हर कुशल भारतीय प्रोफेशनल एक चेंजमेकर और भारत का एम्बेसडर है: जयन्त चौधरी

सभी 32 उम्मीदवारों ने टीईएलसी के माध्यम से B1 जर्मन भाषा प्रशिक्षण उत्तीर्ण की है। उन्हें प्रमुख अस्पतालों और इम्प्लॉयर्स के साथ रखा जाएगा, जहाँ उन्हें प्रति माह 2300 से 2700 यूरो (2 लाख रुपए से अधिक) मिलेंगे।

Dheerendra Gopal | Published : Jun 22, 2024 4:38 PM IST / Updated: Jun 23 2024, 03:00 AM IST

Skill Development: केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमशीलता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयंत चौधरी ने भारतीय नर्सों को ग्लोबल करियर के अवसरों से सशक्त बनाने के लिए जर्मन लैंग्वेज ट्रेनिंग के बी1 लेवल को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए शनिवार को 32 हेल्थकेयर प्रोफेशनल को सम्मानित किया। प्रशिक्षण का उद्देश्य नर्सों को जर्मनी में सफल करियर और आजीविका के लिए आवश्यक भाषा कौशल से सुसज्जित करना है। यह डेवलपमेंट भारत को कुशल प्रतिभाओं के लिए ग्लोबल हब बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है और स्किल इंडिया मिशन के तहत महत्वाकांक्षी रणनीतियों की रूपरेखा तैयार करता है।

पूर्व मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने दी चयनित अभ्यर्थियों को बधाई

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पूर्व मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने चयनित छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने कौशल और कौशल उन्नयन तक पहुँच के ज़रिए युवाओं के लिए अवसर पैदा करने पर लगातार ध्यान केंद्रित किया है। जयंत चौधरी को बधाई जिन्होंने आज जर्मन भाषा में कुशल स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के इस दल को जर्मनी के लिए रवाना किया। मेरी शुभकामनाएँ इन छात्रों को भी हैं, जिनमें से 32 में से 20 केरल से हैं। मैं तिरुवनंतपुरम के सभी युवाओं को MSDESkillIndi और NSDCIndia के माध्यम से कौशल तक पहुँच सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए काम करूँगा।

 

 

रेजिडेंशियल ट्रेनिंग प्रोग्राम

स्किल इंडिया इंटरनेशनल पहल के तहत दो से तीन महीने का व्यापक रेजिडेंशियल ट्रेनिंग प्रोग्राम उन सभी उम्मीदवारों को दिया गया, जिन्होंने बीएससी नर्सिंग या जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी (जीएनएम) प्रोग्राम पूरा कर लिया है। पेशेवर जर्मन मूल के प्रशिक्षकों द्वारा संचालित यह कार्यक्रम सुनिश्चित करता है कि प्रतिभागियों को उच्च स्तरीय भाषा शिक्षा मिले।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री जयन्त चौधरी ने कहा कि भारत के पास बहुत बड़ा जनसांख्यिकीय लाभांश है, जो हमारे देश और ग्रामीण क्षेत्रों को 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था में बदलने की दिशा में एक स्पष्ट रास्ता है। इसके साथ ही, आज दुनिया में कौशल की कमी भी बढ़ रही है। सिकुड़ती ग्लोबल इकोनॉमी में भी 2030 तक दुनिया में लगभग 8.5 करोड़ अवसर होंगे। और इनमें से कितने अवसरों को हमारे महत्वाकांक्षी युवा प्रोफेशनल लोग हासिल कर पाते हैं, यही हमारी अर्थव्यवस्था का भविष्य तय करेगा।

चौधरी ने कहा कि वास्तव में अकेले जर्मनी में, उनकी वृद्ध आबादी के साथ, उपयुक्त उम्मीदवारों के लिए लगभग 18 लाख नौकरी के अवसर उपलब्ध होंगे। इसलिए यह आवश्यक है कि हम इन पदों को केन्द्रित तरीके से भरने के लिए सही अप्रोच अपनाएं और स्किल इंडिया इंटरनेशनल का उद्योग जगत के साथ मजबूत संबंध इस कमी को पूरा कर सकता है। मैं प्रत्येक उम्मीदवार को बधाई देना चाहता हूं क्योंकि आप में से प्रत्येक एक चेंजमेकर और भारत के एम्बेसडर हैं।

मंत्री ने ग्लोबल स्किलिंग पावरहाउस बनने के भारत के मिशन के तहत विभिन्न देशों में 58,000 से अधिक कुशल भारतीयों की सफल नियुक्ति पर प्रकाश डाला। उन्होंने विदेशों में रोजगार पाने के इच्छुक भारतीय युवाओं को उच्च गुणवत्ता वाला प्रशिक्षण प्रदान करने में कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) और एनएसडीसी इंटरनेशनल के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने सफल उम्मीदवारों को बधाई दी और उन्हें व्यक्तिगत रूप से प्लेसमेंट ऑफर सौंपे जिससे उनमें फ्यूचर रोल के लिए आत्मविश्वास और उत्साह का संचार हुआ।

B1 जर्मन भाषा प्रशिक्षण पास किया

सभी 32 उम्मीदवारों ने टीईएलसी के माध्यम से B1 जर्मन भाषा प्रशिक्षण उत्तीर्ण की है। उन्हें प्रमुख अस्पतालों और इम्प्लॉयर्स के साथ रखा जाएगा, जहाँ उन्हें प्रति माह 2300 से 2700 यूरो (2 लाख रुपए से अधिक) मिलेंगे जिसमें B2 प्रशिक्षण भी शामिल है। जर्मनी में B2 पूरा करने के बाद, उनका वेतन लगभग 3 से 4 लाख रुपए तक बढ़ जाएगा।

जर्मन एम्बेसडर डॉ. फिलिप एकरमैन ने भारत के स्किलिंग इकोसिस्टम की प्रशंसा की और आशा व्यक्त की कि यह ऐसे कई अन्य अवसरों की शुरुआत होगी। उन्होंने कहा कि जर्मनी में, विशेष रूप से हेल्थकेयर सेक्टर में, बढ़ता स्किल गैप एक महत्वपूर्ण चुनौती है। इसलिए हमें एक सॉल्यूशन खोजने की आवश्यकता महसूस हुई जो स्ट्रक्चर्ड माइग्रेशन है जो न केवल स्किल गैप को पूरा करता है बल्कि हमें हेल्थकेयर इंडस्ट्री की मांगों को पूरा करने के लिए अपेक्षित गुणवत्ता भी प्रदान करता है। यहीं पर भारत की शिक्षा प्रणाली, मजबूत कौशल बुनियादी ढाँचा और व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम इस अंतर को पाटने में मदद कर रहे हैं। हम एनएसडीसी इंटरनेशनल के उनके मजबूत प्रयासों के लिए बेहद आभारी हैं क्योंकि केवल दो महीनों में, वे जर्मनी के लिए इस युवा कार्यबल को तैयार करने में कामयाब रहे।

केंद्रीय राज्यमंत्री जयंत चौधरी, जर्मन एम्बेसडर के साथ-साथ एमएसडीई के सचिव अतुल कुमार तिवारी और एनएसडीसी के सीईओ और एनएसडीसी इंटरनेशनल के एमडी वेद मणि तिवारी ने उम्मीदवारों को हवाई अड्डे तक ले जाने वाली बस को हरी झंडी दिखाई।

कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के तत्वावधान में एनएसडीसी ने अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एनएसडीसी इंटरनेशनल के माध्यम से भारत को स्किल्ड वर्कर्स के एक भरोसेमंद स्रोत के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

एनएसडीसी इंटरनेशनल ने जर्मन लैंग्वेज ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए टैक्ट ग्रुप की कंपनी ऑक्सिला एकेडमी के साथ साझेदारी की थी और जर्मनी में उन्हें सही कैरियर के अवसर दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह पहल न केवल भारतीय नर्सों के लिए आकर्षक करियर के अवसर खोलती है बल्कि जर्मनी में कुशल नर्सिंग पेशेवरों की बढ़ती मांग को भी पूरा करती है। स्किल इंडिया इंटरनेशनल इनिशिएटिव के तहत भारतीय युवाओं के कौशल और रोजगार क्षमता को बढ़ाने के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता है, जिससे वैश्विक मंच पर उनकी सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।

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