न्यूयार्क टाइम्स को सोशल मीडिया पर सलाह: फैक्ट चेक करने पर थोड़ा अधिक ध्यान दें, मीम्स पर खबर न बनाएं

रीडर्स ने साफ कहा है कि न्यूयार्क टाइम्स फैक्ट चेकिंग के साथ साथ अपने एडिटोरियल बोर्ड को पैरोडी हैंडल से न्यूज बनाने से भी रोके। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 30, 2021 11:40 AM IST

नई दिल्ली। न्यूयार्क टाइम्स के पीएम मोदी वाली न्यूज मीम की फैक्ट चेकिंग कर सही जानकारी देने के बाद अखबार की कई रिपोर्टिंग का सच भी सामने लाया जा रहा है। कई ट्वीटर हैंडल से तालिबान के मसले पर एक रिपोर्ट पर ट्रोल भी किया जा रहा है। रीडर्स ने साफ कहा है कि न्यूयार्क टाइम्स फैक्ट चेकिंग के साथ साथ अपने एडिटोरियल बोर्ड को पैरोडी हैंडल से न्यूज बनाने से भी रोके। 

दरअसल, पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट आलोक भट्ट ने न्यूयार्क टाइम्स के एडिटोरियल बोर्ड को तालिबान के काबुल यूनिवर्सिटी पर की गई एक स्टोरी को कोट किया है। यूजर आलोक भट्ट ने आरोप लगाया है कि तालिबान के काबुल यूनिवर्सिटी में महिलाओं के बैन की स्टोरी को चांसलर के पैरोडी हैंडल के बेस पर लिखी गई है। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मीम की फैक्ट चेक पर कटाक्ष करते हुए लिखा है कि बेहतर होता कि एडिटोरियल टीम फैक्ट चेक में एनर्जी खपाती बजाए मीम्स पर स्टोरी बनाने के।

 

क्या है मामला? 

पीएम मोदी बीते दिनों यूएस यात्रा पर थे। यूएस यात्रा से लौटने के बाद न्यूयार्क टाइम्स का एक फर्जी पन्ना खूब वायरल हो गया। विदेशी अखबार के इस वायरल पेज पर पीएम मोदी व्हाइट हाउस के विजिटर्स बुक जैसी एक रजिस्टर पर सिग्नेचर करते नजर आ रहे हैं। और हेडिंग दिया गया था कि पृथ्वी के अंतिम और बेस्ट आशा। सब हेड में लिखा गया था कि विश्व के सबसे प्यारे और सबसे पॉवरफुल लीडर, यहां हमको आशीर्वाद देने आए। 
इस फर्जी पेज के वायरल होने के बाद फैक्टचेकर्स ने न्यूयार्क के असली पेज को वायरल कर खूब आलोचना की। आलोचना के बाद न्यूयार्क टाइम्स ने अपने सोशल मीडिया पेजस पर लिखा कि उनके अखबार के पेज को फोटोशॉप कर एडिट कर यह बनाया गया है। मोदी के यूएस विजिट के कवरेज का न्यूयार्क टाइम्स ने लिंक भी शेयर किया।

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