माता-पिता की सहमति बिना न खुलेंगे बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट, होंगे ये बदलाव

Published : Jan 04, 2025, 07:02 AM ISTUpdated : Jan 04, 2025, 07:07 AM IST
school girl checking her phone

सार

सरकार नए डिजिटल नियम ला रही है, जिसमें 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया अकाउंट बनाने हेतु माता-पिता की सहमति अनिवार्य होगी। डेटा सुरक्षा और पारदर्शिता पर ज़ोर दिया जाएगा, उल्लंघन पर भारी जुर्माना भी।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार सोशल मीडिया और इंटरनेट से जुड़े मामलों को लेकर नए नियम बनाने जा रही है। इसके लिए डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2023 लाया जाएगा। नए बदलाव के अनुसार 18 साल के कम उम्र के बच्चों को अपना सोशल मीडिया अकाउंट बनाने के लिए माता-पिता की सहमति लेनी होगी।

केंद्र ने शुक्रवार को डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2023 के मसौदा नियमों को प्रकाशित किया। MeitY (Ministry of Electronics and Information Technology) ने बताया है कि आम लोग मसौदा पर अपनी राय दे सकते हैं। बता सकते हैं कि क्या बदलाव किए जाने चाहिए। MyGov.in पर जाकर आम लोगों को अपनी राय दर्ज कराने का मौका दिया गया है। 18 फरवरी 2025 के बाद इन सुझावों पर सरकार गौर करेगी।

इंटरनेट पर व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग रोकेंगे नए नियम

सोशल मीडिया पर दी जाने वाली व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग बढ़ा है। बच्चे इसके शिकार हो रहे हैं। इसे देखते हुए सरकार सख्त कानून बना रही है। नए नियमों के तहत बच्चों और विकलांग लोगों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए सख्त उपाय किए गए हैं। व्यक्तिगत डेटा संभाल रही संस्थाओं को नाबालिगों से संबंधित किसी भी व्यक्तिगत डेटा को प्रोसेस करने से पहले माता-पिता या अभिभावक की सहमति लेनी होगी।

सहमति सत्यापित करने के लिए सरकार द्वारा जारी आईडी या डिजिटल पहचान टोकन का इस्तेमाल करना होगा। शैक्षिक संस्थानों और बाल कल्याण संगठनों को नियमों के कुछ प्रावधानों से छूट दी जा सकती है। नए नियमों में इंटरनेट यूजर के अधिकारों को बढ़ाया जाएगा। यूजर अपने डेटा को हटाने की मांग कर सकेंगे। कंपनियों से पारदर्शिता की मांग कर सकेंगे कि उनका डेटा क्यों जुटाया जा रहा है।

नियमों का उल्लंघन करने पर लग सकता है 250 करोड़ रुपए जुर्माना

अगर कोई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म या कंपनी नियमों का उल्लंघन करती है तो उसपर 250 करोड़ रुपए तक जुर्माना लगाया जा सकता है। उपभोक्ताओं को यह अधिकार दिया जाएगा कि वे डेटा जुटाए जाने को चुनौती दे सकें और जवाब मांग सकें कि उसके डेटा का इस्तेमाल किस लिए किया गया है।

नए नियम में "ई-कॉमर्स संस्थाएं", "ऑनलाइन गेमिंग मध्यस्थ" और "सोशल मीडिया मध्यस्थ" जैसे महत्वपूर्ण डिजिटल मध्यस्थों को परिभाषित किया गया है। प्रत्येक के लिए खास दिशानिर्देश दिए गए हैं।

मसौदे के अनुसार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ऐसे मध्यस्थ हैं जो मुख्य रूप से उपयोगकर्ताओं के बीच ऑनलाइन बातचीत सक्षम करते हैं। इसमें सूचना शेयर करना, भेजना और संशोधित करना शामिल है। नए नियमों का पालन हो यह तय करने के लिए सरकार एक डेटा संरक्षण बोर्ड स्थापित करने की योजना बना रही है। यह डिजिटल नियामक निकाय के रूप में काम करेगा।

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