कोरोना के संक्रमण के शुरुआती इलाज में दी जाएगी मलेरिया की दवा, इमरजेंसी में दिया जाएगा एंटी वायरल

देशभर में कोरोना के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं, जिसमें से दिल्ली और महाराष्ट्र में मामले हर दिन तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में कोरोना को हराने के लिए डॉक्टर्स और सरकार तमाम कोशिशें कर रही है। अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना संक्रमितों के इलाज को लेकर एक नया प्रोटोकॉल जारी किया है।

Asianet News Hindi | Published : Jun 14, 2020 2:37 AM IST

नई दिल्ली. देशभर में कोरोना के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं, जिसमें से दिल्ली और महाराष्ट्र में मामले हर दिन तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में कोरोना को हराने के लिए डॉक्टर्स और सरकार तमाम कोशिशें कर रही है। अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना संक्रमितों के इलाज को लेकर एक नया प्रोटोकॉल जारी किया है। इसमें मंत्रालय ने एंटी वायरल दवा रेमडेसिविर और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवा टोसीलीजुमैब के साथ-साथ प्लाजमा थेरेपी के जरिए कोरोना मरीजों का इलाज करने के लिए कहा है।

पहले मंत्रालय ने लगाई थी रोक  

इससे पहले मंत्रालय ने एंटी वायरल दवा रेमडेसिविर और प्लाजमा थेरेपी दोनों पर ही रोक लगा दी थी। मंत्रालय ने यह फैसला कोरोनावायरस क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल की समीक्षा रिपोर्ट आने के बाद लिया। 

संक्रमण के शुरुआती दिनों में मरीजों को दी जा रही ये दवा 

मंत्रालय ने कहा कि संक्रमण के शुरुआती स्टेज में मरीजों को मलेरिया के इलाज दवा देने की सलाह दी थी, जिसका नाम है, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन। हालांकि, पुराने प्रोटोकॉल में बदलाव करते हुए गंभीर मरीजों को एजिथ्रोमाइसीन के साथ हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा देने पर रोक लगा दी है। मंत्रालय ने कहा कि क्लीनिकल ट्रायल में इसके फायदे नहीं दिखे हैं। इसका मरीज के स्वास्थ्य पर निगेटिव असर हो सकता है। 

दवा देने से पहले ईसीजी भी करने के निर्देश

मंत्रालय ने नए प्रोटोकॉल में कहा है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा देने से पहले मरीज का ईसीजी भी कर लिया जाना चाहिए। इसकी रिपोर्ट के अनुसार ही मरीज को दवा दें।

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