भारत के विदेश सचिव आज से Myanmar दौरे पर, तख्तापलट और सैन्य शासन लागू होने के बाद पहली यात्रा

Published : Dec 22, 2021, 05:24 AM IST
भारत के विदेश सचिव आज से Myanmar दौरे पर, तख्तापलट और सैन्य शासन लागू होने के बाद पहली यात्रा

सार

विदेश मंत्रालय के अनुसार, विदेश सचिव हर्ष वी श्रृंगला यात्रा के दौरान 1 फरवरी, 2021 को सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद देश में राजनीतिक स्थिति पर भी चर्चा करेंगे।  हाल ही में म्यांमार सरकार ने भारतीय विद्रोही समूह के 5 विद्रोहियों को मणिपुर पुलिस (manipur Police) को सौंपा।

नई दिल्ली। म्यांमार (Myanmar) में राजनीतिक उथल-पुथल और सैन्य शासन लागू होने के बीच भारत के विदेश सचिव हर्ष वी.श्रृंगला (Harsha V.Shringla) दो दिवसीय दौरे पर जा रहे हैं। 22 व 23 दिसंबर को म्यांमार दौरे पर भारत के विदेश सचिव होंगे। अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान विदेश सचिव श्री श्रृंगला राज्य प्रशासन परिषद, राजनीतिक दलों और नागरिक समाज के सदस्यों के साथ विचार-विमर्श करेंगे।

विदेश मंत्रालय के अनुसार हाईलेवल प्रतिनिधिमंडल वार्ता के दौरान म्यांमार को मानवीय सहायता, भारत-म्यांमार सीमा संबंधी चिंताओं सहित अन्य देशों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। 

विदेश मंत्रालय के अनुसार, विदेश सचिव हर्ष वी श्रृंगला यात्रा के दौरान 1 फरवरी, 2021 को सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद देश में राजनीतिक स्थिति पर भी चर्चा करेंगे। 
हाल ही में म्यांमार सरकार ने भारतीय विद्रोही समूह के 5 विद्रोहियों को मणिपुर पुलिस (manipur Police) को सौंपा।

म्यांमार में संकट बरकरार, लोग सड़कों पर आंदोलित

1 फरवरी को तख्तापलट में सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा करने और सू की और उनके अधिकांश सरकारी अधिकारियों को हिरासत में लेने के बाद से म्यांमार संकट में है। कुछ दिनों पहले ही म्यांमार की एक विशेष अदालत ने आंग सान सू की (Aung Saan Suu Kyi) को उकसाने और COVID-19 प्रतिबंधों का उल्लंघन करने के लिए चार साल की जेल की सजा सुनाई है। हालांकि, बाद में सैन्य जुंटा नेताओं द्वारा उनकी सजा को घटाकर दो साल कर दिया गया था।

भारत ने जताई चिंता

फैसले पर चिंता व्यक्त करते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा, हम हाल के फैसलों से परेशान हैं। एक पड़ोसी लोकतंत्र के रूप में, भारत म्यांमार में लोकतांत्रिक परिवर्तन का लगातार समर्थन करता रहा है। हमारा मानना ​​है कि कानून के शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बरकरार रखा जाना चाहिए। कोई भी विकास जो इन प्रक्रियाओं को कमजोर करता है और मतभेदों को बढ़ाता है, वह गहरी चिंता का विषय है। हमें पूरी उम्मीद है कि अपने देश के भविष्य को ध्यान में रखते हुए सभी पक्षों की ओर से बातचीत के रास्ते को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा।

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