विक्टोरिया गौरी ने मद्रास हाईकोर्ट में एडिशनल जज की ली शपथ, SC ने हेट स्पीच व BJP से संबंध होने वाली याचिका खारिज की

रिट में यह आरोप लगाया गया था कि एक न्यायाधीश के रूप में लक्ष्मणा चंद्रा विक्टोरिया गौरी शपथ लेने के लिए अयोग्य हैं उन्होंने मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया था।

Hate speech allegation on Lawyer: महिला वकील लक्ष्मणा चंद्रा विक्टोरिया गौरी ने मंगलवार को मद्रास हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश पद की शपथ ली। सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ लगे हेट स्पीच और बीजेपी से संबंधित होने वाली याचिका को शपथ के पूर्व खारिज कर दिया। रिट में यह आरोप लगाया गया था कि एक न्यायाधीश के रूप में लक्ष्मणा चंद्रा विक्टोरिया गौरी शपथ लेने के लिए अयोग्य हैं उन्होंने मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा सुनवाई के दौरान...

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जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई की एक स्पेशल बेंच ने कहा कि हम रिट याचिकाओं पर विचार नहीं कर रहे हैं। जस्टिस खन्ना ने कहा कि पात्रता और उपयुक्तता के बीच अंतर है। पीठ ने कहा कि योग्यता पर, एक चुनौती हो सकती है। लेकिन उपयुक्तता नहीं। अदालतों को उपयुक्तता में नहीं पड़ना चाहिए, अन्यथा पूरी प्रक्रिया गड़बड़ हो जाएगी। राजनीतिक पृष्ठभूमि पर न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि उनकी भी राजनीतिक पृष्ठभूमि रही है, लेकिन यह उनके कर्तव्यों के आड़े नहीं आया।

राजनीतिक पृष्ठभूमि कोई मायने नहीं रखता...

एडवोकेट राजू रामचंद्रन ने कहा कि राजनीतिक पृष्ठभूमि बिल्कुल भी सवाल नहीं है। यह अभद्र भाषा है। अभद्र भाषा, जो पूरी तरह से संविधान के विपरीत है। यह उन्हें शपथ लेने के लिए अयोग्य बनाता है। यह केवल एक कागजी शपथ होगी। दरअसल, सीनियर एडवोकेट राजू रामचंद्रन ने पहले कोर्ट से संपर्क कर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की थी क्योंकि केंद्र सरकार ने एडवोकेट गौरी को एडिशनल जज के रूप में प्रमोट करने की अधिसूचना जारी कर दी थी।

बेंच ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि हम यह कहने की स्थिति में हैं कि यह योग्यता का सवाल है। यह उपयुक्तता का सवाल है। दूसरा, हम कॉलेजियम को निर्देश नहीं दे सकते। कॉलेजियम ने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया है तो हो सकता है कि यह उचित न हो।

मद्रास हाईकोर्ट के 21 बार सदस्यों ने सर्वोच्च न्यायालय से की थी अपील

मद्रास हाईकोर्ट के 21 बार सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम और भारत के राष्ट्रपति को पत्र लिखकर गौरी की नियुक्ति के लिए की गई सिफारिशों को वापस लेने और राज्य हाईकोर्ट के कॉलेजियम की सिफारिश को स्वीकार नहीं करने की मांग की थी। इस पत्र के माध्यम से आरोप लगाया गया था कि उन्होंने ईसाइयों और मुसलमानों के खिलाफ घृणास्पद भाषण दिए। गौरी की पदोन्नति उनके भाजपा से कथित संबद्धता की खबरों के बाद विवादों में आई थी। मद्रास उच्च न्यायालय के कई वकीलों की आपत्तियों के बाद, तमिलनाडु के मदुरै के 54 वकीलों ने सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम को गौरी के पक्ष में लिखा। मदुरै के वकीलों ने विक्टोरिया गौरी के खिलाफ आरोपों को राजनीतिक दुश्मनी और दुर्भावनापूर्ण इरादे से प्रेरित बताया। गौरी का समर्थन करने वाली एक वकील कृष्णवेनी ने कहा कि कथित हेट स्पीच तब दिया गया था जब वह एक राजनीतिक स्थिति में थीं। इसे अब जोड़ा नहीं जाना चाहिए। एक न्यायाधीश के रूप में वह निष्पक्ष विचार रखते हुए केवल कानून का पालन करेंगी।

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