प्रमुख मुस्लिम संगठनों की मांग, सरकार CAA वापस ले, JNU और जामिया हमले की हो न्यायिक जांच

जमीयत उलेमा-ए-हिंद और देश के कुछ अन्य प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने शुक्रवार को कहा कि सरकार संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को वापस ले तथा राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के अतिरिक्त प्रावधानों को हटाए
 

Asianet News Hindi | Published : Jan 10, 2020 2:21 PM IST

नई दिल्ली: जमीयत उलेमा-ए-हिंद और देश के कुछ अन्य प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने शुक्रवार को कहा कि सरकार संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को वापस ले तथा राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के अतिरिक्त प्रावधानों को हटाए।

जमीयत की ओर से जारी बयान के मुताबिक जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इन मुस्लिम संगठनों ने प्रस्ताव पारित कर जामिया मिल्लिया इस्लामिया, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) तथा कुछ अन्य शिक्षण संस्थानों में छात्रों पर हमले की भी निंदा की और कहा कि इन घटनाओं की न्यायिक जांच कराई जाए।

विस्तृत चर्चा कर प्रस्ताव पारित

प्रमुख मुस्लिम संगठनों की बैठक में जमीयत उलमा-ए-हिंद, दारुल उलूम देवबंद, जमात-ए-इस्लामी हिंद, मरकज़ी जमीयत अहले हदीस, मिल्ली कांउसिल और ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत के वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए। इस बैठक में सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विभिन्न पहलुओं और उसके खिलाफ देशव्यापी आंदोलनों पर विस्तृत चर्चा कर प्रस्ताव पारित किया गया।

इस प्रस्ताव में कहा गया है, ''मुस्लिम संगठनों की यह सभा सीएए, एनपीआर और एनआरसी क़ानूनों को चिंता की दृष्टि से देखती है। सीएए न केवल देश की बहुलवादी स्थिति के ख़िलाफ़ है बल्कि भारतीय संविधान से भी टकराता है। यह कानून धर्म के आधार पर लोगों के बीच भेदभाव पैदा करता है और संविधान के मूल अधिकारों के प्रावधानों 14, 15 और 21 से सीधे टकराता है।''

अतिरिक्त प्रावधानों को समाप्त किया जाए

मुस्लिम संगठनों ने कहा, ''एनआरसी से असम में अराजकता पैदा हुई है। हमारा मानना है कि एनपीआर जिस रूप में लाया जा रहा है वह वास्तव में एनआरसी का ही प्रारंभिक प्रारूप है, साथ ही इसमें 2010 के एनपीआर से अधिक चीज़ों की मांग की जा रहा है।''

उन्होंने कहा, ''हमारी मांग है कि सीएए से धार्मिक भेदभाव को समाप्त किया जाए, इसी तरह एनपीआर या तो वापस लिया जाए या अतिरिक्त प्रावधानों को समाप्त किया जाए। सीएए पड़ोसी देश बांग्लादेश से हमारे मैत्री संबंध को भी प्रभावित करेगा।''

कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए

कुछ प्रमुख विश्वविद्यालयों में हिंसा की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए इन मुस्लिम संगठनों ने कहा, ''यह सभा जामिया मिल्लिया इस्लामिया, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और अन्य छात्रों एवं युवाओं द्वारा इन क़ानूनों के खिलाफ चलाए जा रहे आंदोलनों का समर्थन करती है।'' उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय परिसरों में हुए इन हमलों की न्यायिक जांच कराई जाए और जो पुलिस अधिकारी इसमें लिप्त पाए जाएं उनके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

मृतकों और घायलों को उचित मुआवज़ा दिया जाए

सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शनों के बाद लोगों की गिरफ्तारियों का उल्लेख करते हुए मुस्लिम संगठनों ने कहा, ''हम भाजपा शासित राज्यों में शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। हमारी मांग है कि पुलिस द्वारा हिंसा की इन घटनाओं की न्यायिक जांच कराई जाए और जो अधिकारी इसमें लिप्त पाए जाएं उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए तथा मृतकों और घायलों को उचित मुआवज़ा दिया जाए।''

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(फाइल फोटो)

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