मानसून सत्र में मर्यादा तोड़ी, इस सत्र में सजा...प्रियंका चतुर्वेदी समेत 12 विपक्षी सांसद राज्यसभा से निलंबित

मानसून सत्र (Monsoon Session) में राज्यसभा (Rajyasabha) में हंगामे के दौरान धक्का-मुक्की करने और सदन की मर्यादा का उल्लंघन करने के आरोपों के बाद राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस मामले की जांच के लिए समिति बनाई थी। 

नई दिल्ली। सोमवार से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस (Congress)और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को वर्तमान सत्र की बची हुई अवधि के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया। इन्हें यह सजा पिछले मानसून सत्र के दौरान अशोभनीय आचरण करने के लिए मिली है। 
उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी। 

इन सदस्यों को किया निलंबित 
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम। 

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हंगामे की जांच के लिए बनी थी समिति 
संसद के मानसून सत्र में राज्यसभा में हंगामे के दौरान धक्का-मुक्की करने और सदन की मर्यादा का कथित तौर पर उल्लंघन करने के आरोपों के बाद राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की थी। समिति की सिफारिशों के आधार पर इन सांसदों के खिलाफ आज कार्रवाई की गई। संसद का शीतकालीन सत्र आज आरंभ हुआ। यह 23 दिसंबर तक प्रस्तावित है।  

 नायडू बोले- परेशान करने वाला आचरण था सांसदों का
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि मानसून सत्र के अंतिम चरण में कुछ सदस्यों का आचरण परेशान करने वाला था। इस संबंध में सदन के प्रमुख नेताओं और संबंधित लोगों की प्रतिक्रिया उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं थी। उन्होंने राज्यसभा के सदस्यों से दोबारा ऐसा आचरण नहीं करने का अनुरोध किया और उम्मीद जताई कि यह सत्र उपयोगी साबित होगा। उन्होंने कहा कि देश आजादी का 75वां साल मना रहा है वहीं संविधान स्वीकार किए जाने के 72 साल पूरा हो रहे हैं। मुझे उच्च सदन में शालीनता और मर्यादा के साथ सामान्य तरीके से कामकाज की उम्मीद है। व्यवधान के बदले बातचीत और बहस का विकल्प चुना जाना चाहिए। नायडू ने संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को उच्च सदन में अपने संबोधन में यह टिप्प्णी की। नायडू ने कहा- सत्ता पक्ष पिछले सत्र के अंतिम दो दिनों के दौरान कुछ सदस्यों के आचरण की विस्तृत जांच चाहता था। मैंने विभिन्न दलों के नेताओं से संपर्क करने की कोशिश की है। उनमें से कुछ ने यह स्पष्ट कर दिया कि उनके सदस्य ऐसी किसी भी जांच में पक्ष नहीं होंगे। हालांकि, कुछ नेताओं ने सदन के कामकाज को बाधित करने पर चिंता जताई और उन घटनाओं की निंदा की। उन्होंने कहा-‘मैं उम्मीद कर रहा था और इंतजार कर रहा था कि इस प्रतिष्ठित सदन के प्रमुख लोग, पिछले सत्र के दौरान जो कुछ हुआ था, उस पर आक्रोश जताएंगे... सभी संबंधितों पक्षों द्वारा इस तरह के आश्वासन से मुझे मामले को उचित रूप से निपटने में मदद मिलती। लेकिन दुर्भाग्य से, ऐसा नहीं हो सका। 

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