सार

द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति बन गई हैं। वे इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराया। बता दें कि वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। 25 जुलाई को द्रौपदी मुर्मू नए राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेंगी।

President Election Result: द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति बन गई हैं। वे इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराया। बता दें कि वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। 25 जुलाई को द्रौपदी मुर्मू नए राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेंगी। मुर्मू ने अपने जीवन में संघर्ष करने के साथ ही बहुत दुख झेले हैं। अपने 3 जवान बच्चों और पति को खोने के बाद भी द्रौपदी टूटी नहीं और पूरी हिम्मत के साथ जिंदगी में आगे बढ़ती गईं। 

3 बच्चों और पति को खोया, फिर भी नहीं टूटीं : 
द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में 20 जून, 1958 को हुआ था। वो आदिवासी संथाल परिवार से आती हैं। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था। द्रौपदी मुर्मू की शादी 1980 में श्याम चरण मुर्मू से हुई। उनके 4 बच्चे (दो बेटे और दो बेटी) हुए, जिनमें से अब सिर्फ एक बेटी ही बची है। मुर्मू के पति के अलावा दो बेटे और एक बेटी अब इस दुनिया में नहीं हैं।

एक के बाद एक आते रहे दुख लेकिन..
शादी के बाद 1981 में द्रौपदी मुर्मू पहली बार मां बनीं और उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया। हालांकि, 3 साल की उम्र में ही 1984 में उसकी मौत हो गई। इसके बाद 25 अक्टूबर, 2010 में उनके बड़े बेटे लक्ष्मण की मौत हो गई, वो 25 साल के थे। अपने जवान बेटे की मौत से द्रौपदी पूरी तरह टूट गई थीं। हालांकि, इससे उबरने के लिए वो रायरंगपुर में ब्रह्मकुमारी आश्रम जाने लगीं। इससे उन्हें इस सदमे से उबरने में थोड़ी मदद मिली।

सदमे से उबरने के लिए मुर्मू ने अपनाया ये रास्ता : 
द्रौपदी मुर्मू जब अपने बेटे की मौत के सदमे से उबर रही थीं, तभी 2 जनवरी, 2013 में उनके छोटे बेटे शिपुन की 28 साल की उम्र में मौत हो गई। छोटे बेटे की अचानक मौत से द्रौपदी को गहरा सदमा लगा। हालांकि, धीरे-धीरे मेडिटेशन के जरिए उन्होंने इस सदमे से बाहर निकलने की कोशिश की लेकिलन डेढ़ साल बाद ही 1 अक्टूबर, 2014 को उनके पति श्याम चरण मुर्मू चल बसे। इसके बाद तो द्रौपदी का आश्रम जाना पूरी तरह बंद हो गया। 

अपने छूट गए तो दूसरों को बनाया अपना : 
रायरंगपुर में ब्रह्मकुमारी संस्थान की सुप्रिया के मुताबिक, 2014 तक वो सेंटर आती रहीं। लेकिन बाद में उन्होंने आना कम कर दिया। हालांकि, इसके बाद भी उनका ध्यान करने का रूटीन नहीं टूटा। वो बेहद मिलनसार हैं। भले ही उनके अपने छूट गए लेकिन उन्होंने जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए दूसरों को अपना बना लिया।

सुबह साढ़े 3 बजे उठकर करती हैं ध्यान-योग : 
द्रौपदी मुर्मू के गांव पहाड़पुर के रहने वाले लोगों का कहना है कि वो पिछले कई सालों से हर दिन सुबह साढ़े 3 बजे जाग जाती हैं। भले ही वो अपने काम में कितनी भी व्यस्त रहें, लेकिन सुबह-सुबह ध्यान और योग करना नहीं भूलतीं। 

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