Ram Mandir EXCLUSIVE: रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज बोले- प्रभु ने दिए दर्शन, यह सबसे बड़ी खुशी की बात

अयोध्या के राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) में स्थापित होने वाली राम लला की मूर्ति को कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है। एशियानेट न्यूज ने अरुण योगीराज से खास बातचीत की।

बेंगलुरु। 22 जनवरी को अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। मंदिर में स्थापित की जाने वाली रामलला की मूर्ति को कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है। एशियानेट न्यूज ने अरुण योगीराज से खास बातचीत की।

योगीराज ने कहा, "मैं लगातार पत्थर के माध्यम से राम लला की तलाश कर रहा था और आखिरकार उन्होंने मुझे दर्शन दिए। यह सबसे बड़ी खुशी की बात है। यह मूर्ति सभी को पसंद आई है मेरे लिए इससे बड़ी खुशी की बात कोई और नहीं हो सकती। उन्होंने (मंदिर ट्रस्ट) मेरी जरूरत के अनुसार शेड बनवाया था। मैं नीचे मिट्टी चाहता था ताकि पत्थर को नुकसान न पहुंचे। उन्होंने सरयू नदी की मिट्टी रखी थी। मैं काम करके खुश था। जिस पत्थर से भगवान की मूर्ति बनाई है उसे एक छोटे किसान के खेत से निकाला गया था।"

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उन्होंने कहा, "30 दिसंबर 2023 को मुझे पता चला कि मेरे द्वारा बनाई गई मूर्ति को मंदिर में स्थापित करने के लिए चुना गया है। इसके बाद से मुझे ठीक से नींद नहीं आई। पहले मैं थोड़ा घबरा गया था। मैंने इसके बारे में किसी को नहीं बताने का फैसला किया था। मैं बाहरी दुनिया से कटकर शांत और संयमित रहना चाहता था। यह पहली बार है जब मैं बाहर आया हूं और आपसे बात कर रहा हूं।"

11 साल की उम्र से काम कर रहे हैं योगीराज

मूर्तिकार के रूप में अपनी यात्रा के बारे में पूछे जाने पर योगीराज ने कहा, "मेरा घर और जहां मैं काम करता हूं दोनों करीब हैं। यहां तक कि अगर मैं घर पर होता हूं तब भी गुरुकुल हमेशा जुड़ा रहता है। मुझे साफ-साफ याद है। मैंने पिता की मदद करने के लिए मूर्ति बनानी शुरू की थी। पहले, हम ग्रेनाइट पर नेमप्लेट्स बनाते थे। मैं 11 साल की उम्र से काम कर रहा हूं। बचपन में भी मैं सीनियर कलाकारों की तुलना में तेजी से काम करता था। इसने मुझे रामलला की मूर्ति बनाने में बड़ी मदद की।"

उन्होंने कहा, "पिता की मदद के लिए मैंने जो काम शुरू किया उससे मुझमें इस क्षेत्र में आगे बढ़ने की रुची जगी। मेरे पिता के ज्ञान ने मुझे इस लायक बनाया। मेरे पिता ने अपने पिता से सीखा था। सिद्धलिंगास्वामीजी का कौशल मेरे दादाजी से आया है। मेरे दादाजी गुरुकुल में 25 साल छात्र रहे थे। यह कौशल मेरे दादा से मेरे पिता और उनसे मुझे मिला। विरासत की यह झलक मेरी मूर्ति में भी दिखती है। लोग मेरी मूर्ति से आसानी से जुड़ जाते हैं। मैं जिस मूर्ति को बना रहा होता हूं उसे पहले देखना चाहता हूं।"

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बहुत चुनौतीपूर्ण था राम लला की मूर्ति बनाना

राम लला की मूर्ति बनाने के बारे में योगीराज ने कहा, "यह बहुत चुनौतीपूर्ण था। ग्रेनाइट कड़ा पदार्थ है। इसमें क्रैक आ जाता है। मूर्ति को बेहद अहम स्थान पर स्थापित किया जाना था, जिससे मुझपर दबाव था। मैंने शुरू में रोज तीन घंटे काम किया। इसके बाद अगले दो महीने करीब 21 घंटे काम किया। हमने अपने काम को 8-8 घंटे की तीन शिफ्ट में बांट लिया था। हर कलाकार को अपनी शिफ्ट में आना और काम करना था। मैं काम के दौरान मौजूद रहता था और उन्हें निर्देश देता था।" पूरा इंटरव्यू देखने के लिए दिए गए यूट्यूब लिंक पर क्लिक करें…

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