राजीव गांधी हत्या मामले में तमिलनाडु गर्वनर को SC की फटकार, पूछा- दोषी की याचिका 2 साल से लंबित क्यों है?

राजीव गांधी हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल से मंगलवार को नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दोषी ए जी पेरारिवलन की छूट की याचिका पर दो साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा कोई फैसला नहीं लेने पर राज्यपाल को फटकार लगाई है।

Asianet News Hindi | Published : Nov 3, 2020 11:50 AM IST / Updated: Nov 03 2020, 06:46 PM IST

नई दिल्ली. राजीव गांधी हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल से मंगलवार को नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दोषी ए जी पेरारिवलन की छूट की याचिका पर दो साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा कोई फैसला नहीं लेने पर राज्यपाल को फटकार लगाई है।इस मामले में तमिलनाडु के एक एडवोकेट ने भी कहा है कि आखिर इस मामले में इतना समय लगना कैसे संभव है।

दोषी की सजा याचिका पर जल्द निर्णय देने को कहा सुप्रीम कोर्ट ने

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दरअसल, जस्टिस एल नागेश्वर राव की अगुवाई वाली बेंच ने मंगलवार को तमिलनाडु सरकार से कहा है कि वे राज्य के गर्वनर से आग्रह करें कि राजीव गांधी हत्या मामले में दोषी द्वारा सजा से छूट की याचिका पर  राज्य के सुझावों के पर आधारित जल्द अपना निर्णय दें। राज्य के गर्वनर के पास लंबित पड़ी याचिका की सूचना मिलने के बाद बेंच ने कहा, 'हमें इस बात की  खुशी नहीं हैं कि दो सालों से अब तक  ये सिफारिश लंबित पड़ी है।' सुनवाई के दौरान बेंच ने तमिलनाडु के अतिरिक्त एडवोकेट जनरल बालाजी श्रीनिवासन से सवाल का जवाब मांगा कि 'गवर्नर इस मामले में इतना अधिक समय क्यों  ले रहे हैं? क्या आप उन्हें जवाब दे सकते हैं?' 

श्रीनिवासन ने मामले को साजिश बताया
श्रीनिवासन ने कहा कि यह मामला काफी बड़ी साजिश है और गवर्नर सीबीआई के रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल के एन नटराज ने बेंच से बताया कि मामले में साजिश दुनिया के कई देशों जैसे ब्रिटेन, श्रीलंका से भी जुड़ी हुई है।   21 मई 1991 की रात को तमिलनाडु के श्रीपेरमबुदुर में चुनावी अभियान के दौरान LTTE (Liberation Tigers of Tamil Eelam ) की आत्मघाती महिला हमलावर धनु ने राजीव गांधी की हत्या कर दी थी। 

आपको बता दें कि पेरारिवलन द्वारा दायर याचिका पर बेंच सुनवाई कर रही थी। राज्य सरकार की सिफारिशों के आधार  पर याचिका में पेरारिवलन ने कैद से रिहाई की दरख्वास्त की है। 18 फरवरी 2014 को शीर्ष कोर्ट ने पेरारिवलन को दी गई मौत की सजा को उम्र कैद में बदल दिया था।

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