नई दिल्ली। केरल की नर्स निमिषा प्रियवास को यमन में फांसी की सजा होने वाली है। उसे 2020 में यमन के एक नागरिक की हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने हाल ही में उसकी सजा को मंजूरी दे दी। उन्हें एक महीने में फांसी दी जा सकती है। भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा है कि सभी प्रासंगिक विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है कि हम यमन में निमिषा प्रिया की सजा के बारे में जानते हैं। परिवार विकल्पों पर विचार कर रहा है। सरकार इस मामले में हर संभव मदद कर रही है। निमिषा को 2020 में एक ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी। नवंबर 2023 में यमन की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने सजा बरकरार रखा। अब निमिषा के जिंदा बचने का एक ही विकल्प है कि ब्लड मनी दिया जाए। अगर पीड़ित का परिवार ब्लड मनी लेकर केस वापस ले लेता है तो निमिषा को फांसी नहीं दी जाएगी।
यमन के राष्ट्रपति द्वारा निमिषा को मौत की सजा की मंजूरी दिए जाने के बाद अब निमिषा के पास समय कम है। उसके परिवार के लोग हर संभव विकल्पों को तलाश रहे हैं। यमन मुस्लिम देश है। यहां शरिया कानून लागू है। इसके अनुसार पीड़ित का परिवार 'ब्लड मनी' या 'दीया' नाम का मुआवजा लेकर आपराधी को माफ कर सकता है।
अगर मृतक के परिवार के लोग बल्ड मनी लेने पर राजी हो जाते हैं तो निमिषा को माफी मिल सकती है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार नवंबर 2023 में बातचीत शुरू करने के लिए 40,000 डॉलर (34.26 लाख रुपए) दिया गया था। सजा माफ करवाने के लिए उसके परिवार को करीब 400,000 डॉलर (3.42 करोड़ रुपए) और देने पड़ सकते हैं।
2020 में उनकी सजा के बाद 'सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' का गठन किया गया था। यह उनकी रिहाई के लिए धन जुटा रही है। निमिषा के वकील चंद्रन केआर ने कहा कि निमिषा को यमनी नागरिक की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया है। उसके पास निमिषा का पासपोर्ट था। उसने निमिषा को प्रताड़ित किया था। निमिषा अपना पासपोर्ट वापस लेना चाहती थी और जान बचाने के लिए भागना चाहती थी। उसने उसे बेहोश करने की कोशिश की, दुर्भाग्य से दवा का ओवरडोज़ हो गया, जिससे उसकी मौत हो गई।
निमिषा को उचित बचाव नहीं मिल सका। यमन में लड़ाई चल रही थी। कोर्ट में उसके मामले पर जिरह करने के लिए कोई वकील नहीं था। निमिषा को उन कागजात पर साइन करने पड़े जो अरबी भाषा में थे। वह समझ नहीं सकी। इन सबकी वजह से उसे मौत की सजा सुनाई गई।