पंजाब की AAP सरकार पर लगातार आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। राज्य का खजाना खाली हो चुका है। पंजाब सरकार के कर्मचारियों को आमतौर पर महीने की पहली तारीख को सेलरी मिल जाती थी, लेकिन अब हफ्तेभर तक इंतजार करना पड़ा रहा है। पढ़िए कैसे श्रीलंका जैसा हाल करा बैठी AAP सरकार...
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने राज्यों का राजस्व घाटा पूरा करने 6 सितंबर को अनुदान की छठवीं किस्त रिलीज की। यानी 7183 करोड़ ट्रांसफर किए गए। इसमें पंजाब भी शामिल है। बावजूद इसके नहीं लगता कि फिलहाल पंजाब की आर्थिक हालत सुधरेगी। राज्य का खजाना खाली हो चुका है। पंजाब सरकार के कर्मचारियों को आमतौर पर महीने की पहली तारीख को सेलरी मिल जाती थी, लेकिन अब हफ्तेभर तक इंतजार करना पड़ा रहा है। जानिए क्यों आर्थिक संकट में बढ़ रही पंजाब की AAP की सरकार...
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने उठाया सवाल
पंजाब सरकार के आर्थिक संकट में घिरने पर केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू(Kiren Rijiju) ने tweet करके बड़ा सवाल उठाया है। रिजिजू ने लिखा-ए. केजरीवाल भारत को विश्व में नंबर एक बनाना चाहते हैं, लेकिन उन्होंने एक साल के भीतर पंजाब के लिए क्या किया है? दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है और दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय भारत की औसत प्रति व्यक्ति आय से तीन गुना अधिक है। किरेन रिजिजू ने दो टूक कहा कि भारी राजस्व फालतू में बर्बाद हो जाता है!
GST को लेकर रोना
सरकार आमतौर पर हर महीने की पहली तारीख को पिछले महीने के वेतन का भुगतान करती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। हालांकि इस मामले से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि जीएसटी मुआवजा व्यवस्था खत्म होने के बाद से ही सरकार फंड की कमी से जूझ रही है। राज्य को पिछले वित्त वर्ष में केंद्र से जीएसटी मुआवजे के रूप में 16,000 करोड़ रुपए मिले थे। अधिकारियों ने कहा कि AAP सरकार इस साल मार्च में सत्ता में आने के बाद से समय पर वेतन का भुगतान कर रही है और यह पहली बार है, जब वेतन में देरी हुई है। राज्य का वार्षिक वेतन बिल (मौजूदा वित्तीय बजट में दर्शाया गया) हर महीने 31,171 करोड़ रुपये या लगभग 2,597 करोड़ रुपये आंका गया है।
पंजाब सरकार ने संविदा और तदर्थ कर्मचारियों(contractual and ad hoc employees) को समाहित कर कर्मचारियों के विशेष संवर्ग को मौजूदा संख्या में जोड़ने की नई नीति को अपनी मंजूरी दे दी थी। इससे सरकारी खजाने पर 400 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
बिजली सब्सिडी के लिए 20,000 करोड़ रुपये का मोटा बिल इस साल राज्य में पहले से ही है। इसमें 18,000 करोड़ रुपये मुफ्त कृषि बिजली, उद्योगों को सब्सिडी और आप सरकार द्वारा घरेलू उपयोगकर्ताओं को हर महीने 300 यूनिट बिजली मुफ्त उपलब्ध कराने के चुनावी वादे को पूरा करना शामिल है। वहीं, उपभोक्ताओं के दिसंबर तक के लंबित बिजली बिल माफ किए जा रहे हैं। इस पर भी 1298 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
पंजाब सरकार ने केंद्र मांगा था 1 लाख करोड़ का पैकेज
कर्ज और सब्सिडी(फ्री की स्कीमें) के बोझ से पंजाब सरकार पर आर्थिक संकट बढ़ता जा रहा है। पंजाब के सीएम भगवंत मान ने इस स्थिति से उबरने के लिए केंद्र सरकार से 1 लाख करोड़ के पैकेज की मांग की थी। नीति आयोग की मीटिंग में उन्होंने यह मांग रखी थी। पंजाब में फ्री की योजनाओं ने राजस्व पर बुरा असर डाला है। जैसे-हर घर को 300 यूनिट मुफ्त बिजली प्रति महीने देने का ऐलान किया गया है। इसके अलावा भी कई योजनाओं की घोषणाएं हुई हैं। हैरानी की बात यह है कि भगवंत मान ने ऐसे वक्त में यह मांग की है, जब उनकी सरकार 9,000 करोड़ का सब्सिडी बिल तक अदा नहीं कर सकी है। सरकारी विभागों पर भी 2,600 करोड़ रुपये का एरियर बकाया बताया जाता है।
बता दें कि रिजर्व बैंक की एक स्टडी में खुलासा किया गया था कि पंजाब उन 5 राज्यों में शामिल हैं, जहां आर्थिक संकट गहराया हुआ है। इसके लिए मुफ्त सुविधाओं वाली स्कीमों को जिम्मेदार ठहराया गया है।भगवंत मान ने पंजाब के सीएम की शपथ लेने के तत्काल बाद ही 25 मार्च को दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात करके 1 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की मांग की थी।
पंजाब पर 12000 करोड़ का कर्ज
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा का कहना है कि पंजाब में सुधार के बड़े-बड़े दावे करने वाली AAP सरकार के पास सरकारी कर्मचारियों का वेतन और गन्ना किसानों की अदायगी तक के लिए पैसा नहीं है। भगवंत मान पांच महीने में 12000 करोड़ से अधिक का कर्ज ले चुके हैं। पंजाब पर पहले से ही तीन लाख करोड़ का कर्ज है। चौंकाने वाली बात यह है कि भगवंत मान अब 36000 कर्मचारियों को भी नियमित करने का ऐलान कर रहे हैं, जबकि वेतन के लिए पैसा नहीं है।
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