सार

साइबर ठग अब 'डिजिटल अरेस्ट' के नाम पर लोगों को डरा-धमकाकर पैसे ऐंठ रहे हैं। फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर वीडियो कॉल करते हैं और गिरफ्तारी का डर दिखाकर ठग लेते हैं। पढ़े-लिखे लोग भी शिकार बन रहे हैं। ऐसे में जानते हैं डिजिटल अरेस्ट से खुद को कैसे बचाएं?

What is Digital Arrest: साइबर ठग इन दिनों नए-नए तरीके निकालकर लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर रहे हैं। इसके जरिये वो न सिर्फ पैसे ऐंठते हैं, बल्कि मानसिक रूप से प्रताड़ित भी करते हैं। पिछले कुछ समय से डिजिटल अरेस्ट के केस बढ़ते जा रहे हैं। जालसाज नकली पुलिस, बैंक ऑफिसर, सीबीआई अधिकारी बनकर लोगों को वीडियो कॉल करते हैं। इसके बाद गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई का डर दिखाकर लोगों से लाखों-करोड़ों रुपए ऐंठ लेते हैं। डिजिटल अरेस्ट के दौरान पीड़ित अपने पैसे गंवाने के साथ ही मानसिक रूप से भी टॉर्चर होता है। क्या है डिजिटल अरेस्ट और कैसे पढ़े-लिखे लोग भी इसका शिकार हो रहे हैं, जानते हैं सबकुछ।

केस नंबर 1 - ऑटोमेटेड कॉल में पार्सल के नाम पर ठगा

कॉमेडी और मेकअप टिप्स के वीडियो बनाने वाले सोशल मीडिया एन्फ्लुएंसर और यूट्यूबर अंकुश बहुगुणा को हाल ही में साइबर ठगों ने अपना शिकार बनाया। अंकुश को ठगों ने 40 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा। उनके मुताबिक, मेरे पास एक ऑटोमेटेड कॉल आई, जिसमें कहा गया कि जीरो दबाकर वो एक ऐसे पार्सल को रिसीव कर सकते हैं जो उनकी लाइफ बदल देगा। इसके बाद उनके पास कॉल आया, जिसमें कहा गया कि वो पार्सल चीन से भेजा गया है और उसमें इलीगल चीजें हैं। उनके खिलाफ अरेस्ट वॉरंट जारी हो चुका है और जल्द उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। इसके बाद साइबर ठगों ने उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर बड़ी रकम ऐंठ ली।

केस नंबर 2- अलग-अलग 34 ट्रांजेक्शन में ठग लिए 71 लाख 

ग्वालियर के रहने वाले एक बीएसएफ इंस्पेक्टर अबसार अहमद को साइबर ठगों ने कुछ घंटे नहीं बल्कि 32 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखा। ठगों ने खुद को मुंबई साइबर और क्राइम ब्रांच का अफसर बताते हुए उनसे 71.25 लाख रुपए ऐंठ लिए। ठगी का शिकार हुए अबसार अहमद के पास 2 दिसंबर की सुबह मोबाइल पर वॉट्सऐप कॉल आया था। कॉलर ने खुद को मुंबई साइबर और क्राइम ब्रांच का अफसर बताते हुए उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तारी वारंट की बात की। इसके बाद पूरे परिवार को अरेस्ट करने का डर दिखाते हुए 34 अलग-अलग ट्रांजेक्शन में 71.25 लाख रुपए ठग लिए।

क्या है डिजिटल अरेस्ट?

'डिजिटल अरेस्ट' एक साइबर स्कैम या पैसा ठगने की रणनीति है, जिसमें अपराधी अक्सर फोन या ऑनलाइन कम्युनिकेशन के जरिये पहले तो सामने वाले को गिरफ्तार करने का झूठा दावा करते हैं और बाद में उसे डरा-धमका कर पैसे ऐंठते हैं। डिजिटल अरेस्ट स्कैम में फोन करने वाले कभी पुलिस, सीबीआई, नारकोटिक्स, आरबीआई या किसी दूसरी एजेंसी के अधिकारी बनकर पूरे कॉन्फिडेंस से बात करते हैं, जिससे सामने वाला उन्हें असली समझकर अपनी गाढ़ी कमाई लुटा बैठता है।

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कैसे करते हैं 'डिजिटल अरेस्ट'

- किसी अनजान नंबर से WhatsApp पर वीडियो कॉल आती है।

- इसके बाद सामने वाले को किसी बड़े केस में फंसने के नाम पर डराया जाता है।

- जांच के नाम पर धमकी देकर लोगों को कैमरे के सामने ही रहने को कहा जाता है।

- वीडियो कॉल करने वाले का बैकग्राउंड पुलिस थाने या किसी जांच एजेंसी के दफ्तर जैसा दिखता है।

- पीड़ित को लगता है कि पुलिस उससे ऑनलाइन इन्वेस्टिगेशन कर रही है।

- इसके बाद पुलिस केस और गिरफ्तारी से बचने के लिए पैसे मांगे जाते हैं।

- लोग डर और बदनामी से बचने के लिए अपनी गाढ़ी कमाई लुटेरों को दे देते हैं।

'डिजिटल अरेस्ट स्कैम' को कैसे पहचानें?

- सरकारी एजेंसियां ऑफिशियल कम्युनिकेशन के लिए कभी भी वाट्सएप या स्काइप जैसे इंटरनेट मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल नहीं करतीं हैं।

- पुलिस कभी भी Watsapp कॉल नहीं करती है।

- FIR की कॉपी कभी वॉट्सएप पर नहीं भेजी जाती।

- पुलिस कभी भी पैसे की डिमांड नहीं करती।

- पुलिस कॉल के दौरान दूसरे लोगों से बात करने से नहीं रोकती।

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'डिजिटल अरेस्ट' से कैसे बचें

- ठग फोन पर आपको वो गलतियां बताएंगे, जिनके बारे में आप खुद भी नहीं जानते या आप ने नहीं की हैं। अगर आपके साथ ऐसा कुछ होता है तो ठगों के झांसे में न आएं।

- ठग ज्यादातर CBI, ED, TRI, RBI नारकोटिक्स, साइबर क्राइम, इनकम टैक्स ऑफिसर के नाम से कॉल करेंगे। आप फौरन सचेत हो जाएं।

- कॉल करने वाला आपको ऐप डाउनलोड करने को कहे, तो कतई न करें।

- गलती से ऐप डाउनलोड कर लिया है तो फौरन अनइंस्टॉल करें। इसके बाद फोन फॉर्मेट कर एंटीवायरस डालें।

- अनजान नंबर से कॉल या वीडियो कॉल रिसीव करने पर धमकी देने, डराने या केस में फंसाने की बात करने वाले से डरें नहीं। कॉल काट दें।

- ऐसे कॉल या धमकी आने पर तत्काल परिचित को बताएं। इससे आपका तनाव और डर दूर होगा।

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डिजिटल अरेस्ट का शिकार होने पर कहां करें शिकायत

- फौरन साइबर सेल और पुलिस में शिकायत करें। ऑलनाइन शिकायत दर्ज कराने के लिए 112 या 1930 पर कॉल करें।

- यहां बैठी साइबर टीम का सभी बैंकों के नोडल ऑफिसर से टाइ-अप है।

शिकायत मिलते ही साइबर टीम बैंक नोडल ऑफिसर को सूचना देगी और नोडल ऑफिसर तत्काल पेमेंट रुकवा देते हैं।

- इसके अलावा गृह मंत्रालय के साइबर पोर्टल https://cybercrime.gov.in/ पर जाकर लिखित में शिकायत करें।

- 55 बैंक्स, ई-वॉलेट्स, ई-कॉमर्स साइट्स, पेमेंट गेटवेज व अन्य संस्थानों ने मिलकर एक इंटरकनेक्ट प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है जिसका नाम 'सिटिजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग सिस्टम' है।

- इस प्लेटफॉर्म के जरिए बेहद कम समय में ऑनलाइन फाइनेंशियल फ्रॉड्स के शिकार लोगों की हेल्प की जाती है।

मोबाइल पर आने वाली अलर्ट कॉल से रहें सावधान!

अगर आपको अनजाने नंबरों से पुलिस, CBI, कस्टम या जजों के फोन कॉल्स आते हैं तो आप इन नंबरों की शिकायत ऑनलाइन हेल्पलाइन नंबर 1930 पर करें। गृह मंत्रालय ने किसी भी फोन कॉल के पहले एक रिकॉर्डेड संदेश शुरू किया है, जिसमें इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए अलर्ट किया जा रहा है।

डिजिटल अरेस्ट पर PM मोदी ने लोगों को किया आगाह

डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी को लेकर खुद पीएम मोदी ने लोगों को चेताया है। उन्होंने 'मन की बात' के 115वें संस्करण में लोगों को इस साइबर धोखाधड़ी को लेकर आगाह किया। उन्होंने कहा कि किसी को भी ऐसी फोन कॉल-वीडियो कॉल आने पर घबराना नहीं है। उन्होंने जनता को आगाह करते हुए कहा कि आपको पता होना चाहिए कि कोई भी जांच एजेंसी कभी भी फोन कॉल या वीडियो कॉल पर इस तरह से कोई पूछताछ नहीं करती है। कानून के तहत डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज नहीं है। सरकार एजेंसियां इस तरह की किसी भी जांच के लिए आपसे कभी भी फोन या वीडियो कॉल के जरिए संपर्क नहीं करेंगी।

 

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