नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्तकर्ता औऱ मिस्र के पूर्व उपराष्ट्रपति मोहम्मद अलबरदेई ने एशियानेट न्यूज से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने आतंकवाद समेत तमाम मुद्दों पर अपने विचार रखें।
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और मिस्र के पूर्व उपराष्ट्रपति मोहम्मद अलबरदेई ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का तत्काल पुनर्गठन किया जाना चाहिए और भारत को इसमें शामिल किया जाना चाहिए और जी20 सुरक्षा परिषद के समान एक अस्थायी समूह के रूप में कार्य कर सकता है। एशियानेट न्यूज़ के लिए पूर्व राजदूत टीपी श्रीनिवासन के साथ इंटरव्यू में मोहम्मद अलबरदेई ने कहा कि वैश्विक सहयोग ही शांति का एकमात्र रास्ता है।
इसी के साथ उन्होंने बातचीत में कहा कि मुझे उम्मीद है कि आतंकवाद के इस पूरे मुद्दे से अधिक ऑबजेक्टिव तरीके से निपटा जाएगा। निःसंदेह, उचित प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, लेकिन आतंकवाद के लक्षणों से निपटने के अलावा, हमें आतंकवाद के कारणों से भी निपटने की जरूरत है। जैसा कि आप जानते हैं, मिडिल ईस्ट में बहुत अधिक आतंकवाद है, लेकिन हमें यह समझने की जरूरत है कि ऐसा क्यों हो रहा है। मुझे उम्मीद है कि भारत और कनाडा के बीच इस मुद्दे को कानून के मुताबिक, उचित प्रक्रिया के तहत सुलझा लिया जाएगा।' और जैसा कि मैंने कहा, मैं वास्तव में विवरण नहीं जानता लेकिन यह हमें दो लोकतंत्रों भारत और कनाडा को इस तरह की स्थिति में देखने में मदद नहीं करता है। यह किसी की मदद नहीं करता. मुझे वास्तव में यह देखकर बहुत गर्व हुआ कि कैसे भारतीय कई तरीकों से कनाडा में विकास के लिए माध्यम प्रदान कर रहे हैं। एक बात, जैसा कि मैंने कहा, मैं हमेशा इस बारे में बात करता हूं कि मैं हमेशा इसकी प्रशंसा करता हूं कि कैसे भारतीय हर जगह नेतृत्व कर रहे हैं, चाहे वह प्रौद्योगिकी में हो, चाहे वह अमेरिका में हो। आप जहां भी जाएं, वहां कोई न कोई चतुर भारतीय कुछ न कुछ रचनात्मक कर रहा होता है। और मुझे आशा है कि यह जारी रहेगा।
रूस यूक्रेन युद्ध का जिक्र भी उनके द्वारा इस बातचीत में किया गया। उन्होंने कहा कि हर कोई जानता है युद्ध में दोनों ही देशों का नुकसान होता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है। हालाँकि, अब रक्षा समिति निष्क्रिय है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो कोई भी नहीं जीतेगा। रूस-यूक्रेन युद्ध का असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। इन सबका समाधान यही है कि सभी को एक साथ आगे बढ़ने की सामूहिक नीति बने।