राष्ट्रपति चुनाव के दौरान विपक्ष के 17 सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की। ये बात राष्ट्रपति चुनाव की मतगणना में सामने आई है। आखिर क्या होती है क्रॉस वोटिंग और ऐसा करने वाले के खिलाफ क्या एक्शन लिया जाता है। आइए जानते हैं।
What is Cross Voting: राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को वोटिंग हुई। मतगणना 21 जुलाई को हुई, जिसमें पता चला कि 17 सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की है। बता दें कि चुनाव के दौरान खबर आई थी कि गुजरात में NCP के विधायक कांधल जडेजा, यूपी में सपा विधायक शिवपाल यादव और शहजील इस्लाम और ओडिशा में कांग्रेस विधायक मोहम्मद मुकीम ने क्रॉस वोटिंग की। कहा जा रहा है कि इन सभी ने एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया। आखिर क्या है क्रॉस वोटिंग और ऐसा करने वाले के खिलाफ क्या हो सकती है कार्रवाई, आइए जानते हैं।
क्या होती है क्रॉस वोटिंग?
क्रॉस वोटिंग, मतलब कोई विधायक या सांसद अपनी पार्टी के फैसले से अलग जाकर विपक्षी उम्मीदवार को वोट डालता है तो उसे क्रॉस वोटिंग कहते हैं। बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव में ऐसा पहले भी कई बार हुआ है, जब सांसद और विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है।
क्या क्रॉस वोटिंग वाला वोट वैध है?
कई लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि राष्ट्रपति चुनाव में अगर कोई सांसद या विधायक क्रॉस वोटिंग कर दे तो क्या उसका वोट वैलिड माना जाएगा? बिल्कुल, उस वोट को वैध माना जाएगा, भले ही उसने अपनी पार्टी के फैसले से अलग जाकर वोट दिया हो।
क्रॉस वोटिंग करने वाले पर क्या एक्शन?
वैसे, क्रॉस वोटिंग न हो इसके लिए पॉलिटिकल पार्टियां व्हिप जारी करती हैं। ऐसे में पार्टी का कोई मेंबर अगर इसके खिलाफ जाता है तो पार्टी उसकी सदस्यता खत्म कर सकती है। क्रॉस वोटिंग करने वाले लोगों को कई बार उनके पदों से भी हाथ धोना पड़ जाता है।
21 को होगी वोटों की गिनती :
राष्ट्रपति चुनाव के लिए सोमवार को हुई वोटिंग के बाद वोटों की गिनती 21 जुलाई को होगी। सभी राज्यों से मत पेटियां दिल्ली लाई जाएंगी, जहां गुरुवार को मतों की गिनती की जाएगी। उसके बाद देश के नए राष्ट्रपति के नाम का ऐलान किया जाएगा। बता दें कि देश के वर्तमान राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई तक है। ऐसे में 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण समारोह रखा गया है।
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