एक देश एक चुनाव बिल को कैबिनेट से मिली मंजूरी, जल्द लोकसभा में होगा पेश

केंद्र सरकार ने 'एक देश, एक चुनाव' बिल को मंजूरी दे दी है। शीतकालीन सत्र में इसे पेश किया जा सकता है। विपक्ष ने इसका विरोध किया है, जबकि कुछ NDA सहयोगियों ने समर्थन दिया है।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एक देश एक चुनाव बिल को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय कैबिनेट ने इस संबंध में मंजूरी दी। अब जल्द ही इस बिल को लोकसभा में पेश किया जाएगा। इस बिल के पास होने के बाद देशभर में लोकसभा और राज्यसभा के चुनाव कराए जा सकेंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस विधेयक को संसद के चालू शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की संभावना है।

एक देश एक चुनाव भाजपा द्वारा लोकसभा चुनाव में किए गए प्रमुख वादों में से एक था। एक देश एक चुनाव को लेकर केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। समिति की सिफारिशों को केंद्र सरकार ने स्वीकार कर लिया है। समिति ने चरणबद्ध तरीके से लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने का सुझाव दिया है।

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एक देश एक चुनाव के लिए तैयार नहीं विपक्ष

विपक्ष एक देश एक चुनाव के लिए तैयार नहीं है। कांग्रेस और आप जैसी कई पार्टियों ने इसका विरोध किया है। विपक्ष का आरोप है कि एक साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव कराने से केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को फायदा होगा। नीतीश कुमार और चिराग पासवान जैसे प्रमुख एनडीए सहयोगियों ने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया है।

सूत्रों के अनुसार सरकार विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की योजना बना रही है ताकि व्यापक सहमति बनाई जा सके। इसके अलावा, बुद्धिजीवियों, विशेषज्ञों और नागरिक समाज के सदस्यों के अलावा सभी राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों की राय भी ली जाएगी। आम जनता से भी सुझाव मांगे जाएंगे।

कोविंद की अगुआई वाली समिति ने अपनी 18,626 पन्नों की रिपोर्ट में एक देश एक चुनाव को दो चरणों में लागू करने का सुझाव दिया है। इसने पहले चरण के तौर पर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का सुझाव दिया है।

अगला कदम स्थानीय निकायों और नगर पालिकाओं के चुनावों को लोकसभा और राज्यों के चुनावों के साथ समन्वयित करना है। यह इस तरह से किया जाएगा कि स्थानीय निकाय चुनाव लोकसभा चुनावों के 100 दिनों के भीतर हो जाएं। हालांकि, इसके लिए कम से कम आधे राज्यों की मंजूरी की आवश्यकता होगी।

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