Labour Day: 1923 में भारत में सबसे पहले मनाया गया था मजदूर दिवस, सरकार ने दी थी हर कामगार को एक दिन की छुट्टी

आज भारत में लेबर डे (Labour Day 2022) मनाया जा रहा है। इस दिन श्रम संघर्षों को याद किया जाता है। इसे समाज के लिए कामगारों के त्याग और योगदान को याद करने के लिए भी मनाया जाता है। भारत में इसकी शुरुआत 1923 से हुई थी।

Asianet News Hindi | / Updated: May 01 2022, 06:51 AM IST

नई दिल्ली। आज भारत में लेबर डे (Labour Day 2022) मनाया जा रहा है। हर साल एक मई को विश्व कामगार दिवस (International Workers Day) मनाया जाता है। इसे समाज के लिए कामगारों के त्याग और योगदान को याद करने के लिए मनाया जाता है। भारत में इसे मई डे भी कहा जाता है।

भारत में मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1923 से हुई थी। लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने 1923 में सबसे पहले मजदूर दिवस के मौके पर समारोह आयोजित किए थे। इसका नेतृत्व कॉमरेड सिंगरवेलर ने किया था। इसके बाद एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें कहा गया था कि मजदूर दिवस पर सरकार को सभी को राष्ट्रीय अवकाश देना चाहिए। इसके बाद से भारत में हर साल मजदूर दिवस मनाया जाता है और सरकार कामगारों को एक दिन की छुट्टी देती है।

कई नामों से मनाया जाता है मजदूर दिवस 
मजदूर दिवस पूरे भारत में कई नामों से मनाया जाता है। हिंदी में इसे 'कामगार दिन' या 'अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस', तमिल में 'उझोपलार नाल' और मराठी में 'कामगार दिवस' कहते हैं। वर्ष 1923 में भारत में मद्रास प्रांत ने अपना पहला मजदूर दिवस मनाया था। 1 मई को महाराष्ट्र दिवस और गुजरात दिवस के रूप में भी जाना जाता है।

अधिकांश देशों में मजदूर दिवस पर सार्वजनिक और सरकारी कार्यालय, स्कूल और कॉलेज सभी बंद रहते हैं। इस दिन नेताओं से भाषण देने और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने की उम्मीद की जाती है। व्यापार संघ परेड आयोजित करते हैं। छात्रों को कार्यस्थल में समानता की आवश्यकता को समझने में मदद करने के लिए प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा इस दिन को मनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

मजदूर दिवस का इतिहास
श्रम दिवस श्रमिकों के अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ पिछले श्रम संघर्षों की याद दिलाता है, जिसमें लंबे कार्यदिवस और सप्ताह, खराब स्थिति और बाल श्रम शामिल हैं। 1 मई 19वीं शताब्दी के अंत में श्रमिक आंदोलन से जुड़ा है। 1 मई 1886 को अमेरिका के शिकागो में श्रमिकों के समर्थन में एक शांतिपूर्ण रैली निकाली गई थी। रैली निकाल रहे लोगों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें कम से कम 38 नागरिकों और 7 पुलिस अधिकारियों की मौत हो गई थी। इन विरोधों के कारण भारत सहित कई देशों ने आठ घंटे के कार्य दिवस का पालन किया जाता है। इस घटना की याद में हर साल 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है।

मजदूर दिवस क्यों मनाया जाता है?
औपचारिक श्रम दिवस के आने से पहले, दुनिया भर में मजदूर वर्ग के बीच मृत्यु, चोट और खतरनाक काम करने की स्थिति बहुत आम थी। औद्योगीकरण के उदय के दौरान अमेरिका ने 19वीं शताब्दी के दौरान मजदूर वर्ग का शोषण किया और कठोर परिस्थितियों में उनसे प्रतिदिन 15 घंटे काम कराया।

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उद्योगों में कामगारों की बढ़ती मौत ने मजदूर वर्ग को अपनी सुरक्षा के लिए आवाज उठाने पर मजबूर कर दिया। श्रमिकों और समाजवादियों द्वारा किए गए प्रयासों के बाद अमेरिकन फेडरेशन ऑफ लेबर द्वारा 19वीं शताब्दी के अंत में शिकागो में राष्ट्रीय सम्मेलन में श्रमिकों के लिए आठ घंटे का कानूनी समय घोषित किया गया था।

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