MPLAD से रोक हटी, पांच करोड़ की बजाय दो-दो करोड़ रुपये सांसदों को मिलेंगे

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि बिरसा मुंडा के जन्मदिन 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस (Tribal Pride Day) के रूप में मनाया जाएगा। 

Dheerendra Gopal | Published : Nov 10, 2021 12:20 PM IST

नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central Governemt) ने सांसद निधि (MPLAD) पर कोरोना (Covid-19)की वजह से लगी रोक को हटा दिया है। अब सांसदों को सांसद निधि जारी होगा और उसे खर्च करने का भी अधिकार होगा। बुधवार को मोदी कैबिनेट (Modi Cabinet) ने यह निर्णय लिया है। इस साल सांसद निधि की रकम में कटौती की गई है लेकिन अगले तीन साल पांच-पांच करोड़ रुपये ही जारी होंगे। 

2021 में जारी होगा पांच की जगह दो करोड़

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कैबिनेट ने 2 साल के लिए सांसद निधि को जारी नहीं करने के फैसले में थोड़ा परिवर्तन कर दिया है। दरअसल, कोरोना महामारी के दौरान सरकार ने कोविड से लड़ाई के लिए 2020-2021 और 2021-2022 की सांसद निधि को रिलीज नहीं करने का फैसला लिया था। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने बताया कि बुधवार को कैबिनेट ने सांसद निधि को जारी करने का फैसला लिया है। हालांकि, निधि जारी करने में इस साल थोड़ा परिवर्तन किया गया है। इस वित्तीय वर्ष में पांच करोड़ सांसद निधि की बजाय दो-दो करोड़ रुपये ही जारी किए जाएंगे। हालांकि, बाकी के तीन सालों यानी अगले तीन साल तक पूरे पांच-पांच करोड़ रुपये सांसद निधि का रिलीज किया जाएगा। 

बिरसा मुंडा के जन्मदिन को जनजातीय गर्व दिवस के रूप में मनाया जाएगा

कैबिनेट ने भगवान बिरसा मुंडा (Bhagwan Birsa Munda) के जन्मदिन पर साप्ताहिक कार्यक्रम कराने का भी निर्णय लिया है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि बिरसा मुंडा के जन्मदिन 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस (Tribal Pride Day) के रूप में मनाया जाएगा। जनजातीय गौरव दिवस 15 से 22 नवंबर तक पूरे सप्ताह भर मनाया जाएगा। 

क्या होती है सांसद निधि?

भारत सरकार 'संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना'  (Members of Parliament Local Area Development-MPLAD) के तहत लोकसभा (Loksabha) और राज्यसभा (Rajya sabha)के सांसदों को हर साल पांच करोड़ रुपए की राशि जारी करती है। सांसदों को उनके संसदीय क्षेत्र की ज़रूरतों के आधार पर ज़िला प्रशासन को कुछ कार्यों को कराने का सुझाव देना होता है। ज़िला प्रशासन सांसद निधि योजना के नियमों को ध्यान में रखते हुए सांसद के सुझावों के आधार पर इन कार्यों को पूरा कराते हैं। ज़िला प्रशासन सांसद निधि के खर्चों से जुड़े दस्तावेज़ सांख्यिकी मंत्रालय को भेजता है जिसके बाद अगली किस्तें जारी होती हैं।

रामनाईक के प्रयास से शुरू हुआ था सांसद निधि

राम नाईक (Ram Naik) ने अप्रैल 1992 और मई 1993 में इस मुद्दे पर लोकसभा में लगभग सौ सांसदों के हस्ताक्षरों समेत विनियोग विधेयक पेश किया था। इसके बाद पीवी नरसिम्हा राव (PV Narsimha Rao) सरकार 1 करोड़ रुपये प्रति सांसद देने के लिए सहमत हुई थी। केंद्र सरकार ने 1993 के Parliamanet शीतकालीन सत्र (Winter Session) में इस योजना को लागू करने की घोषणा की और इस तरह सांसदों के लिए पहली बार सांसद निधि स्कीम के तहत 5 लाख रुपये की राशि आवंटित हुई थी। अब यह पांच करोड़ रुपये सालाना है। 

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