सार
संसद का शीतकालीन सत्र(winter session of parliament) 29 नवंबर से शुरू हुआ। लेकिन नए सांसदों के शपथ लेने के बाद ही लोकसभा में विपक्ष ने हंगामा कर दिया। विपक्ष के नारेबाजी के बीच कृषि कानून निरस्ती का बिल दोनों सदनों में पास कर दिया गया।
नई दिल्ली. संसद का शीतकालीन सत्र(winter session of parliament) 29 नवंबर से शुरू हुआ। पहले ही दिन दोनों सदनों में कृषि बिल वापसी का कानून लोकसभा और राज्यसभा में पारित कर दिया गया। अब उसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। जैसा कि पहले ही दिन हंगामे के आसार थे, वही हुआ। नए सांसदों के शपथ लेने के बाद ही लोकसभा में विपक्ष ने हंगामा कर दिया। विपक्ष के नारेबाजी के बीच सदन की कार्यवाही कई बार बाधित हुई। कांग्रेस और अन्य पार्टियां किसानों के मुद्दे पर नारेबाजी कर रही थीं। विपक्ष पहले से ही सरकार को घेरने की तैयारी कर चुका था। सरकार कृषि कानून(agricultural law) को लेकर झुकी है, लेकिन विपक्ष संसद में MSP और कोरोना में जान गंवाने वालों के मुआवजे को लेकर पहले ही हंगामे के लिए तैयार था। माना जा रहा है कि विपक्ष महंगाई को भी मुद्दा बनाएगी। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे पहले ही स्पष्ट कर चुके थे कि विपक्ष चाहता है कि सरकार MSP(Minimum Support Prices-न्यूनतम समर्थन मूल्य) के लिए कानून बनाए। किसी कृषि उपज (जैसे गेहूं, धान आदि) का न्यूनतम समर्थन मूल्य वह मूल्य है, जिससे कम मूल्य देकर किसान से सीधे वह उपज नहीं खरीदी जा सकती। न्यूनतम समर्थन मूल्य भारत सरकार तय करती है। (तस्वीर-संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर कृषि कानून निरस्त विधेयक, 2021 पर चर्चा की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया)
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लोकसभा के बाद सरकार ने राज्यसभा में भी कृषि कानून वापसी बिल पेश किया, जिसे विपक्ष के हंगामे के बाद पास कर दिया गया। विधेयक 2021 को बिना चर्चा के ही राज्यसभा से पास करा लिया गया। अब बिल को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। दोपहर 2 बजे राज्यसभा की बैठक हुई, तो कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने उसे पेश किया।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानून वापसी का बिल पेश किया, जिसे पास कर दिया गया। इसके बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा करते रहे। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने चर्चा की बात स्वीकार, लेकिन विपक्ष नारेबाजी और हंगामा करता रहा। ऐसे में लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित करनी पड़ी।
संसद सत्र से हटकर संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अब MSP पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वे 4 दिसंबर को एक बैठक करेंगे, जिसमें आंदोलन की अगली रणनीति तैयार होगी।
संसद की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा शुरू हो गया। लिहाजा कार्रवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी इससे पहले कांग्रेस सांसदों ने संसद में किसानों के मुद्दे पर महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास विरोध प्रदर्शन किया।
सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि हर विषय पर चर्चा करने को तैयार हैं। खुली चर्चा करने को तैयार हैं। संसद में सवाल भी हों और शांति भी। सदन और चेयर दोनों का सम्मान होना चाहिए। संसद के इस सत्र को बेहद अहम बताते हुए मोदी ने कहा कि संसद के हर सत्र में देश की प्रगति, देशहित और विकास की चर्चा होनी चाहिए। सदन को कितना अच्छा योगदान दिया, सकारात्मक काम हुआ, मापदंड ये होना चाहिए न कि किसने कितना जोर लगाकर सत्र को रोका।
भाकपा सांसद(CPI MP) बिनॉय विश्वम(Binoy Viswam ) ने राज्यसभा में दिया कामकाज के निलंबन का नोटिस और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी सुनिश्चित करने पर चर्चा की मांग।
सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले AAP सांसद संजय सिंह ने कहा-कृषि क़ानूनों को रद्द करने का बिल लेकर आ रही है लेकिन इस सरकार ने 750 किसानों की शहादत ली है। किसानों के मन में आशंका है कि ये सरकार कब क्या कर दे, उन्हें भरोसा नहीं। प्रधानमंत्री को सदन में ये स्पष्ट करना चाहिए कि ये बिल दोबारा इस संसद में नहीं आएगा।
23 दिसंबर तक चलेगा सत्र
शीतकालीन सत्र 23 दिसंबर तक चलने वाला है। इस दौरान सरकार कुल 26 बिल पेश करने वाली है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गुरुनानक देवजी की 552वीं जयंती(Guru Nanak Jayanti 2021) पर 19 नवंबर को तीनों कृषि कानून(AgricultureBill) रद्द करने का ऐलान किया था। किसान पहले 29 नवंबर को संसद तक ट्रैक्टर मार्च करने वाले थे, लेकिन फिर उसे स्थगित कर दिया था। पिछले साल Corona Virus के चलते शीतकालीन सत्र नहीं हो पाया था। चूंकि अगले साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है, इसलिए शीतकालीन सत्र भी हंगामेपूर्ण होने की आशंका है। इस बार किसान आंदोलन के अलावा, चीन से सीमा विवाद, पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतें विपक्ष के लिए एक बड़ा मुद्दा होंगी।
मानसून सत्र भी ठीक से नहीं चल पाया था
संसद का मानसून सत्र (Monsoon Session) 19 जुलाई से 13 अगस्त तक प्रस्तावित था। लेकिन विभिन्न मुद्दों पर चर्चा नहीं कराए जाने की वजह से यह सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया था। मानसून सत्र में सबसे बड़ा मुद्दा पेगासस जासूसी कांड का रहा। इस मुद्दे पर सरकार पर फोन टैपिंग और मोबाइल की जासूसी का आरोप लगे। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए पूरे सत्र भी हंगामा चलता रहा और सत्र पहले ही खत्म कर दिया गया। सदन नहीं चलने से 133 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ था। एक रिपोर्ट के अनुसार, संसद सत्र के एक मिनट की कार्यवाही का खर्च करीब 2.6 लाख रुपये का आता है।
मानसून सत्र में हुई थी पैसों और समय की बर्बादी
मानसून सत्र में पेगासस जासूसी केस और किसान आंदोलन को लेकर जबर्दस्त हंगामा हुआ था। राज्यसभा में महिला सांसदों को पीटने तक का आरोप-प्रत्यारोप लगाया गया था। हंगामे के कारण लोकसभा का जहां 96 घंटे में 74 घंटे बर्बाद हो गए वहीं राज्यसभा का 76 घंटे 18 मिनट बर्बाद हो गए थे। मानसून सत्र के दौरान सदन में हंगामे के कारण महज 22 प्रतिशत ही कामकाज हो सका था। 17वीं लोकसभा की छठी बैठक 19 जुलाई 2021 को शुरू हुई थी। इस दौरान 17 बैठकों में 21 घंटे 14 मिनट कामकाज हुआ था। इस दौरान कुल 20 बिल पास हुए थे।
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