गुजरात दंगों के दौरान हुए गैंग रेप की पीड़िता को 17 साल बाद भी नहीं मिला मुआवजा

गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान गैंग रेप की शिकार हुई बिल्किस बानो के पति ने कोई सहायता मुहैया नहीं करने को लेकर राज्य की विजय रूपाणी नीत सरकार की सोमवार को आलोचना की।
 

Asianet News Hindi | Published : Sep 30, 2019 1:50 PM IST

अहमदाबाद(Ahmedabad). गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान गैंग रेप की शिकार हुई बिल्किस बानो के पति ने कोई सहायता मुहैया नहीं करने को लेकर राज्य की विजय रूपाणी नीत सरकार की सोमवार को आलोचना की।


सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद  राज्य सरकार का मदद करने से इनकार

बिल्किस को दो हफ्ते के अंदर 50 लाख रुपये मुआवजा देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कुछ घंटों बाद ही उनके पति याकूब रसूल ने यह आरोप लगाया। रसूल ने दाहोद से कहा कि बिल्किस बानो 17 साल से पीड़ा सह रही है, लेकिन गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद उसकी मदद करने से इनकार कर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट ने 13 अप्रैल को राज्य सरकार को उन्हें 15 दिनों के अंदर मुआवजा देने को कहा था। अब पांच महीने हो चुके हैं लेकिन सरकार ने हमसे एक बार भी संपर्क नहीं किया।’’

रसूल ने कहा कि उनके परिवार ने राज्य सरकार को दो नोटिस भेजे, कोर्ट के आदेश की याद दिलाई लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने फिर से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

उन्होंने कहा, ‘‘देखते हैं कि राज्य सरकार अब क्या करती है। उसे 15 दिनों के अंदर आदेश का अनुपालन करना होगा अन्यथा कोर्ट की अवमानना होगी। हम सभी जानते हैं कि बिल्किस ने पिछले 17 बरसों में काफी कुछ झेला है, लेकिन हार नहीं मानी।’’

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात सरकार को निर्देश दिया है कि वह बिल्किस बानो को दो सप्ताह के भीतर 50 लाख रुपये मुआवजा, नौकरी और रहने के लिये आवास प्रदान करे। चीफ जस्टिस रंजन गोगाई, जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने गुजरात सरकार से सवाल किया कि सुप्रीम कोर्ट के 23 अप्रैल के आदेश के बावजूद उसने अभी तक बिल्किस बानो को मुआवजा, नौकरी और आवास क्यों नहीं दिया।

 

सॉलिसीटर ने कहा- गुजरात में पीड़ितों को मुआवजा देने का प्रावधान नहीं 

गुजरात सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि गुजरात के पीड़ितों को मुआवजा योजना में 50 लाख रुपये के मुआवजे का प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार अप्रैल के इस आदेश पर पुनर्विचार के लिये आवेदन दायर करेगी। सॉलिसीटर जनरल ने बाद में न्यायालय में यह आश्वासन दिया कि दो सप्ताह के भीतर पीड़ित को मुआवजे की राशि, नौकरी और आवास उपलब्ध करा दिया जायेगा।

 

[यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है]
 

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