कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन आज 7वें दिन भी जारी है। मंगलवार को किसान और सरकार के बीच करीब 4 घंटे तक चली बैठक बेनतीजा रही। सरकार से बातचीत का हिस्सा रहे किसान नेता चंदा सिंह ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ हमारा आंदोलन जारी रहेगा। हम सरकार से कुछ तो जरूर वापस लेंगे। चाहे वो बुलेट हो या शांतिपूर्ण समाधान। उन्होंने कहा हम बातचीत के लिए फिर से आएंगे। अब अगली बैठक 3 दिसंबर को होनी है। वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा है कि किसानों से बातचीत चल रही है जल्द ही ये मामला सुलझ जाएगा।
नई दिल्ली. कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन आज 7वें दिन भी जारी है। मंगलवार को किसान और सरकार के बीच करीब 4 घंटे तक चली बैठक बेनतीजा रही। सरकार से बातचीत का हिस्सा रहे किसान नेता चंदा सिंह ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ हमारा आंदोलन जारी रहेगा। हम सरकार से कुछ तो जरूर वापस लेंगे। चाहे वो बुलेट हो या शांतिपूर्ण समाधान। उन्होंने कहा हम बातचीत के लिए फिर से आएंगे। अब अगली बैठक 3 दिसंबर को होनी है। वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा है कि किसानों से बातचीत चल रही है जल्द ही ये मामला सुलझ जाएगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने विपक्ष पर साधा निशाना
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बातचीत के जरिये किसानों की चिंता का समाधान किए जाने की उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के प्रति प्रतिबद्ध है। हमें उनसे तीन दौर की बातचीत कर चुके हैं। उम्मीद है बातचीत से समस्या हल हो जाएगी मीडिया से बातचीत में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, 'यह कानून का कभी हिस्सा नहीं रहा है। पीएम मोदी चाहते हैं कि यह किसानों को दिया जाए। उन्हें लाभ मिल रहा है. यूपीए की तुलना में एनडीए सरकार में डबल खरीद की गई है। एमएसपी के लिए नियमित प्रयास किए जा रहे हैं, मोदी जी ने आश्वासन दिया है और आगे भी जारी रहेगा।'
स्वदेशी जागरण मंच की प्रतिक्रिया आई
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन पर स्वदेशी जागरण मंच (SJM) ने कहा, किसानों को एमएसपी पर भरोसा देने की जरूरत है, केंद्र का कानून अच्छा है लेकिन उसमें सुधार की गुंजाइश है। स्वदेशी जागरण मंच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा हुआ है। मंच के अश्विनी महाजन ने कहा कि सरकार कानून में बदलाव कर सकती है और नया कानून ला सकती है।
दिल्ली में फल, दूध, सब्जियों की सप्लाई हो सकती है बंद
किसान आंदोलन से अभी तक तो दिल्लीवालों को सिर्फ ट्रेफिक की ही दिक्कत हो रही थी, लेकिन अगर जल्द सरकार ने किसानों की बात नहीं मानी तो उनके लिए दूध, सब्जियों और फल की सप्लाई बंद हो सकती है। दरअसल, हरियाणा के जींद में खाप पंचायतों ने दिल्ली कूच शुरू कर दिया है। पंचायतों का कहना है कि अगर 3 दिसंबर को सरकार से बात नहीं बनती है, तो फिर वो दिल्ली जाने वाले फल, दूध, सब्जियों की सप्लाई बंद कर देंगे।
सड़क पर बना रहा खाना, गाड़ियों के चक्के जाम
दिल्ली नोएडा बॉर्डर: यहां पर इकट्ठा हुए किसान सड़क पर ही खाना बना रहे हैं। तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि किसान दोपहर का भोजन मिलकर बना रहे हैं। किसानों का कहना है कि वे अपने साथ 6 महीने का राशन लेकर आए हैं। अगर सरकार नहीं मानी तो आंदोलन लंबा चल सकता है।
फोटो- दिल्ली नोएडा बॉर्डर पर सड़क पर खाना बनाते और खाते किसान
चंडीगढ़: पंजाब के युवा कांग्रेस पर वाटर कैनन का इस्तेमाल
चंडीगढ़ में पंजाब के युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। दरअसल, कार्यकर्ताओं ने हरियाणा के सीएम एमएल खट्टर के आवास पर घेराव किया। प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ बल के कथित इस्तेमाल के लिए उनसे माफी की मांग की।
कार्यकर्ताओं की मांग है कि मुख्यमंत्री प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ कथित रूप से बल प्रयोग किए जाने के लिए किसानों से माफी मांगे।
अमित शाह के घर 1 घंटे हुए बैठक
किसान आंदोलन के 7वां दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के घर बैठक हुई। करीब 1 घंटे तक चली बैठक में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल मौजूद थे। बता दें कि कल नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने किसानों से बातचीत की थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
नोएडा-दिल्ली के चिल्ला बॉर्डर पर धरना
सरकार से बातचीत नाकाम होने के बाद किसानों ने अपना आंदोलन तेज कर दिया है। किसान नोएडा-दिल्ली के चिल्ला बॉर्डर (Chilla Border) पर धरना दे रहे हैं। ऐसे में आज नोएडा से दिल्ली और दिल्ली से नोएडा जाने वाले लोगों के लिए मुश्किल बढ़ सकती है। दिल्ली पुलिस ने टेकरी, झाड़ौदा और चिल्ला बॉर्डर को यातायात के लिए बंद कर दिया है।
फोटो- चिल्ला बॉर्डर बंद, एक्सप्रेस वे पर जाम
अमित शाह से मुलाकात करेंगे तीन मंत्री
मंगलवार को किसानों से बातचीत के लिए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश मौजूद थे। करीब 4 घंटे किसानों से बातचीत हुई। कृषि कानूनों पर पावर प्रजेंटेशन दिया। लेकिन सारी कोशिश नाकाम रही। आज तीनों मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे। किसानों के साथ सरकार 3 दिसंबर को फिर मीटिंग करेगी।
बातचीत के लिए 35 किसान नेता पहुंचे थे
किसानों के साथ बैठक ने सरकार ने कृषि कानूनों को लेकर एक प्रजेंटेशन भी दिया, जिसमें किसानों को एमएसपी पर समझाने की कोशिश की गई। बैठक में किसानों के 35 प्रतिनिधि शामिल होने के लिए विज्ञान भवन पहुंचे थे।
किसान आंदोलन का चेहरा बनी 80 साल की यह महिला
बठिंडा की महिंदर कौर और बरनाला की जनगीर कौर किसान आंदोलन का चेहरा बन चुकी हैं। महिंदर कौर 80 साल की हैं। यह तस्वीर उन्हीं की है। महिंदर कौर के पास कुल 12 एकड़ जमीन है। ये ना सिर्फ खुद प्रदर्शन में शामिल हो रही हैं, बल्कि आंदोलन के लिए आर्थिक मदद भी पहुंचा रही हैं।
फोटो- किसान आंदोलन के दौरान सड़क पर चलती हुई 80 साल की महिंदर कौर
3 कानून कौन से हैं, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं
1- किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020 (The Farmers Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill 2020)
अभी क्या व्यवस्था- किसानों के पास फसल बेचने के ज्यादा विकल्प नहीं है। किसानों को एपीएमसी यानी कृषि उपज विपणन समितियों में फसल बेचनी होती है। इसके लिए जरूरी है कि फसल रजिस्टर्ड लाइसेंसी या राज्य सरकार को ही फसल बेच सकते हैं। दूसरे राज्यों में या ई-ट्रेडिंग में फसल नहीं बेच सकते हैं।
नए कानून से क्या फायदा-
1- नए कानून में किसानों को फसल बेचने में सहूलियत मिलेगी। वह कहीं पर भी अपना अनाज बेच सकेंगे।
2- राज्यों के एपीएमसी के दायरे से बाहर भी अनाज बेच सकेंगे।
3- इलेक्ट्रॉनिग ट्रेडिंग से भी फसल बेच सकेंगे।
4- किसानों की मार्केटिंग लागत बचेगी।
5- जिन राज्यों में अच्छी कीमत मिल रही है वहां भी किसाने फसल बेच सकते हैं।
6- जिन राज्यों में अनाज की कमी है वहां भी किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिल जाएगी।
2- किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill 2020)
अभी क्या व्यवस्था है- यह कानून किसानों की कमाई पर केंद्रित है। अभी किसानों की कमाई मानसून और बाजार पर निर्भर है। इसमें रिस्क बहुत ज्यादा है। उन्हें मेहनत के हिसाब से रिटर्न नहीं मिलता।
नए कानून से क्या फायदा-
1- नए कानून में किसान एग्री बिजनेस करने वाली कंपनियों, प्रोसेसर्स, होलसेलर्स, एक्सपोर्टर्स और बड़े रिटेलर्स से एग्रीमेंट कर आपस में तय कीमत में फसल बेच सकेंगे।
2- किसानों की मार्केटिंग की लागत बचेगी।
3- दलाल खत्म हो जाएंगे।
4- किसानों को फसल का उचित मूल्य मिलेगा।
5- लिखित एग्रीमेंट में सप्लाई, ग्रेड, कीमत से संबंधित नियम और शर्तें होंगी।
6- अगर फसल की कीमत कम होती है, तो भी एग्रीमेंट के तहत किसानों को गारंटेड कीमत मिलेगी।
3- आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 (The Essential Commodities (Amendment) Bill
अभी क्या व्यवस्था है- अभी कोल्ड स्टोरेज, गोदामों और प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट में निवेश कम होने से किसानों को लाभ नहीं मिल पाता। अच्छी फसल होने पर किसानों को नुकसान ही होता है। फसल जल्दी सड़ने लगती है।
नए कानून से क्या फायदा-
1- नई व्यवस्था में कोल्ड स्टोरेज और फूड सप्लाई से मदद मिलेगी जो कीमतों की स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी।
2- स्टॉक लिमिट तभी लागू होगी, जब सब्जियों की कीमतें दोगुनी हो जाएंगी।
3- अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाया गया है।
4- युद्ध, प्राकृतिक आपदा, कीमतों में असाधारण वृद्धि और अन्य परिस्थितियों में केंद्र सरकार नियंत्रण अपने हाथ में ले लेगी।