कॉफी फॉर्मिंग( Coffee farming) कैसे जिंदगी बदल लेती है, अगर देखना है, ताे ओडिशा आइए! कॉफी की खेती ने कोरापुट जिले के आदिवासियों का जीवन चेंज कर दिया है। यहां की कॉफी के स्वाद की तुलना ब्राजील और कोलंबिया की कॉफी से की जाती है। इसे यूरोप और अमेरिका को भी एक्सपोर्ट किया जाने लगा है।
ओडिशा. कॉफी फॉर्मिंग( Coffee farming) कैसे जिंदगी बदल लेती है, अगर देखना है, तो ओडिशा आइए! कॉफी की खेती ने कोरापुट जिले के आदिवासियों का जीवन चेंज कर दिया है। यहां की एक कॉफी किसान प्रीतिधारा ने कहा-"हमारी कॉफी के स्वाद की तुलना ब्राजील और कोलंबिया की कॉफी से की जाती है। हम इसे यूरोप और अमेरिका को भी एक्सपोर्ट करते हैं। सरकार यहां कॉफी प्रोसेसिंग को प्रोत्साहित करे, तो और लाभ होगा।"
समुद्र तल से 3,000 फीट की ऊंचाई पर पूर्वी घाट में स्थित कोरापुट अपनी सुरम्य पहाड़ियों और झरनों के लिए उतना ही जाना जाता है, जितना कि इसकी जैविक कॉफी के लिए। कोरापुट की ठंडी जलवायु कॉफी उगाने के लिए आदर्श बनाती है। कोरापुट के एक्स डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट गदाधर परिदा ने बताया कि राज्य सरकार ने जून 2021 तक 30,000 परिवारों को 46,000 एकड़ वन भूमि अधिकार(forest land rights) दिए थे। कॉफी किसानों को सरकार सहायता प्रदान कर रही है।
कुछ साल पहले 100 एकड़ के कॉफी बागान लावारिश पड़े थे
यह कहानी कोरापुट के ही रहने वाले सूर्या छौटिया की है। उनके गोलूर गांव में 100 एकड़ के कॉफी बागान खाली पड़े थे। कॉफी प्लांटेशन लावारिश पड़े थे। प्रॉडक्शन कम हो रहा था। लिहाजा वे इन्हें छोड़ने को तैयार थे। लेकिन आज वालेकिन आज वाल्मीकि समुदाय के 39 वर्षीय छौटिया अपने बागान से 100 एकड़ और खेती जोड़कर अपने साथी ग्रामीणों को कॉफी उत्पादक के अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। यहां करीब 90 साल पहले कॉफी की खेती की शुरुआत की गई थी।
5000 से अधिक आदिवासी परिवार रहते हैं
कोरापुट जिले के पहाड़ी गांव आदिवासी बहुल हैं। यहां करीब 5000 आदिवासी परिवार रहते हैं। जिले के दसबंतापुर, लक्ष्मीपुर, नंदापुर, सिमिलिगुडा और पतंगी ब्लॉक के आदिवासियों के लिए कॉफी की खेती आजीविका का बेहतर जरिया साबित हुई है। 7-8 साल पहले यहां 2,000 हेक्टेयर भूमि पर कॉफी की खेती होती थी, जो अब बढ़कर 5,000 हेक्टेयर हो गया है।ओडिशा की देसी कोरापुट कॉफी को लेकर कई बड़ी कंपनियां आगे आती रही हैं। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक खुद इस फॉर्मिंग की मॉनिटरिंग करते हैं। पिछले साल टाटा ग्रुप ने कॉफी की खरीद और बिक्री को लेकर दिलचस्पी दिखाई थी।
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