बाटला हाउस एनकाउंटर केस में सोमवार को दिल्ली के साकेत कोर्ट ने आतंकी आरिज खान को मौत की सजा सुनाई है। इससे पहले दिल्ली कोर्ट ने इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी आरिज खान को दोषी करार दिया था। आरिज को आर्म्स ऐक्ट की धारा 27 के तहत भी दोषी माना गया है।
नई दिल्ली. बाटला हाउस एनकाउंटर केस में सोमवार को दिल्ली के साकेत कोर्ट ने आतंकी आरिज खान को मौत की सजा सुनाई है। इतना ही नहीं कोर्ट ने इस केस को रेयरेस्ट ऑफ द रेयर बताया। इससे पहले दिल्ली कोर्ट ने इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी आरिज खान को दोषी करार दिया था। आरिज को आर्म्स ऐक्ट की धारा 27 के तहत भी दोषी माना गया है। कई सालों तक फरार रहने के बाद आरोपी को फरवरी 2018 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने ने गिरफ्तार किया था।
इससे पहले जज ने आरिज को दोषी करार देते हुए 8 मार्च को कहा था कि यह साबित हो चुका है कि आरिज खान और उसके सहयोगियों ने जान-बूझकर सरकारी कर्मचारियों को चोट पहुंचाई। इतना ही नहीं आरिज ने इंस्पेक्टर एमसी शर्मा पर गोली चलाई जिससे उनकी मौत गई। इस मामले में एक और आरोपी शहजाद को पहले ही उम्रकैद की सजा हो चुकी है।
दिल्ली में 5 जगहों पर हुए थे ब्लास्ट
13 सिंतबर साल 2008 में दिल्ली के करोल बाग, कनॉट प्लेस, इंडिया गेट और ग्रेटर कैलाश में 5 जगहों पर बम धमाके हुए थे। इसमें 39 लोग मारे गए थे। जबकि 159 लोग जख्मी हुए थे। वहीं, इस मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 19 सितंबर को सुबह दिल्ली के बाटला में एक एनकाउंट किया था। इसमें दो आतंकी मारे गए थे। जबकि दो को गिरफ्तार किया गया था। एक आतंकी मौके से फरार हो गया था। इनमें से दो आतंकी आजमगढ़ के थे।
पुलिस के मुताबिक, ये आतंकी इंडियन मुजाहिद्दीन के थे और बम धमाकों में इनका ही हाथ था। आरिज अपने साथी साजिद के साथ दिल्ली की लाजपत राय मार्केट से अलार्म घड़ी, सर्किट वायर, प्रेशर कुकर और दूसरे सामान लाया। जिसके बाद उसने आतिफ आमीन के साथ जीके एम ब्लॉक मार्केट में बम रखा।
एनकाउंटर पर हुई राजनीति, पुलिस पर फेक एनकाउंटर के आरोप लगे
इस एनकाउंटर में टीम लीड कर रहे मोहन चंद्र शर्मा को तीन गोलियां लगी थीं। इसके बाद वे शहीद हो गए थे। इस एनकाउंटर को राजनीतिक पार्टियों और मानवाधिकार संगठनों ने फेक बताया। दिल्ली हाईकोर्ट ने जांच के आदेश भी दिए थे। लेकिन बाद में दिल्ली पुलिस को क्लीन चिट मिली थी। 2013 में अदालत ने शर्मा की हत्या के आरोप में शहजाद अहमद को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।