राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को डाले गए वोटों की गिनती हो गई। एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) को जीत मिली है। उनके घर पर जश्न मनाया गया।
भुवनेश्वर। राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को डाले गए वोटों की गिनती हो गई। एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) को जीत मिली है। उनके घर पर जश्न मनाया गया। आदिवासी कलाकारों ने ढोल नगाड़े बजाए और डांस किया। बड़ी संख्या में लोग बधाई देने के लिए जुटे थे। बधाई देने आने वालों का मुंह मीठा कराने के लिए 20 हजार से अधिक लड्डू बनाए गए थे।
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से करीब 280 किलोमीटर दूर उपरबेडा में मुर्मू का घर है। यहां मतगणना शुरू होने से पहले ही लोग जश्न के मूड में थे। गांव के लोग इस बात से बहुत खुश हैं कि मुर्मू राष्ट्रपति बन गईं हैं। द्रौपदी मुर्मू की जीत के बाद ग्रामीणों ने पूरे गांव में लड्डू बांटे।
पूरे गांव में बांटे गए लड्डू
एक ग्रामीण ने कहा कि आज मैं बहुत खुश हूं। मैंने द्रौपदी मुर्मू की जीत का जश्न मनाने के लिए लड्डू बनाया है। हमलोगों ने पूरे गांव में लड्डू बांटे हैं। इसके लिए करीब 50 क्विंटल लड्डू बनाए गए थे। ओडिशा के एक आदिवासी परिवार की बेटी द्रौपदी मुर्मू देश की राष्ट्रपति बनी हैं। यह हमारे लिए ही नहीं बल्कि पूरे राज्य के लिए गर्व की बात है।
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शिक्षिका से रायसीना तक का सफर
द्रौपदी मुर्मू रायरंगपुर में पार्षद बनने से पहले एक स्कूली शिक्षिका थीं। वह दो बार विधायक और मंत्री भी बनीं। उन्हें 2016 में झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में 20 जून, 1958 को हुआ था। वह आदिवासी संथाल परिवार से आती हैं। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था। द्रौपदी मुर्मू की शादी 1980 में श्याम चरण मुर्मू से हुई। उनके 4 बच्चे (दो बेटे और दो बेटी) हुए, जिनमें से अब सिर्फ एक बेटी ही बची है। मुर्मू के पति के अलावा दो बेटे और एक बेटी अब इस दुनिया में नहीं हैं।
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