बीजेपी के कद्दावर नेता अरुण जेटली की याद में शुक्रवार को नई दिल्ली में प्रथम अरुण जेटली मेमोरियल लेक्चर का आयोजन किया गया। दुनिया के कई देशों के अर्थशास्त्रियों ने इसमें भाग लिया। पीएम मोदी ने भी मेमोरियल लेक्चर को संबोधित किया।
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने शुक्रवार को बीजेपी के कद्दावर नेता अरुण जेटली (Arun Jaitely) की याद में आयोजित प्रथम 'अरुण जेटली स्मृति व्याख्यान' (first Arun Jaitley Memorial Lecture) को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत पूरी दुनिया में सबसे विश्वसनीय और अत्याधुनिक Space Service Providers में से एक है। इस क्षेत्र में भी हमारा Private Sector Ecosystem बहुत ही बेहतरीन काम कर रहा है। लेकिन उनके पीछे भी Partner in Progress के रूप में सरकार की पूरी शक्ति है। हमारी पॉलिसी मेकिंग pulse of the people पर आधारित है। हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को सुनते हैं, उनकी आवश्यकता, उनकी आकांक्षा को समझते हैं। इसलिए हमने Policy को populist impulses के दबाव में नहीं आने दिया।
पहले रिफार्म्स तभी हुए जब सरकार के पास कोई रास्ता नहीं बचता था
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में शुक्रवार की शाम को आयोजित प्रथम अरुण जेटली मेमोरियल लेक्चर को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि COVID Vaccines का ही उदाहरण लें। हमारे देश के Private Players ने बहुत ही अच्छा काम किया है। लेकिन उनके पीछे Partner in Progress के रूप में सरकार की पूरी ताकत खड़ी थी
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले भारत में बड़े रिफ़ॉर्म्स तभी हुए जब पहले की सरकारों के पास कोई और रास्ता नहीं बचता था। हम reforms को necessary evil नहीं बल्कि win-win choice मानते हैं, जिसमें राष्ट्रहित है, जनहित है। आज का भारत Reforms by compulsion के बजाय Reforms by conviction से आने वाले 25 साल का रोडमैप तैयार कर रहा है।
अब भारत में मेडिकल सीट्स दोगुनी हो चुकी
पीएम ने कहा कि 2014 से पहले हमारे देश का औसत था कि 10 साल में करीब 50 मेडिकल कॉलेज बना करते थे। जबकि भारत में पिछले 7-8 साल में ही पहले के मुकाबले 4 गुना से ज्यादा 209 नए मेडिकल कॉलेज बनाए जा चुके हैं। बीते 7-8 साल में भारत में Under Graduate Medical Seats में 75% की बढ़ोतरी हुई है। भारत में अब Annual Total Medical Seats की संख्या बढ़कर लगभग दोगुनी हो चुकी है।
बिना ग्रोथ के इन्क्लूजन का लक्ष्य पूरा नहीं कर सकते
पीएम मोदी ने कहा कि मैं आप सभी से ये प्रश्न पूछना चाहता हूं। क्या बिना Inclusion के सही Growth संभव है? क्या बिना Growth के Inclusion के बारे में सोचा जा सकता है? Head of government के तौर पर 20 वर्ष के मेरे अनुभवों का सार यही है कि- बिना inclusion के real growth संभव ही नहीं है। और, बिना Growth के Inclusion का लक्ष्य भी पूरा नहीं किया जा सकता।
जेटली को याद कर भावुक हुए पीएम
अरुण जेटली को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ये आयोजन अरुण जेटली जी को समर्पित है। बीते दिनों को याद करते हैं, तो उनकी बहुत सारी बातें, उनसे जुड़े बहुत से वाकये याद आते हैं। उनकी oratory के तो हम सभी कायल थे। उनका व्यक्तित्व विविधता से भरा था, उनका स्वभाव सर्वमित्र था।
इसके पहले, सिंगापुर सरकार के सीनियर मिनिस्टर थरमन शनमुगरत्नम लेक्चर में समावेशिता यानी समान रूप से के माध्यम से विकास, विकास के माध्यम से समावेशिता(Growth through inclusivity, inclusivity through development") विषय पर मुख्य भाषण दिया। व्याख्यान के बाद माथियास कॉर्मन (ओईसीडी महासचिव) और अरविंद पनगढ़िया (प्रोफेसर, कोलंबिया विश्वविद्यालय) पैनल पर चर्चा भी की है।
यह था कार्यक्रम
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के इकोनॉमिक अफेयर्स डिपार्टमेंट की ओर से अरुण जेटली के देश के लिए दिए गए उनके अमूल्य योगदान को मान्यता देने के उद्देश्य से यह पहला 'अरुण जेटली स्मृति व्याख्यान' आयोजित किया गया। पीएम मोदी 8 से 10 जुलाई तक आयोजित तीन-दिवसीय कार्यक्रम कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन (केईसी) में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों के साथ भी बातचीत करेंगे। इस दौरान मोदी प्रख्यात अर्थशास्त्रियों(eminent economists) से मुलाकात करेंगे। इनमें जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय की ऐनी क्रुएगर, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के निकोलस स्टर्न, हार्वर्ड केनेडी स्कूल के रॉबर्ट लॉरेंस, आईएमएफ के पूर्व कार्यवाहक प्रबंध निदेशक जॉन लिप्स्की, भारत के लिए विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद सहित कई अन्य शामिल हैं। केईसी का आयोजन फाइनेंस मिनिस्ट्री के सहयोग से आर्थिक विकास संस्थान द्वारा किया गया है।
कौन थे अरुण जेटली?
अरुण जेटली बीजेपी के सीनियर लीडर रहे हैं। वह केंद्र सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल चुके हैं। पेश से देश के जाने माने अधिवक्ता रहे जेटली का 24 मई, 2019 को निधन हो गया था। वे 66 साल के थे। उन्हें कैंसर था। मई 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद जेटली को वित्त और रक्षा मंत्रालय का प्रभार दिया गया था। वे 2014 में छह महीने रक्षा मंत्री भी रहे थे। मनोहर पर्रिकर को गोवा का मुख्यमंत्री बनने के बाद जेटली को 2017 में छह महीने के लिए दोबारा रक्षा मंत्री बने थे। मोदी सरकार-2 में उन्होंने बीमारी के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मंत्री पद लेने से इनकार कर दिया था।
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