नागरिकता संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए 144 याचिकाएं सूचित की गई हैं। इनमें से 141 याचिकाएं इस कानून के खिलाफ दायर हुई हैं। एक याचिका समर्थन में और एक केंद्र सरकार की याचिका है। जिस पर कोर्ट आज यानी बुधवार को सुनवाई करेगा।
नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन कानून के विरोध और समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में 140 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई हैं। जिस पर कोर्ट आज यानी बुधवार को सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
विरोध में दाखिल हुईं हैं 141 याचिकाएं
नागरिकता संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए 144 याचिकाएं सूचित की गई हैं। इनमें से 141 याचिकाएं इस कानून के खिलाफ दायर हुई हैं। एक याचिका समर्थन में और एक केंद्र सरकार की याचिका है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर देश के अलग-अलग हाई कोर्ट में लंबित सीएए के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को सुप्रीम कॉर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की है। शीर्ष अदालत बुधवार को इस पर विचार करेगी।
सुप्रीम कोर्ट के सामने हाई वोल्टेज ड्रामा
सुप्रीम कोर्ट के बाहर मंगलवार देर रात महिलाएं धरने पर बैठ गईं। महिलाओं के हाथ में CAA, एनआरसी के विरोध में पोस्टर्स भी थे। महिलाओं का प्रदर्शन बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में CAA को लेकर होनी वाली सुनवाई से ठीक पहले हुआ। प्रदर्शनकारी महिलाओं की संख्या 15 से 20 रही। पुलिस के पूछने पर उनका कहना है कि कहीं भी प्रदर्शन करना उनका बुनियादी अधिकार है। हालांकि पुलिस के समझाने के बाद वह हट गईं। पुलिस ने एक शख्स को हिरासत में भी ले लिया।
कोर्ट ने कहा था, हिंसा रूकेगी तो होगी सुनवाई
इन याचिकाओं में कुछ ऐसी भी हैं जिन्हें सीएए के विरोध में उपजी हिंसा के दौरान दाखिल किया गया था। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने कहा था इन याचिकाओं पर सुनवाई तभी होगी जब देश के अलग-अलग हिस्सों में हिंसक घटनाएं बंद हों। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की बेंच ने कहा था कि प्रदर्शन के दौरान पहले ही बहुत ज्यादा हिंसा हुई है. उनकी बेंच में जस्टिस बीआर गवई और सूर्यकांत भी शामिल थे।
क्यों दाखिल की गई है याचिका
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता सशोधन कानून को लेकर यह याचिकाएं दायर की गईं हैं। जिसमें कहा गया है कि यह कानून संविधान की मूल भावना के विपरित है। दरअसल, सीएए में केंद्र सरकार ने तीन देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और आफगानिस्तान) में धार्मिक प्रताड़ना झेल रहे अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता दी जाएगी। जिसमें हिंदू, सिख, ईसाई, सिंधी समेत 12 धर्म को शामिल किया गया है। जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में यह याचिकाएं दाखिल की गईं हैं।