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ये साफ्टवेयर इंजीनियर IT की अच्छी-खासी जॉब छोड़कर बेच रहा गधे का दूध, शुरुआत में ही मिल गए 17 लाख के ऑर्डर
मंगलुरु(कनार्टक). गधों(donkeys) को बेवकूफी का पर्याय माना जाता रहा है, लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है! इन दिनों 'पाकिस्तानी गधों' की खबरें भी बड़े चटखारे लेकर पढ़ी जा रही हैं कि वहां 2020-21 के दौरान गधों की आबादी बढ़कर 5.7 मिलियन हो गई है। वहीं, चीन अब पाकिस्तान से गधे खरीदेगा। गधों के कारण भी पाकिस्तान की आर्थिक हालत में सुधार है। गधों का इस्तेमाल चीन पारंपरिक चीनी दवा बनाने में करता है। खैर, गधों से जुड़ी एक दिलचस्प खबर भारत के कर्नाटक राज्य के मंगलुरु से भी मिली है। यहां एक साफ्टवेयर इंजीनियर श्रीनिवास गौड़ा(Srinivas Gowda) ने अच्छी-खासी जॉब छोड़कर डंकी मिल्क फार्म(Donkey Milk Farm) खोला है। उनके फार्म हाउस में 20 गधे हैं। श्रीनिवास ने अपने फार्म हाउस पर 42 लाख रुपए का इन्वेस्ट किया है। श्रीनिवास 2020 तक साफ्टवेयर इंजीनियर थे, लेकिन अब अपने गधों के फार्म के कारण जाने जाते हैं। यह भारत और कर्नाटक का पहला गधा पालन प्रशिक्षण केंद्र(first donkey farming and training center) कहा जाता है। श्रीनिवास कहते हैं कि अब वे गधे का दूध बेचने की बड़ी प्लानिंग कर रहे हैं। गधे के दूध के काफी फायदे हैं। उसकी डिमांड लगातार बढ़ रही है। श्रीनिवास कहते हैं-'मेरा सपना है कि गधे का दूध सबको मिले।' पढ़िए एक दिलचस्प करियर की मजेदार कहानी...
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कर्नाटक के श्रीनिवास गौड़ा की कहानी यकीनन बिजनेस या करियर को लेकर परेशान युवाओं को एक नई दिशा दिखाएगी। 42 वर्षीय श्रीनिवास गौड़ा ने दक्षिण कन्नड़ जिले के एक गांव में यह गधे का फार्म शुरू किया है। श्रीनिवास गौड़ा कहते हैं कि गधे का दूध स्वादिष्ट, बहुत महंगा और औषधीय महत्व का होता है। गौड़ा लोगों को पैकेट में गधे का दूध सप्लाई करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि 30 मिलीलीटर दूध के पैकेट की कीमत 150 रुपये होगी और इसकी आपूर्ति मॉल, दुकानों और सुपरमार्केट के माध्यम से की जाएगी। उनकी योजना ब्यूटी प्रॉडक्ट्स के लिए भी गधे के दूध को बेचने की है। गधे का दूध ब्यूटी प्रॉडक्ट़्स में इस्तेमाल होता है। श्रीनिवासा को शुरुआत में ही 17 लाख रुपये के ऑर्डर मिल चुके हैं।
श्रीनिवास ने गधों का यह फार्म हाउस 8 जून को ओपन किया है। यह फार्म कर्नाटक में अपनी तरह का पहला और केरल के एर्नाकुलम जिले के बाद देश में दूसरा है। श्रीनिवास गौड़ा का कहना है कि वह गधों की दुर्दशा से हिल गए थे, जिन्हें अक्सर ठुकरा दिया जाता था और उन्हें कम आंका जाता था। लेकिन ऐसा नहीं है। गधे कमाई का बड़ा जरिया हैं।
बीए ग्रेजुएट गौड़ा ने एक सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी छोड़ने के बाद सबसे मिलेजुले रूप में सबसे पहले 2020 में 2.3 एकड़ जमीन पर एग्रीकल्चर और एनिमल हसबेंड्री(पशुपालन) शुरू किया। इसमें वेटेनरी सर्विस और ट्रेनिंग के अलावा चारा विकास केंद्र शुरू किया। इनके फार्म में 20 गधों के अलावा बकरियां, खरगोश और कड़कनाथ मुर्गे भी हैं।
श्रीनिवास गौड़ा कहते हैं कि गधों की प्रजातियों की संख्या घट रही है, क्योंकि अब धोबियों द्वारा घर पर ही कपड़े धोने की मशीन व अन्य तकनीक इस्तेमाल किया जाने लगा है।
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गौड़ा ने बताया कि जब उन्होंने गधों के फार्म हाउस को लेकर दोस्तों-परिचितों और परिजनों से अपनी बात शेयर की, तो उन्होंने मजाक उड़ाया। हालांकि अब सब उनकी तारीफ करते हैं।