Covid Task Force के चेयरमैन ने कहा- Covaxin का असर बच्चों पर अच्छा, लगवाना जरूरी

कोविड-19 टास्क फोर्स के चेयरमैन डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा है कि बच्चों के लिए टीका जरूरी है। उन्होंने कहा कि ट्रायल के दौरान कोवैक्सिन ने बच्चों की रोग निरोधी क्षमता पर अच्छा असर दिखाया था।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा कोरोना से बचाव के लिए 15-18 साल के बच्चों को भी कोरोना का टीका (Covid-19 Vaccine) लगाने के फैसले के बाद अब इस बात पर बहस छिड़ गई है कि यह फैसला सही है या नहीं। कुछ डॉक्टर इसके पक्ष में नहीं है। AIIMS के सीनियर डॉक्टर संजय के. राय ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे अनसाइंटिफिक यानी अवैज्ञानिक बताया है। वहीं, बहुत से विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को कोरोना का टीका लगाने का फैसला सही है।

इसी क्रम में केंद्र सरकार की कोविड-19 टास्क फोर्स (Covid Task Force) के चेयरमैन डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा है कि बच्चों के लिए टीका जरूरी है। उन्होंने कहा कि ट्रायल के दौरान कोवैक्सिन (Covaxin) ने बच्चों की रोग निरोधी क्षमता पर अच्छा असर दिखाया था। 15-18 साल के उम्र के बच्चे बहुत हद तक वयस्कों जैसे होते हैं। बच्चों को भी बड़ों की तरह ही 4 सप्ताह के अंतर पर वैक्सीन की दोनों डोज दी जाएंगी। 

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15-18 साल के बच्चों का टीकाकरण जरूरी
डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा कि देश के भीतर हमारा शोध यह कहता है कि भारत में COVID के कारण मरने वालों में से लगभग दो-तिहाई लोग इस आयु वर्ग के थे। इसलिए 15-18 साल के किशोरों को टीका लगाने का फैसला उनकी सुरक्षा के चलते लिया गया है। किशोर काफी सक्रिय रहते हैं। उन्हें स्कूल और कॉलेज जाना होता है। इसके चलते उनके संक्रमित होने का जोखिम अधिक है। ओमिक्रॉन का संक्रमण फैलने के बाद यह खतरा और बढ़ गया है। किशोरों के संक्रमित होने से घरों में संक्रमण फैलने का खतरा रहता है जहां बुजुर्ग और बीमार व्यक्ति हो सकते हैं। इस सब को देखते हुए देश ने 15 से 18 साल के बच्चों के लिए टीकाकरण शुरू करने का फैसला किया गया है। 

किशोरों के लिए नए साल का तोहफा है टीका
डॉ. अरोड़ा ने कहा कि भारत के औषधि महानियंत्रक (Drugs Controller General of India) ने 15-18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए भारत बायोटेक के कोवैक्सिन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी है। परीक्षण के दौरान टीके ने अच्छी प्रतिक्रिया दिखाई है। वयस्कों की तुलना में बच्चों में इसका बेहतर रिजल्ट देखने को मिला है। यह टीका सुरक्षित है। यहां तक कि दर्द, बाजुओं में सूजन जैसे स्थानीय प्रभाव भी वयस्कों की तुलना में बच्चों में बहुत कम होते हैं। स्कूल खुल गए हैं। बहुत सारे माता-पिता अभी भी अपने बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं। टीका लगने से वे बच्चों की सुरक्षा के प्रति निश्चिंत हो पाएंगे। मैं कहूंगा कि यह हमारे किशोरों के लिए नए साल का एक शानदार उपहार है।


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