बॉम्बे हाईकोर्ट ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को जेल से रिहा करने का आदेश दिया है। उन्हें वीडियोकॉन लोन केस में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था।
मुंबई। वीडियोकॉन लोन केस (Videocon loan case) में गिरफ्तार आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर की रिहाई के आदेश बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिए हैं। सीबीआई ने दोनों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद से वे ज्यूडिशियल कस्टडी में जेल में बंद थे।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को दिए अपने आदेश में कहा कि दोनों की गिरफ्तारी कानून के अनुसार नहीं हुई थी। इन्हें रिहा कर दिया जाए। दंपति को एक लाख रुपए के मुचलके पर रिहा किया गया है। चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका लगाकर रिहाई की गुहार लगाई थी। दोनों ने कहा था कि उन्हें अवैध तरीके से गिरफ्तार किया गया है। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
25 दिसंबर को किया गया था गिरफ्तार
गौरतलब है कि चंदा कोचर और दीपक कोचर को सीबीआई ने वीडियोकॉन आईसीआईसीआई बैंक लोन केस में 25 दिसंबर को गिरफ्तार किया था। पति-पत्नी ने इस आधार पर भी अंतरिम राहत की मांग की थी कि उनके बेटे की इसी महीने शादी होनी है। सुनवाई के दौरान कोचर दंपती ने कोर्ट में कहा था कि सीबीआई द्वारा की गई उनकी गिरफ्तारी मनमानीपूर्ण और अवैध थी। चंदा कोचर की गिरफ्तारी के समय मौके पर कोई भी महिला पुलिस अधिकारी नहीं थीं।
क्या है मामला?
दरअसल, चंदा कोचर पर आरोप है कि उन्होंने बैंक नियमों को दरकिनार कर वीडियोकॉन के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत को लोन दिया था। बैंक से धूत की कंपनी वीडियोकॉन कंपनी को 3250 करोड़ रुपए का लोन दिया गया। यह लोन 2012 में पास किया गया था। लोन के बदले में वेणुगोपाल ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की कंपनी को लाभ पहुंचाया। धूत ने दीपक की आल्टरनेविट इनर्जी कंपनी नूपावर में इन्वेस्ट किया।
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वीडियोकॉन कंपनी के एक शेयरहोल्डर अरविंद गुप्ता ने पीएमओ, रिजर्व बैंक और सेबी को लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। गुप्ता ने कोचर दंपत्ति और वीडियोकॉन कंपनी के चेयरमैन पर एक दूसरे को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी। इन आरोपों के बाद 2018 में चंदा कोचर ने आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ और एमडी के पद से इस्तीफा दे दिया था। बैंक लोन फ्रॉड की जांच सीबीआई कर रही है।
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