत्व में बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया जिससे देश की धर्मनिरपेक्ष नींव कमजोर हो गई। इससे वर्तमान सत्ताधारी पार्टी को सत्ता में आने में मदद मिली।

संबित पात्रा ने की आलोचना

अय्यर के बयान की भाजपा ने तीखी आलोचना की और कहा कि उनके दृष्टिकोण गांधी परिवार के विचारों से मेल खाते हैं। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि यह पहचानना जरूरी है कि भले ही मणिशंकर अय्यर इन विचारों को व्यक्त और पेश कर रहे हों लेकिन अवधारणाएं और लक्ष्य गांधी परिवार को प्रतिबिंबित करते हैं। वह किसी अन्य की तुलना में गांधी परिवार का अधिक प्रतिनिधित्व करते हैं। संबित पात्रा ने कहा कि जैसे-जैसे 2024 का लोकसभा चुनाव करीब आ रहा है, 'मुकुट मणि' (मणिशंकर अय्यर) फिर से सामने आ गए है। इस बार उन्होंने न सिर्फ भाषण दिया बल्कि एक किताब भी लिखी। उन्होंने विशेष रूप से तीन 'पी' पर जोर दिया - परिवारवाद (वंशवादी राजनीति), पक्षपात (पूर्वाग्रह), और पाकिस्तान...। मणिशंकर अय्यर ने गठबंधन (भारत) के सार को लिखित रूप में समझाया है। पात्रा ने कहा कि पीवी नरसिम्हा राव कांग्रेस के प्रधान मंत्री थे। लेकिन उनके प्रति अय्यर की भाषा यह दर्शाती है कि गांधी परिवार के प्रवक्ता को गांधी परिवार के अलावा किसी अन्य को पीएम की भूमिका में स्वीकार नहीं कर सकते, भले ही वह कांग्रेस का ही क्यों न हो।

 

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