भारत-पाक बातचीत: राजनाथ सिंह की शर्त और पूर्व की 8 वार्ताओं के बारे में जानें

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार के दौरान पाकिस्तान से बातचीत के लिए आतंकवाद खत्म करने की शर्त रखी है। उन्होंने कहा कि बातचीत के लिए पाकिस्तान को पहले आतंकवाद पर लगाम लगानी होगी।

Dheerendra Gopal | Published : Sep 8, 2024 4:34 PM IST

India-Pakistan Talks: जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार करने पहुंचे केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान से बातचीत के लिए शर्त रखी है। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद को कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। भारत-पाकिस्तान वार्ता के लिए पहले उसे आतंकवाद को बंद करना होगा। वह आतंकवाद पर लगाम लगाए हम बातचीत के लिए तैयार हैं।

राजनाथ सिंह जम्मू-कश्मीर के रामबन जिला में एक चुनावी जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कुछ लोग पाकिस्तान से बातचीत की बात करते हैं। मैं कहता हूं कि पाकिस्तान एक काम करे, आतंकवाद का सहारा लेना बंद करे। कौन नहीं चाहेगा कि पड़ोसी देशों से संबंध बेहतर हों लेकिन बेहतर संबंध के लिए हमें पहले आतंकवाद को बंद करना होगा।

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दरअसल, जम्मू-कश्मीर चुनाव में पड़ोसी मुल्क से अच्छे संबंध रखने पर बहस चल रही है। हालांकि, भारत-पाकिस्तान के बीच रिश्ते सुधरे इसके लिए तमाम प्रयास हो चुके हैं। आजादी के बाद से लगातार भारत ने पड़ोसी मुल्क से संबंध मधुर करने पर जोर दिया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान से वार्ता की पहल के दौरान आलोचना पर जवाब देते हुए बहुत साल पहले कहा था कि आप मित्र तो बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं बदल सकते।

आईए जानते हैं कि भारत-पाकिस्तान के हुई 10 प्रमुख वार्ता...

ताशकंद समझौता (1966)

1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद सोवियत संघ ने मध्यस्थता कर दोनों पड़ोसियों के बीच शांति की पहल की। जनवरी 1966 में सोवियत संघ के ताशकंद में दोनों देशों के प्रमुख पहुंचे। भारत के तत्कालीन पीएम लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान के बीच यह समझौता हुआ। इस समझौता में दोनों देशों ने युद्ध के बाद की स्थिति को शांतिपूर्ण बनाने का प्रयास किया। दोनों ने तय किया कि शत्रुता समाप्त करेंगे। इसके बाद दोनों देशों की सेनाएं बार्डर्स पर अपने-अपने हिस्से में लौट गईं।

शिमला समझौता (1972)

1971 के भारत-पाक युद्ध और बांग्लादेश की स्वतंत्रता के बाद शिमला में दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष शांति समझौता पर राजी हुए। जुलाई 1972 में भारत की पीएम इंदिरा गांधी और पाकिस्तान की पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच शांति वार्ता हुई जिसे शिमला समझौता के रूप में जाना जाता है। दोनों देशों ने कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से हल करने की प्रतिबद्धता जताई। साथ ही नियंत्रण रेखा (LoC) को मान्यता दी।

गुजराल डॉक्ट्रिन

भारत के प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए पहल की थी। इस पहल को गुजराल डॉक्ट्रिन के नाम से जाना जाता है। 1997 में पीएम गुजराल के कार्यकाल में भारत-पाकिस्तान के बीच हाईलेवल मीटिंग्स हुई। कश्मीर सहित कई मुद्दों पर वार्ता हुई। हालांकि, कोई ठोस प्रगति नहीं दिखी।

लाहौर घोषणा (1999)

पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से संबंध सुधारने के लिए पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने पाक के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ के साथ ऐतिहासिक बस यात्रा लाहौर में की। फरवरी 1999 में लाहौर बस यात्रा से दोनों देशों के नेताओं ने शांति की पहल की और स्थिरता बनाए रखने के लिए सहमति जताई। हालांकि, लाहौर समझौता के कुछ ही महीनों बाद कारगिल युद्ध छिड़ गया।

थिंपू वार्ता (2010)

मुंबई हमलों के बाद अप्रैल 2010 में भारत-पाकिस्तान एक बार फिर शांति समझौता के लिए वार्ता को राजी हुए। भूटान की राजधानी थिंपू में सार्क (SAARC) समिट के दौरान भारत-पाकिस्तान ने द्विपक्षीय वार्ता की। दोनों ने आगे भी बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई लेकिन कुछ सफल साबित नहीं हुआ।

उफा घोषणा (2015)

पीएम नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ जुलाई 2015 में एक बार फिर दोनों देशों के बीच शांति-सुरक्षा, आतंकवाद और कश्मीर पर चर्चा करने कि लिए वार्ता की। रूस के उफा में यह बातचीत हुई। प्रमुख मुद्दों पर दोनों राष्ट्र प्रमुखों ने बातचीत की लेकिन स्थितियां फिर बिगड़ने के बाद वार्ता ठप पड़ गई।

पठानकोट हमले के बाद वार्ता (2016)

दिसंबर 2015 में एक बार फिर बातचीत की उम्मीद जगी। इसकी पहल पीएम नरेंद्र मोदी ने की। वह अचानक से दिसंबर 2015 में पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ से मुलाकात करने पहुंच गए। लेकिन जनवरी 2016 में पठानकोट हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव फिर बढ़ा और बातचीत बंद हो गई। इसके बाद कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी हुई। पाकिस्तानी कोर्ट ने कुलभूषण जाधव को सजा-ए-मौत आनन फानन में सुना दी। दोनों देशों के बीच तीखा विवाद हुआ और कूटनीतिक वार्ता (2017-2019) बंद रही। तनाव बढ़ता गया।

करतारपुर कॉरिडोर वार्ता (2018-2019)

सिख समाज के प्रमुख करतारपुर साहिब कॉरिडोर खोलने के लिए एक बार फिर भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत शुरू हुई। 2018-2019 के बीच हुई यह वार्ता सफल रही। करतारपुर साहिब कॉरिडोर खोलने के लिए दोनों देशों के बीच सकारात्मक बातचीत हुई। 2019 में कॉरिडोर खोल दिया गया।

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