पूर्वी लद्दाख में 3 किलोमीटर पीछे हटी चीनी सेना, गोगरा हॉट स्प्रिंग्स में ड्रैगन ने कर लिया था बड़ा निर्माण

बीते 17 जुलाई को कोर कमांडर लेवल की 16वें दौर की बातचीत हुई थी। बातचीत में बनी सहमति के बाद 8 सितंबर 2022 से सेनाएं पीछे हटने लगी थीं, 13 सितंबर तक दोनों ओर से सेनाएं हट गईं। सभी ने अपने अपने अस्थायी निर्माण व बंकर को नष्ट कर दिए। 

नई दिल्ली। भारत-चीन (India-China) के बीच एलएसी (LAC) पर कब्जे को लेकर बढ़ा तनाव कुछ कम होता दिख रहा है। चीन की सेना गोगरा हॉट स्प्रिंग्स (Gogra Hot Springs) में एलएसी के आगे तीन किलोमीटर तक किए कब्जे को छोड़कर पीछे हट गई हैं। मैक्सार टेक्नोलॉजीज की सैटेलाइट तस्वीरों में पीएलए के पीछे हटने की पुष्टि हो रही है। पूर्वी लद्दाख में करीब 28 महीने के तनाव के बीच दोनों सेनाएं पीछे हटने पर राजी हुई थीं। सहमति के बाद पूर्वी लद्दाख के हॉट स्प्रिंग व गोगरा की पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 से दोनों सेनाएं पीछे हट गईं हैं, अब इन क्षेत्रों में दोनों तरफ से कोई भी पेट्रोलिंग नहीं करेगा।

इस मसले को हल करने के लिए बीते 17 जुलाई को कोर कमांडर लेवल की 16वें दौर की बातचीत हुई थी। बातचीत में बनी सहमति के बाद 8 सितंबर 2022 से सेनाएं पीछे हटने लगी थीं, 13 सितंबर तक दोनों ओर से सेनाएं हट गईं। सभी ने अपने अपने अस्थायी निर्माण व बंकर को नष्ट कर दिए। 

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पहले भी पीछे हटी हैं दोनों देशों की सेनाएं

इसके पहले भारत व चीन की सेनाएं एलएसी पर विवाद वाली गलवान, पेगोंग लेक के उत्तरी व दक्षिणी इलाका से पीछे लौटी हैं। हालांकि, कई जगहों पर दोनों देशों की सेनाएं आज भी आगे बढ़ी हुई हैं। भारत-चीन की सेनाएं आमने-सामने न आएं इसके लिए बफर जोन बनाया गया है। 

डेमचौक व डेपसांग को लेकर अभी तनाव बरकरार

डेमचौक और डेपसांग पर चीन अभी भी फ्रंटफुट पर है। हालांकि, भारत लगातार इसके लिए चीन पर दबाव बनाए हुए है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि एलएसी पर 2020 की स्थिति बहाल हो चुकी है, अब भारत चीन से डेमचौक (Demchok) और डेपसांग (Depsang) को लेकर बातचीत करेगा। 

2020 में हुई थी हिंसक झड़प

भारत-चीन के संबंध अप्रैल 2020 में खराब होने शुरू हो गए थे। अप्रैल-मई 2020 में चीन ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में सैन्य प्रशिक्षण के बहाने भारी मात्रा में सैनिकों की तैनाती एलएसी पर कर दी। फिर धीरे-धीरे घुसपैठ कर भारतीय क्षेत्र में बड़ा एस्टेबलिस्टमेंट बना लिया। चीन के घुसपैठ को देखते हुए भारतीय सेना ने भी अपने फोर्स तैनात कर दिए। लेकिन हालात देखते ही देखते खराब होते चले गए। एलएसी पर चार दशक के बाद पहली बार गोलियां चलीं। गलवान घाटी में चीन व भारतीय सेना के बीच हुई हिंसक झड़प में 15 जून को 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए।

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