नई दिल्ली। शुक्रवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा 'शुक्रवार संवाद' कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला के कुलपति प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री और आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी विशेष तौर पर उपस्थित थे। इस सवाद में पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक संचारक' विषय पर प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने अपने विचार रखें। कार्यक्रम का संचालन प्रो. प्रमोद कुमार ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह ने किया।
नई दिल्ली। शुक्रवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा 'शुक्रवार संवाद' कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला के कुलपति प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री और
आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी विशेष तौर पर उपस्थित थे। इस सवाद में पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक संचारक' विषय पर प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने अपने विचार रखें। कार्यक्रम का संचालन प्रो. प्रमोद कुमार ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह ने किया।
ये थी दीनदयाल उपाध्याय की विशेषता
अगर आप आचरण और शब्दों में एकता बनाए रखें, तो आप एक बेहतरीन कम्युनिकेटर बन सकते हैं। दीनदयाल उपाध्याय जी इस बात को अच्छे तरीके से जानते थे, इसलिए उनकी 'कथनी' और 'करनी' में कभी अंतर नहीं रहा। दिल से दिल का संवाद ही उनकी विशेषता थी। प्रो. कुलदीप अग्निहोत्री ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय एक कुशल संचारक और भारतीय संस्कृति के अनन्य उपासक थे। दीनदयाल जी ने सरलता, सहजता एवं सादगी द्वारा भारतीय जनता से संवाद स्थापित किया। उनका कहना था कि मीडिया समाज में अपनी उद्देश्यपूर्ण भूमिका निभाए, समाज हित और राष्ट्रहित को हमेशा प्रथामिकता में रखे और सनसनी फैलाने के स्थान पर तटस्थ रहते हुए सूचनाएं समाज तक पहुंचाए।
दीनदयाल उपाध्याय ने आधुनिक भारत की नींव रखी
प्रो. अग्निहोत्री के अनुसार पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने भारतीय दर्शन को आधार बनाकर आधुनिक भारत की नींव रखी और आज एकात्म मानववाद और अंत्योदय इसी नए भारत का महत्वपूर्ण अंग हैं। उनका मानना था कि गलत मार्ग से सही लक्ष्य की प्राप्ति कभी नहीं हो सकती। हमें भारत का विकास भारतीय दृष्टि से करना होगा। प्रो. अग्निहोत्री ने कहा कि दीनदयाल जी के विचारों द्वारा ही सबका विकास किया जा सकता है। एकात्म मानवदर्शन में संपूर्ण जीवन की एक रचनात्मक दृष्टि है। इसमें भारत का अपना जीवन दर्शन है, जो व्यक्ति, समाज और राष्ट्र को टुकड़ों में नहीं, समग्रता में देखता है। प्रो. अग्निहोत्री ने कहा कि संचार का उद्देश्य लोक कल्याण होता है। दीनदयाल उपाध्याय जी इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कठिन विषयों पर सहजता से संवाद करते थे। दीनदयाल उपाध्याय को सही मायनों में राष्ट्रीय पत्रकारिता का पुरोधा कहा जा सकता है। उन्होंने अपनी दूरदर्शी सोच से पत्रकारिता में ऐसी ही एक भारतीय धारा का प्रवाह किया।
दीनदयाल जी ने निकाला भारत की समस्याओं का हल -प्रो. संजय द्विवेदी
इस संवाद में आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि दीनदयाल जी सिर्फ एक राजनेता नहीं थे, वे एक पत्रकार, लेखक, इतिहासकार और अर्थशास्त्री भी थे। उनके चिंतन ने देश को एकात्म मानवदर्शन जैसा भारतीय विचार दिया। उन्होंने कहा कि सही मायने में दीनदयाल जी ने भारत को समझा और उसकी समस्याओं का हल तलाशने का प्रयास किया।