केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health) देश के लिए अच्छी खबर लेकर आई है। यह पहला मौका है जब भारत की प्रजनन दर (fertility rate) 2.1 से कम हुई है, जबकि महिलाओं (Sex ratio) की आबादी बढ़ रही है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) के तहत यह डाटा जारी हुआ है।
नई दिल्ली। भारत की प्रजनन दर (fertility rate) 2 पर आ गई है। यह अब तक का निचला स्तर है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2019-2021 (NFHS-5) की रिपोर्ट जारी करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया (Mansukh Madviya) ने यह जानकारी दी। NFHS डाटा के मुताबिक देश में चंडीगढ़ (Chandigarh) में प्रजनन दर सबसे कम (1.4%) रही, जबकि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में यह सर्वाधिक (2.4%) रही। यही नहीं, देश की आबादी में पहली बार महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले बढ़ी है। यह 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हो गई है। महिला सशक्तीकरण (Women's Empowerment) भी हर राज्य में बढ़ा है। यह फैक्टशीट बुधवार को जारी हुई। यह सर्वे 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर किया गया। इसमें परिवार कल्याण, पोषण, प्रजनन और बाल स्वास्थ्य, और अन्य पर प्रमुख बिंदुओं पर जानकारी जुटाई गई।
बच्चों में पोषण से लेकर महिलाओं की आर्थिक स्थिति तक में सुधार
1- बच्चों में पोषण हर राज्य में बढ़ा है। बच्चों का विकास रुकने की दर पहले 38 प्रतिशत थी, जो कम होकर 36 फीसदी पर आ गई है।
2 - छह महीने से कम उम्र के बच्चों को विशेष रूप से स्तनपान के मामले में पूरे देश में सुधार हुआ है। 2015-16 में यह 55 प्रतिशत था जो 2019-21 में बढ़कर 64 प्रतिशत तक पहुंच गया।
3- देशभर में गर्भनिरोधक साधनों (contraceptive) का इस्तेमाल 54 प्रतिशत से बढ़कर 67 प्रतिशत हो गया है। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में गर्भ निरोधकों के आधुनिक तरीके बढ़े हैं।
4- 12 से 23 महीने के बच्चों में पूर्ण टीकाकरण की रफ्तार में 14 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। यह 62 से बढ़कर 76 प्रतिशत हो गया है। 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 11 में इस आयु वर्ग के तीन चौथाई बच्चों का पूर्णटीकाकरण हो चुका है। ओडिश में यह सर्वाधिक 90 फीसदी है।
5- तमिलनाडु और पुडुचेी में 100 प्रतिशत डिलीवरी अस्पतालों में हो रही है, जबकि पूरे देश में भी इसमें इजाफा हुआ है। पहले जहां 79 फीसदी प्रसव अस्पतालों में होते थे, वहीं अब ये आंकड़ा 89 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
6- अस्पतालों में डिलीवरी में वृद्धि होने के साथ ही कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ‘सी-सेक्शन' सीजेरियन डिलीवरी (cesarean delivery)में भी काफी वृद्धि हुई है। यह निजी अस्पतालों में अधिक है।
7- 2015-16 में 48.5 प्रतिशत आबादी के पास खुद के टॉयलेट थे, जिनकी संख्या अब बढ़कर 70 फीसदी हो गई है।
8- सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में महिला सशक्तिकरण (Women's empowerment) में सुधार हुआ है। 43.3 प्रतिशत महिलाओं के पास अपनी प्रॉपर्टी है। 2015-16 में यह आंकड़ा 38.4 फीसदी था। यानी इसमें 5 फीसदी वृद्धि हुई है।
9- देश भर में महिलाओं के बैंक खातों में 26 फीसदी वृद्धि हुई है। पहले जहां 53 फीसदी महिलाओं के बैंक खाते थे वहीं अब यह आंकड़ा 79 फीसी पर पहुंच गया है। मध्यप्रदेश में ये संख्या 37 प्रतिशत से बढ़कर 75 प्रतिशत हो गई है। देश के हर राज्य में लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं बैंक खाते चला रही हैं।
10- देश के 96.8 प्रतिशत घरों तक बिजली पहुंच चुकी है।
लेकिन, यहां समस्या बरकरार
180 दिनों तक आयरन और फोलिक एसिड की गोलयां देने के बावजूद देश में आधी से अधिक महिलाओं और बच्चों में खून की कमी है। अहम बात ये है कि आयरन और फोलिक एसिड की टैबलेट्स का उपयोग बढ़ा है। 30 प्रतिशत आबादी के बाद खुद का आधुनिक टॉयलेट नहीं है। केंद्र सरकार के प्रयासों और खुले में शौच मुक्त करने के प्रयासों के बाद भी बड़ी आबादी इस सुविधा से वंचित है।
NFHS-5 के दूसरे चरण में ये राज्य रहे शामिल
अरुणाचल प्रदेश
चंडीगढ़
छत्तीसगढ़
हरियाणा
झारखंड
मध्य प्रदेश
दिल्ली (NCR)
ओडिशा
पुडुचेरी
पंजाब
राजस्थान
तमिलनाडु
उत्तर प्रदेश
उत्तराखंड
(पहले चरण में शामिल 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एनएफएचएस-5 के तथ्य दिसंबर, 2020 में जारी किए गए थे।)
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