नफरत की राजनीति पर पीएम मोदी को लिखे पत्र के जवाब में पूर्व नौकरशाहों व न्यायाधीशों ने कह दी बड़ी बात...

कुछ दिनों पहले ही पूर्व नौकरशाहों व न्यायाधीशों के एक ग्रुप ने नफरत की राजनीति पर पीएम मोदी को खुला पत्र भेजकर इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ने की बात कही थी। इसके जवाब में एक दूसरे समूह ने भी पत्र लिखा है। 

Dheerendra Gopal | Published : Apr 30, 2022 5:34 PM IST / Updated: May 01 2022, 02:54 AM IST

नई दिल्ली। पीएम मोदी (PM Modi) को लेकर पूर्व नौकरशाहों व न्यायाधीशों के बीच दो गुट बन चुका है। पूर्व न्यायाधीशों व नौकरशाहों के एक समूह ने कुछ दिनों पहले पीएम मोदी को एक खुला पत्र (Open Letter to PM) जारी कर नफरत की राजनीति के बारे में चिंता व्यक्त की थी। इसके जवाब में एक दूसरे ग्रुप ने समर्थन में पत्र जारी किया है। पीएम के समर्थन में उतरे ग्रुप ने कहा कि पूर्व नौकरशाहों और न्यायाधीशों के ग्रुप ने जो नफरत की राजनीति को लेकर पीएम को घेर रहे हैं, वह फ्रस्ट्रेशन में लिखा गया पत्र है जिसमें जनता के समर्थन व राय को दरकिनार कर दिया गया है। देश की जनता पीएम मोदी के साथ खड़ी है जिसका परिणाम उनका दुबारा जीतना है। 

किसका-किसका है सिग्नेचर?

पीएम मोदी को लिखे पत्र में सिक्किम उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली, पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल और शशांक और पूर्व रॉ प्रमुख संजीव त्रिपाठी उन आठ पूर्व न्यायाधीशों, 97 पूर्व नौकरशाहों और 92 पूर्व सशस्त्र बलों के अधिकारियों में शामिल हैं, जिन्होंने मोदी को लिखे खुले पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। यह पत्र उन 108 पूर्व नौकरशाहों द्वारा हस्ताक्षरित सीसीजी पत्र के काउंटर में लिखा गया है।

क्या क्या लिखा है पत्र में?

पत्र में लिखा गया है कि जो पत्र पूर्व में कुछ लोगों द्वारा लिखा गया है वह क्रोध या पीड़ा में नहीं लिखा गया है बल्कि वे वास्तव में नफरत की राजनीति को हवा दे रहे हैं। उनका काम वर्तमान सरकार के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर झूठा चित्रण करना है। वे लोग नफरत को इंजीनियर करने का प्रयास करके मुकाबला करना चाहते हैं।
इन लोगों ने कहा कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद पर हुई हिंसा पर इनकी कथित चुप्पी यह साबित करती है कि केवल मोदी सरकार को बदनाम करने में लगे हुए हैं। पीएम मोदी का बचाव करने वाले समूह ने कहा कि यह मुद्दों के प्रति उनके निंदक और गैर-सैद्धांतिक दृष्टिकोण को उजागर करता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि भाजपा सरकार के तहत प्रमुख सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में स्पष्ट रूप से कमी आई है, जिसे जनता ने सराहा है। पत्र में कहा गया है कि सीसीजी जैसे समूहों को सांप्रदायिक हिंसा की छिटपुट घटनाओं को उजागर करने के लिए उकसाया है जिसे कोई भी समाज पूरी तरह से मिटा नहीं सकता है।

जवाबी पत्र में आरोप लगाया है कि दूसरे समूह का असली इरादा हिंदू त्योहारों के दौरान शांतिपूर्ण जुलूसों पर पूर्व नियोजित हमलों के खिलाफ एक प्रति-कथा को बढ़ावा देना है। साथ ही समूह पर दोहरे मानदंड रखने, गैर-मुद्दों से एक मुद्दा बनाने और विकृत सोच रखने का आरोप लगाया। इसमें दावा किया गया है कि इस तरह की कहानी को अंतरराष्ट्रीय लॉबी से मान्यता और प्रोत्साहन मिलता है जो भारत की प्रगति को रोकना चाहते हैं।

कुछ दिनों पहले एक दूसरे ग्रुप ने पत्र लिखकर पीएम का किया था आह्वान

108 पूर्व सिविल सेवकों ने पीएम मोदी को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने भाजपा के नियंत्रण वाली सरकारों द्वारा कथित रूप से नफरत की राजनीति को समाप्त करने का आह्वान किया था। एक खुले पत्र में, उन्होंने कहा था कि हम देश में नफरत से भरे विनाश का उन्माद देख रहे हैं, जहां बलि की वेदी पर न केवल मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्य हैं, बल्कि स्वयं संविधान भी है।

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